बाबा विश्वनाथ की नगरी काशी आज शाम कुछ देर के लिए द्वापर युग के गोकुल में तब्दील हो जाएगी और गंगा यमुना बन जाएंगी। तुलसी घाट पर नटखट कन्हैया अपने दोस्तों के साथ कंदुक क्रीड़ा (गेंद खेलते हुए) करते नजर आएंगे। अचानक गेंद यमुना बनी गंगा में समा जाएगी। ठीक 4:40 बजे कन्हैया कदंब की डाल से नदी में छलांग लगा देंगे।
लोग चिंतित होंगे और उसी बीच कालिया नाग का घमंड चूर कर नंदलाला उसके फन पर सवार होकर बांसुरी बजाते नजर आएंगे। श्रद्धालु श्रीकृष्ण की आरती उतारेंगे। घंटा-घड़ियाल और डमरु की मधुर ध्वनि के बीच प्रभु को सभी शीश नवाएंगे। वृंदावन बिहारी लाल की जय, नटवर नागर की जय और हर-हर महादेव का उद्घोष होगा। इसके साथ ही 10 मिनट में नागनथैया लीला संपन्न हो जाएगी।
गोस्वामी तुलसीदास ने शुरू कराई थी लीला
काशी के लक्खा मेले में शुमार (जहां एक लाख से ज्यादा लोग आते हों) नागनथैया लीला का आयोजन अखाड़ा गोस्वामी तुलसीदास की ओर से तुलसी घाट पर किया जाता है। यह लीला 475 साल से ज्यादा पुरानी है। इसकी शुरुआत गोस्वामी तुलसीदास ने की थी। श्री संकटमोचन मंदिर के महंत प्रोफेसर विश्वंभरनाथ मिश्र ने बताया कि गंगा में बाढ़ के पानी के कारण लीला का पारंपरिक स्थल डूबा हुआ है।
इस वजह से नागनथैया लीला का मंचन घाट के ऊपर ही होगा। बाढ़ के कारण वर्ष 1992 के बाद यह दूसरा अवसर है जब लीला के लिए कदंब की डाल श्री संकटमोचन के मंदिर परिसर से अस्सी घाट के रास्ते की बजाय आज सुबह सड़क से सीधे तुलसी घाट लाई गई है।
3 जोन में बांटा गया है मेला क्षेत्र
एसीपी भेलूपुर प्रवीण कुमार सिंह ने बताया कि तुलसी घाट पर होने वाली नागनथैया लीला में आने वाले श्रद्धालुओं की सुरक्षा व्यवस्था का खाका खींच लिया गया है। मेला क्षेत्र को 3 जोन में बांटा गया है। सुरक्षा व्यवस्था के मद्देनजर 7 इंस्पेक्टर, 60 पुरुष-महिला दरोगा, 240 पुरुष-महिला आरक्षी, 1 कंपनी पीएसी, जल पुलिस और एनडीआरएफ की 11वीं बटालियन के जवान तैनात रहेंगे। दोपहर 2 बजे से तुलसी घाट की तरफ जाने वाले सभी मार्गों पर वाहनों की आवाजाही प्रतिबंधित कर दी जाएगी।