उत्तर प्रदेश लगातार डेंगू से कराह रहा हैं। राज्य में डेंगू मरीजों की संख्या में लगातार इजाफा हो रहा हैं। लखनऊ समेत तमाम महानगरों में गंभीर हालत में बड़ी संख्या में डेंगू मरीज भर्ती हैं। निजी अस्पतालों में भी प्लेटलेट कम होने के चलते मरीजों को भर्ती कराया जा रहा हैं।
लखनऊ में बुधवार को डेंगू के 21 नए केस सामने आएं। शहर के तमाम इलाकों में डेंगू स्प्रेडर का रुख ले चुका हैं।गली मोहल्लों में तमाम लोग इसकी चपेट में हैं। वही कई ऐसे हैं जिनके प्लेटलेट्स तेजी से गिर रहे हैं। वही एक्सपर्ट्स लापरवाही बरतने पर आने वाले दिनों में हालात और बिगड़ने की बात कह रहे हैं।
बुखार से तप रहे मरीज, अस्पताल में बीती दिवाली
दिवाली में भी डेंगू का अटैक जारी रहा। हालांकि विशेषज्ञ 7 तरह के बुखार के अटैक करने की बात कह रहे हैं। पर रोजाना सैकड़ों मरीज वायरल, डेंगू, चिकनगुनिया, टायफाइड, मलेरिया और सीजनल बुखार, और फ्लू से ग्रस्त होकर अस्पताल पहुंच रहे हैं।
21 नए मरीज आएं डेंगू की चपेट में
लखनऊ में दिवाली के अगले दिन यानी डेंगू को 21 लोग डेंगू की चपेट में आ गए हैं। इससे एक दिन पहले 14 मरीज रिपोर्ट हुए थें। सबसे ज्यादा चंदननगर में 3 और अलीगंज में 2 लोग डेंगू की चपेट में आ गए हैं। आलमबाग में 7 लोग डेंगू की जद में आ गए हैं। इंदिरानगर में 3, सरोजनीनगर में 3 और चिनहट में 3 और एनके रोड में 1 मरीज सामने आएं हैं। सिलवर जुबली में 2 लोग डेंगू के शिकार हो गए हैं। स्वास्थ्य विभाग और मलेरिया इकाई की टीम ने डेंगू-मलेरिया प्रभावित इलाकों के 415 घरों का जायजा लिया। 3 घरों में डेंगू के लार्वा मिले।
2 दिन से ज्यादा रहे बुखार तो जरूर कराए जांच
KGMU के सीनियर फैकल्टी प्रो.राकेश कुमार दीक्षित ने बताया कि मौसम तेजी से बदल रहा है। ऐसे में वायरल इन्फेक्शन फैल रहा हैं। डेंगू, मलेरिया, चिकनगुनिया, कोरोना और टायफाइड के मरीज भी आ रहे हैं। ज्यादातर बीमारियों के लक्षण मिलते-जुलते हैं।
डेंगू में तेज बुखार, सर दर्द, बदन दर्द, हाथ पैर में झुनझुनाहट और हाथ पैर में रैशेज भी देखें जा रहे हैं। कुछ बीमारियां शुरुआती जांच में पकड़ में आ रही हैं तो एक सप्ताह बाद ऐसे में बीमारी की पहचान और इलाज में खास सावधानी की जरूरत है।
लखनऊ सीएमओ डॉ. मनोज अग्रवाल ने बताया डेंगू के मामलों में लगातार इजाफा हो रहा है। सभी को सजग रहने की जरूरत हैं। फील्ड पर लगातार टीमें सक्रिय हैं पर मच्छरों को पनपने से रोकने के लिए जन जागरण की जरूरत है। लखनऊ के अस्पतालों में मरीजों को डेंगू मरीजों को उपचार मुहैया कराया जा रहा हैं, इसलिए पैनिक होने की जरूरत नही हैं।