लिज ट्रस का जादू खत्म:हर मोर्चे पर नाकाम साबित हुईं ब्रिटिश PM; पार्टी के लिए भी अगला चुनाव जीतना बेहद मुश्किल

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लिज ट्रस को ब्रिटेन की प्रधानमंत्री बने एक महीने से कुछ ज्यादा हुआ है। उनके अब तक के टेन्योर में जो फैसले हुए वो समझदारी वाले नजर नहीं आते। ऐसा लगता है कि जैसे ब्रिटेन मूर्खताओं के रोलर कोस्टर पर सवार है।

उनका मिनी बजट ही देख लें, इसने बाजार को तबाह कर दिया। ब्रिटिश पाउंड धड़ाम से जमीन पर आ गिरा। अमीर तबके के लिए वो टैक्स कट का वादा कर रहीं थीं, ये इकोनॉमी को और बुरे हालात में पहुंचा देगा।

अपनी ही पार्टी में घिरीं

  • पिछले दिनों ट्रस की कंजर्वेटिव पार्टी की कॉन्फ्रेंस हुई। इसमें जमकर बवाल हुआ। पुलिस ने हंगामा रोकने से इनकार कर दिया। इसके मायने ये हुए कि एडमिनिस्ट्रेशन के मामले में भी ब्रिटेन पिछड़ता जा रहा है।
  • लिज पर शुरू से ही एंटी ग्रोथ को समर्थन के आरोप लग रहे हैं। उनके विरोधी आरोप लगा रहे हैं कि वो टैक्स कम करके इकोनॉमी को पटरी पर लाना चाहती हैं। पिछले हफ्ते किंग चार्ल्स ने उन्हें हौसला बंधाते हुए मैसेज किया था। कहा था- बैक अगेन यानी फिर वापसी कीजिए।
  • दिक्कत यह है कि लिज वादे तो बहुत करके सत्ता में आईं थीं, लेकिन जब बारी उन्हें पूरा करने की आई तो मामला उल्टा ही पड़ गया। हालात ये हो गए हैं कि खुद उनके सांसद ट्रस का विरोध कर रहे हैं और BBC को दिए इंटरव्यू में प्रधानमंत्री माफी मांग रही हैं।

पार्टी को भी डुबा दिया
हालिया पोल्स और अप्रूवल रेटिंग पर भी नजर डाल लीजिए। लिज ट्रस कंजर्वेटिव पार्टी से आती हैं। हालिया पोल्स में विपक्षी लेबर पार्टी 33 पॉइंट्स आगे नजर आई। इससे भी ज्यादा हैरानी की बात यह है कि खुद प्रधानमंत्री की अप्रूवल रेटिंग माइनस 47 हो गई। मुल्क तो मुश्किल में पहले ही था।

शुक्रवार को हालात बद से बदतर नजर आए। लिज ने अपने दोस्त, चांसलर और फाइनेंस मिनिस्टर क्वासी वारटेंग को कैबिनेट से बर्खास्त कर दिया। इसके बाद जेरेमी हंट को इस पोस्ट पर बिठाया। हंट मर्जी के मालिक हैं और पहले उन्होंने इसी रोल में निराश किया है।

अविश्वास प्रस्ताव का डर
माना जा रहा है कि लिज के खिलाफ अविश्वास प्रस्ताव तैयार हो चुका है। कंजर्वेटिव पार्टी के सांसद फिर प्रधानमंत्री बदलने की बात करने लगे हैं। हालांकि, पार्टी की रूल बुक में बदलाव के बाद ही यह मुमकिन है। शायद उन्हें एक साल तक मिल जाए। ये भी हो सकता है कि उनके पास प्रधानमंत्री की ताकत न रहे। बोरिस जॉनसन को हटाने के वक्त भी यही कुछ हुआ था।

बहरहाल, हालात चाहे जो हों, लेकिन एक बात तो तय है और वो ये कि लिज ट्रस की प्राइम मिनिस्टरशिप तो खत्म हो गई है। भले ही वो पद पर बनीं रहें, लेकिन बड़े फैसले नहीं कर पाएंगी।

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