नई दिल्ली. उच्चतम न्यायालय ने स्वामी अविमुक्तेश्वरानंद सरस्वती को उत्तराखंड में ज्योतिष पीठ का नया शंकराचार्य बनाने की प्रक्रिया पर रोक लगा दी है. न्यायमूर्ति बी आर गवई और न्यायमूर्ति बी वी नागरत्ना की पीठ ने सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता द्वारा पीठ को यह सूचित करने के बाद आदेश पारित किया कि पुरी में गोवर्धन मठ के शंकराचार्य ने एक हलफनामा दायर किया है कि अविमुक्तेश्वरानंद की ज्योतिष पीठ के नए शंकराचार्य के रूप में नियुक्ति का समर्थन नहीं किया गया है.
स्वामी अविमुक्तेश्वरानंद सरस्वती को उत्तराखंड में ज्योतिष पीठ का नया शंकराचार्य बनाने के मामले में पीठ ने कहा – ‘अर्जी में किये गये अनुरोध के मद्देनजर इस आवेदन को मंजूर किया गया है.’ उच्चतम न्यायालय एक याचिका पर सुनवाई कर रही थी, जिसमें आरोप लगाया गया है कि स्वामी अविमुक्तेश्वरानंद सरस्वती ने दिवंगत शंकराचार्य स्वामी स्वरूपानंद सरस्वती द्वारा ज्योतिष पीठ के उत्तराधिकारी के रूप में उन्हें नियुक्त किए जाने का झूठा दावा किया है. यह मामला 2020 से उच्चतम न्यायालय में लंबित है.
योग्यता पर उठाए गए थे सवाल
याचिका में कहा गया है कि यह सुनिश्चित करने का एक जानबूझकर प्रयास किया गया है कि इस अदालत के समक्ष कार्रवाई निष्फल हो जाए और एक व्यक्ति जो योग्य नहीं है और अपात्र है, अनधिकृत रूप से पद ग्रहण करता है. इसमें कहा गया है- ‘इस तरह के प्रयासों को अदालत के अंतरिम आदेश से रोकने की जरूरत है और इसलिए इस आवेदन को स्वीकार किया जा सकता है.’
याचिका में बताया गया शंकराचार्य नियुक्ति प्रक्रिया को गलत
याचिका में कहा गया है- ‘यह दिखाने के लिए आवश्यक दस्तावेज दाखिल किए जा रहे हैं कि नए शंकराचार्य की नियुक्ति पूरी तरह से झूठी है, क्योंकि यह नियुक्ति की स्वीकृत प्रक्रिया का पूर्ण उल्लंघन है.’