विकास काण्ड का चैप्टर क्लोज, ढेर हुआ दुर्दांत

The Emergency (India) - 1975 (1)

इंडिया व्यूज ब्यूरो न्यूज, कानपुर:  देश के सबसे प्रदेश में पिछले एक सप्ताह से चल रही चोर पुलिस खेल का शुक्रवार की भोर लगभग साढ़े छह बजे पटाक्षेप हो गया।
दो जुलाई को आठ पुलिस वालों को मौत की नींद सुलाने वाले दुर्दांत अपराधी विकास दुबे को यूपी एसटीएफ ने मार गिराया।
बताया जा रहा है कि उसकी कमर के नीचे गोली लगी थी। उसे अस्पताल लाया गया जहां डाॅक्टरों ने उसे मृत घोषित कर दिया। अस्पताल में मौके पर एसएसपी और आई जी मोहित अग्रवाल भी मौजूद रहे।
कानपुर के एसएसपी दिनेश कुमार प्रभु ने बताते हैं कि एसटीएफ की गाड़ी दुर्घटनाग्रस्त हुई थी। इस दौरान अपराधी विकास दुबे ने कार में सवार पुलिसकर्मी की पिस्टल छीनकर फायरिंग करते हुए भागने की कोशिश की। इसी बीच एसटीएफ की दूसरी गाड़ियां पहुंच गईं और पुलिस की जवाबी फायरिंग में विकास दुबे को गोली लगी। यह भी सामने आया है कि 4 पुलिसकर्मी घायल हुए हैं, इनमें एक इंस्पेक्टर, एक एएसआई और दो सिपाही शामिल हैं।
पहले कोरोना जांच फिर पोस्टमार्टम: पुलिस और प्रशासन के मुताबिक 5 लाख के इनामी विकास दुबे के शव की पहले कोरोना जांच की जाएगी इसके बाद पोस्टमार्टम किया जाएगा।
घायल पुलिसकर्मी, उर्सला अस्पताल रेफर: विकास दुबे के साथ हुई मुठभेड़ में नवाबगंज एसओ रमाकांत पचैरी समेत चार पुलिसकर्मी घायल हो गए। जहां दो की हालत गंभीर बताई जा रही है। सभी घायल पुलिसकर्मियों को कल्याणपुर सीएससी से उर्सला अस्पलात भेज दिया गया है।
पुलिस ने अपना काम किया: मध्य प्रदेश के गृह मंत्री नरोत्तम मिश्रा ने विकास दुबे के एनकाउण्टर पर कहा है कि कानून ने अपना काम कर दिया है। यह उन लोगों के लिए खेद और निराशा का विषय हो सकता है जिन्होंने आज विकास दुबे की मौत और कल उसकी गिरफ्तारी पर सवाल उठाए हैं।
सबूतों का भी एनकाउण्टर: समाजवादी पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष अखिलेश यादव ने ट़वीट कर कहा कि विकास दुबे के साथ उन सभी सबूतों, साक्ष्यों का भी एनकाउंटर हो गया जिससे अपराधियों, पुलिस और सत्ता में बैठे उसके संरक्षकों का पर्दाफाश होता।
प्रियंका का तंज: कांग्रेस महसचिव प्रियंका गांधी ने ट्वीट कर कहा कि अपराधी का अंत हो गया, अपराध और उसको संरक्षण देने वाले लोगों का क्या?
भरा है पूरा परिवार
दशकों से यूपी में अपराध का राज कायम करने वाले गैंगस्टर विकास दुबे का परिवार काफी बड़ा है और उसकी पत्नी राजनीति में हाथ आजमा चुकी है। विकास के परिवार में उसके बूढ़े माता-पिता, भाई-बहन और बच्चे भी हैं। कह सकते हैं कि उसका भरा पूरा परिवार है। अपराध की दुनिया ने उसकी जिन्दगी को तबाह ही कर दिया। विकास के परिवार में उसकी पत्नी और उसके दो बेटे हैं। विकास के दो बेटे आकाश और शानू है। बड़ा बेटा आकाश विदेश में मेडिकल की पढ़ाई कर रहा है, जबकि छोटा बेटा शानू फिलहाल इण्टरमीडिएट में पढ़ रहा है। वो लखनऊ में अपनी मां ऋचा के साथ रहता था।
विकास के बुजुर्ग माता-पिता अपने बेटों के साथ रहते हैं। जानकारी के अनुसार पिता राम कुमार दुबे कानपुर के बिकरू में ही रहते हैं। और उसी घर में रह रहते थे, जहां पुलिस और विकास दुबे के बीच 2 जुलाई की रात मुठभेड़ हुई थी। वहीं उसकी मां सरला देवी भी हैं, जो लखनऊ में रहती हैं। बताया जा रहा है कि एनकाउंटर के बाद उसकी मां दूसरे बेटे के घर चली गई थी।
पत्नी बच्चे, मां बाप के अलावा विकास का एक छोटा भाई भी है दीप प्रकाश दुबे। दीप प्रकाश और उसकी पत्नी अंजलि दुबे के साथ उसकी मां सरला देवी रह रहती हैं। वहीं विकास की दो बहनें रेखा और किरण की मौत हो चुकी है, जबकि एक और छोटी बहन चंद्रकांता दुबे शिवली में रहती है।
गैंग की गलियों में गोली ही मंजिल है

-अपराध की दुनिया के गैंगवारों में
खो चुके हैं अनेक चिराग
ब्यूरो संवाददाता, वाराणसी: विकास दुबे के एनकाउण्टर ने अपराध की दुनिया में कदम रखने वाले युवाओं को बहुत बड़ी सीख दी है। यदि वो समझें तो इसके बहुत से निहितार्थ निकलते हैं। ऐसे ना जाने कितने ही विकास गैंग की गलियों में अपना घोंसला छोड़ दिये और गोलियों को मंजिल के रूप में चुन लिये।
बुजुर्गों ने बचपन से ही हमेशा गलत और अपराध के रास्ते पर ना जाने की सलाह दी है। अपराध का रास्ता हमेशा पुलिस अथवा गैंग की गोलियों के रास्ते मौत की गलियों में खत्म होता है। और अगर सत्ता तक पहुंच हो तो जेलों में जिन्दगी कटती है। ऐसे ना जाने कितने ही घरों के चिराग जो मेधावी थे, उनमें कुछ कर गुजरने की ख्वाहिश थी, लेकिन वे असमय ही तेज रफ्तार से आगे बढ़ने की गुंजाइश में बुझ गए।
गैंगों की दुनिया की चमक दमक से दिशाहीन होने वाले अनेक मेधावी युवा वर्तमान समय में दूसरे युवाओं के लिए बहुत बड़ी सीख भी दे रहे हैं। उन युवाओं ने गलत रास्ता चुना और तेज आगे बढ़ने के चक्कर में अपनों के हाथों अपनों का ही शिकार बन गए। ऐसे दर्जनों उदाहरण पड़े हैं। बहुत से बदमाशों के घरों में आज लोग एक एक दाने को तरस रहे हैं। समाज में उनको कोई पूछने वाला नहीं है। ना ही कोई काम देने वाला है। जैसे तैसे घर चल रहा है। वैसे तो गैंगस्टर जगत की राष्ट्रीय राजधानी तो मुम्बई रही है, लेकिन हम अपने शहर बनारस और आस पास की ही बातें करेंगे। यहां जैतपुरा थानांतर्गत ईश्वरगंगी मोहल्ले का निवासी सुरेश गुप्ता किसी जमाने में कभी बनारस के एक डिप्टी मेयर का बेहद करीबी था। उसी डिप्टी मेयर के साथ रहने वाला प्रेम प्रकाश उर्फ मुन्ना बजरंगी भी उसकी बातों को मना नहीं कर सकता था। उसकी बढ़ती ताकत सबको डरा धमका कर रखती थी। सुरेश ने अपना पूरा जीवन गैंग को बढ़ाने में खपा दिया।
दिन बीते तो जरूरतों के आधार पर मुन्ना बजरंगी ने ईश्वरगंगी मोहल्ला छोड़ दिया। फिर उसने अपना गैंग बनाया। जिसका परिणाम यह हुआ कि उसी के शूटरों ने एक जमाने में उसी के साथ काम करने वाले सुरेश गुप्ता को किनारे लगा दिया। मतलब हत्या कर दी गयी। पुलिस के दस्तावेजों के अनुसार वर्ष 2003 में बजरंगी गैंग के शूटरों ने सुरेश गुप्ता की हत्या कर दी थी। इसी साल बजरंगी गैंग से नाखुश चल रहे रिंकू गुप्ता ने अपने ही गैंग के महेश यादव को गोलियों से भून दिया। ऐसा ही हाल सभासद मंटू यादव का भी हुआ। उसे दिसंबर 2003 को सिगरा में उसके नजदीकियों ने ही गोली मार दी थी।
बजरंगी गैंग के करीबी रहे सभासद बंशी यादव की हत्या जिला कारागार के द्वार पर मार्च 2004 को गैंग के ही अन्नू त्रिपाठी और बाबू यादव ने कर दी थी। जबकि इसी गैंग से जुड़े रहे सभासद मंगल प्रजापति को दिसंबर 2005 में उसके ही लोगों ने मारा दिया। मंगल के बाद उसी वार्ड के सभासद राकेश उर्फ लंबू भी मई 2007 को भी अपनों ने ही अपना निशाना बना लिया। बताते चलें कि उसे घर से बुलाकर गोली मारी गई थी। दालमंडी में भी कई लोग अपनों के धोखे के शिकार हुए। बात चाहे दिन दहाड़े हुई सभासद कमाल की हत्या की हो या दालमंडी में चर्चित छोटे मिर्जा की हत्या की। इसी प्रकार चर्चित गैंगस्टर काले अन्नू को भी उसके ही अपनों ने रामनगर क्षेत्र में हत्या कर उसकी लाश फेंक दी थी। ऐसे ही दालमंडी के ही गैंगस्टर राजू बम की हत्या कर अलईपुरा के रेलवे ट्रैक पर फेंक दिया गया था।
ऐसे ही ब्रजेश गैंग से जुड़े ठेकेदार सुनील सिंह, गुड्डू सिंह, पप्पू सिंह, बिहार के कोल किंग राजीव सिंह भी अपनोंके शिकार हो गया।
अपराध की दुनिया के दो चर्चित नाम मुख्तार अंसारी और बजरंगी के शूटर रमेश उर्फ बाबू यादव के जुलाई 2008 को शास्त्री नगर, सिगरा में मारे जाने के बाद आज की तारीख में भी परिवार की कोई खबर लेने वाला नहीं है। सिद्धगिरी बाग में गैंगवॉर के दौरान उसी शाम बाबू को गोली लगी और भागते समय सिगरा में वो पुलिस की गोली का निशाना बन गया था।
वर्ष 2014 के अगस्त महीने में मिर्जापुर जनपद के अहरौरा के एक आश्रम के पास हुए गैंगवार की कहानी आज भी लोगों के जुबाँ पर ताजी ही है। मुम्बई में एनकाउंटर में मारे गए मुन्ना बजरंगी के कुख्यात सुपारी शूटर कृपा चैधरी का दामाद और 50 हजार का इनामी राजेश चैधरी इसी गैंगवॉर में अपने 2 अन्य साथियों के साथ मारा गया था। पुलिस दस्तावेजों के अनुसार राजेश तब तक अपराध की दुनिया को अलविदा कह चुका था। अपराध और गैंग छोड़कर वो जमीन का कारोबार करने लगा था। उसके साथ मारा गया कल्लू पांडेय दौलतपुर के एक इज्जतदार खानदान का लड़का था। उसने इंजीनियरिंग की पढ़ाई की थी। लेकिन दुर्भाग्य से अपराध की दुनिया में उसका भी काला इतिहास जुड़ गया था।
ऐसी ही एक घटना 2012 की है। इसमें हनी गैंग के गुर्गे लूट के माल के बंटवारे को लेकर आपस में खूनी रंजिश कर लिए। इसका परिणाम यह हुआ कि रंजीत गौड़ उर्फ बाड़ू और एक अन्य युवक को मारकर उसकी लाश पास की बन रही सड़क में दफना दिया गया था। जब सड़क बनाने के लिए खोदी गयी तो मामला खुला। बताते चलें कि बाड़ू का पिता रिक्शा चालक था। उसकी मां पेट पालने के लिए कपड़े धोती थी। माँ बाप अपने बेटे की खबर लेने के लिए कई दिनों तक सरकारी चैखटों पर नाक रगड़ी थी।
बहुत मशक्कत के बाद पता भी चला तो किस हालत में! उसके बेटे की लाश को जेसीबी से खोदकर निकाला गया। लाश की दुर्गंध से सबने नाक दबा ली थी। उसे पहचान पाना बहु मुश्किल था। घर के इकलौते चिराग से गरीबी ने बुढ़ापे में सहारे की उम्मीद लगाए रखी थी। लेकिन अपराध की दुनिया में उसके बहके कदमों ने उनके कंधे पर अर्थी का बोझ डाल दिया था।
अपराध की रेशमी दुनिया से परिवार भी खुश: जुलाई 2015 को एसटीएफ से मुठभेड़ में मारा गया रोहित सिंह उर्फ सनी भी इंजीनियरिंग का मेधावी छात्र था। नगवा क्षेत्र में उसके पिता भी मानिंद इंसान। अगर घर वाले चाहते तो सनी आराम से सुधर सकता था। लेकिन उसके घर से लेकर रिश्तेदार नातेदार किसी ने भी उसे न तो रोका और ना ही उसे समझाया। लोग इसका कारण यही बताते हैं कि सनी का अपराध जगत में बढ़ते कद के कारण जनपद के प्रमुख साइकिल स्टैंड के ठेके आदि रिश्तेदारों को मिल जाते थे। हजारों रुपयों की प्रतिदिन की चमक को कौन मिटाना चाहेगा। लेकिन लोग भूल गए कि अपराध की चमक बहुत कमजोर ही होती है।
शॉर्ट कट यानी कट शाॅट: पूर्वांचल में अपराध की दुनिया को कारपोरेट कल्चर का रूप यहीं के दो कुख्यात अपराधियों ने दिया। मुन्ना बजरंगी और अन्नू त्रिपाठी। इन्हीं दोनों ने शूटरों का प्रशिक्षण, उनसे तवख्वाह और इंसेंटिव का रिवाज फैलाया। ऐसे में युवाओं को पैसा कमाने का जैकपॉट नजर आता है। ये दुनिया उनको फैसिनेट करने लगती है। ना सुबह टाइम से दफ्तर पहुंचने की फिक्र और न ही किसी टारगेट को अचीव करने की टेंशन। बिना कुछ किये ब्रांडेड जीन्स, जूते, महंगे मोबाइल, सब तो आसानी से उपलब्ध हो जाये तो युवा क्यों खटेगा। क्यों पसीना बहाएगा। क्यों बॉस की डाँट सुनेगा?
एक बार अपने मेहनती माँ बाप को देखो: अपराध की दुनिया में आसानी से मिलने वाला ऐश और कैश युवाओं खुनों को बर्बाद को कर रहा है। उनको ये सोचना चाहिए कि उनके जेल या ऊपर जाने के बाद परिवार को किन जलालतों का सामना करना पड़ता है। परिवार को जिन्दगी भर रोना पड़ता है, कुछ पल या कुछ दिन के ऐश और कैश के बदले।

Facebook
WhatsApp
Twitter
LinkedIn

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *