पत्रकार राघवेंद्र बाजपेयी के हत्यारों तक पहुंचने के लिए एसओजी व एसटीएफ की टीमों ने पांच महीने तक शूटरों का पीछा किया। दोनों शूटर नोएडा से हरदोई आए थे।

मुठभेड़ के दौरान इसी बाइक से भाग रहे थे बदमाश। पास पड़ी आरोपियों की पिस्टल और कार्बाइन – फोटो :

पत्रकार राघवेंद्र बाजपेयी की आठ मार्च को हुई हत्या के मामले में आखिरकार पुलिस को सफलता मिल गई। जेल भेजे गए तीन आरोपियों से पूछताछ में दो शूटरों के नाम सामने आए थे।
पुलिस टीमों ने घेराबंदी की और मुठभेड़ में शूटरों को ढेर कर दिया। पुलिस सूत्रों के अनुसार 8 मार्च को वारदात के बाद से ही एसओजी की स्वॉट, सर्विलांस और नारकोटिक्स टीमें शूटरों की तलाश में जुट गईं। शूटरों के नोएडा के एक इलाके में होने की जानकारी मिली थी।

राघवेंद्र की हत्या में आठ अंक का अजब संयोग है। आठ मार्च को उनकी हत्या हुई। राघवेंद्र की हत्या से लेकर शूटरों के एनकाउंटर तक आठ ही गोलियों का इस्तेमाल हुआ। चार गोलियां राघवेंद्र को लगीं और चार ही गोलियों में दोनों शूटर भी ढेर हो गए। राघवेंद्र की बाइक का नंबर भी 8005 है। आठवें महीने में पुलिस ने आरोपियों को मार गिराया। आठ अगस्त को ही शूटरों का अंतिम संस्कार होगा।
नाजिमा से शादी कर कृष्ण गोपाल तिवारी बन गए थे करीम खान
अटवा निवासी 95 वर्षीय रामप्रसाद शुक्ला ने बताया कि शूटरों के पिता कृष्ण गोपाल तिवारी को नाजिमा से प्रेम हो गया था। नाजिमा के प्यार में पड़ कर उन्होंने अपना नाम करीम खान रख लिया था। कृष्ण गोपाल ने नाजिमा से विवाह नहीं किया था। बस दोनों साथ रहते थे। दोनों से तीन पुत्र संजय, राजू व राहुल हुए। पुत्री की मौत हो गई थी।
