Varanasi News: बीएचयू के नए कुलपति ने प्रो. अजीत कुमार चतुर्वेदी ने कहा कि एक समय ऐसा आएगा कि हर साल 10-10 रिसर्च पेपर नेचर जैसे जर्नल में छपेंगे।

बीएचयू के नए कुलपति ने प्रो. अजीत कुमार चतुर्वेदी ने बृहस्पतिवार को अमर उजाला से बातचीत में कहा कि शोध कोई फैक्टरी का उत्पादन नहीं है जो तुरंत दिख जाए। इसमें समय लगता है। इसकी एक प्रक्रिया है। यदि निवेश किया गया है तो उसका लाभ मिलेगा। हो सकता है कि एक साल या फिर चार साल के बाद ही आए। एक समय ऐसा आएगा कि हर साल 10-10 रिसर्च पेपर नेचर जैसे जर्नल में छपेंगे। हालांकि कुलपति प्रो. चतुर्वेदी ने कई सवालों के जवाब में ये ही कहते नजर आए कि अभी मैं ये नहीं जानता या पहली बार सुन रहा हूं। यदि ऐसा है तो बातचीत की जाएगी। अप्रासंगिक कोर्स से बीएचयू की बिगड़ती छवि के सवाल पर चिंता जताई और कहा कि प्रक्रिया के तहत इन्हें चिह्नित कर हटाया जाएगा।
सवाल – बीएचयू में 1000 करोड़ का आईओई फंड आवंटित हुआ और काफी हद तक सबमें बंट भी गया लेकिन कोई भी रिसर्च पेपर नेचर जैसे सुप्रतिष्ठित जर्नल में प्रकाशित नहीं हुआ। लेकिन इस पर आप क्या करेंगे।
जवाब – शोध कोई फैक्टरी का उत्पादन कार्य नहीं है। एकेडमिक कैंपस में सिर्फ फंडिंग का मुद्दा नहीं होता है। पैसा आ गया है, उसका इस्तेमाल हो गया लेकिन फायदा नहीं हुआ ऐसा नहीं है। कई सारी चीजें एक साथ चलती हैं। पूरा भरोसा है कि निवेश का लाभ मिलेगा लेकिन ये नहीं कह सकते छह महीने में काम करके नेचर में रिसर्च छाप लें। ऐसा वातावरण बनाए कि बीएचयू में उच्च कोटि का शोध हो सके। ऐसा नहीं है कि उत्तर से दक्षिण तक हम 10 बेहतर छात्रों का चयन करें। तब कुछ अच्छा होगा। उन्हें अच्छे उपकरण, सुविधा और गाइडेंस दें।
सवाल – कुछ ऐसे कोर्स हैं जिनकी फीस ज्यादा हैं लेकिन कोर्स को लेकर गंभीरता कम हैं। सीटें नहीं भरीं तो पढ़ाई कम होती है और छात्र बाहर जाकर बीएचयू को बदनाम करता है। इससे बीएचयू की छवि और धारणा खराब होती है। आप कैसे निपटेंगे।
जवाब – जो भी कोर्स बच्चों के लिए ठीक नहीं है वो यहां पर नहीं चलेंगे। लेकिन देखना होगा कि कौन से ऐसे कोर्स हैं जिनमें बच्चों की रुचि नहीं है। ऐसे कोर्स को चिह्नित कर एकेडमिक काउंसिल और एग्जीक्यूटिव काउंसिल की प्रक्रिया के माध्यम से हटाया जाएगा। परसेप्शन और इमेज बहुत जरूरी होता है। प्रोफेसरों से मेहनत कराने से पहले मुझे मेहनत करनी है। बीएचयू की मजबूती अंदर न दबकर रह जाए। ऐसी बहुत सी चीजें अच्छी हैं, जो कि अभी तक बाहर नहीं आ पाईं हैं। उसे बाहर लाया जाएगा।
जवाब – मुझे पहली बार ऐसा पता चला। संकाय और प्रोफेसरों से बातचीत कर समस्या का पता लगाएंगे कि ये जागरूकता और संसाधनों का अभाव है या कोर्स प्रासंगिकता या रोजगार की दिक्कत है। वहीं इन कोर्स की प्रक्रिया के बारे में मुझे कोई जानकारी नहीं है।
सवाल – आप अगले तीन साल तक बीएचयू को संचालित करने के लिए आईओई जैसा ही कोई फंड लेकर आएंगे।
जवाब – इसके बारे में कुछ भी नहीं कह सकता। कुछ दिन समझना होगा।
सवाल – बीएचयू अस्पताल में मरीजों की जांच एक ही प्लेटफॉर्म पर हो, कई वर्ष से ऐसी समस्या है तो इसके लिए क्या कर सकते हैं।
जवाब – मरीजों को ये समस्या आ रही है तो इसको देखना होगा। मुझे इसका आइडिया नहीं है, लेकिन इस व्यवस्था को बदलने की जरूरत है।