Stray Dogs: ‘बेजुबान जीव कोई समस्या नहीं, जिसे मिटाया जा सके’, आवारा कुत्तों को लेकर ‘सुप्रीम’ फैसले पर राहुल

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इससे पहले न्यायमूर्ति जेबी पारदीवाला और जस्टिस आर महादेवन की पीठ ने कई निर्देश जारी किए थे। उन्होंने आवारा कुत्तों को पकड़ने के काम में अड़ंगा लगाने वाले किसी भी व्यक्ति या संगठन के खिलाफ सख्त कार्रवाई की चेतावनी दी थी। कोर्ट ने चेतावनी दी थी कि ऐसे लोगों के खिलाफ अदालत अवमानना कार्यवाही भी शुरू कर सकती है।

voiceless souls are not problems to be erased, Rahul Gandhi on Supreme Court decision regarding stray dogs
राहुल गांधी, नेता, कांग्रेस – फोटो : X 

दिल्ली और असपास के इलाकों से आवारा कुत्तों को हटाने के सुप्रीम कोर्ट के फैसले पर लोकसभा में विपक्ष के नेता और कांग्रेस सांसद राहुल गांधी ने अपनी प्रतिक्रिया दी है। उन्होंने ‘एक्स’ पर ट्वीट किया, ‘दिल्ली-एनसीआर से सभी आवारा कुत्तों को हटाने का सुप्रीम कोर्ट का निर्देश दशकों से चली आ रही मानवीय और विज्ञान-समर्थित नीति से एक कदम पीछने हटने जैसा है। ये बेजुबान जीव कोई समस्या नहीं हैं, जिन्हें मिटाया जा सके। आश्रय, नसबंदी, टीकाकरण और सामुदायिक देखभाल सड़कों को बिना किसी क्रूरता के सुरक्षित रख सकते हैं। ब्लैंकेट रीमूवल (पूरी तरह से हटा देना) क्रूर, अदूरदर्शी है। यह हमारी करुणा को खत्म करता है। हम यह सुनिश्चित कर सकते हैं कि जन सुरक्षा और पशु कल्याण साथ-साथ चलें।’

राहुल की यह टिप्पणी सुप्रीम कोर्ट की ओर से दिल्ली-एनसीआर के अधिकारियों को जल्द से जल्द सभी आवारा कुत्तों को सड़कों से स्थायी रूप से आश्रय स्थलों में स्थानांतरित करने का निर्देश देने के एक दिन बाद आई। शीर्ष अदालत ने कहा था कि आवारा कुत्तों के काटने से रेबीज होने की वजह से स्थिति बेहद गंभीर हो गई है। खासकर छोटे बच्चे इससे सबसे ज्यादा प्रभावित हैं। कोर्ट ने यह भी कहा कि समय के साथ कुत्तों के आश्रयों की संख्या बढ़ानी होगी। इसके साथ ही शीर्ष अदालत ने दिल्ली के अधिकारियों को छह से आठ हफ्तो में लगभग 5,000 कुत्तों के आश्रय स्थल बनाने का निर्देश दिया।

‘क्या रेबीज के शिकार बच्चों को वापस ला पाएंगे?’
बीते दिन पीठ ने कहा था, ‘अगर कोई व्यक्ति या संगठन आवारा कुत्तों को पकड़कर उन्हें इकट्ठा करने वाले ऐसे बल के आड़े आता है और अगर हमें इसकी सूचना दी जाती है, तो हम ऐसे किसी भी प्रतिरोध के खिलाफ सख्त कार्रवाई करेंगे।’ पीठ ने आगे टिप्पणी की कि क्या पशु कार्यकर्ता और तथाकथित प्रेमी रेबीज के शिकार बच्चों को वापस ला पाएंगे? पीठ ने कहा, ‘क्या वे उन बच्चों को जीवन वापस दे पाएंगे? जब परिस्थिति की मांग हो, तो आपको कार्रवाई करनी होगी।’

बीते दिन कोर्ट में क्या हुआ था?
शीर्ष अदालत राष्ट्रीय राजधानी में आवारा कुत्तों के काटने से रेबीज होने के मामले में 28 जुलाई को स्वतः संज्ञान लेते हुए शुरू किए गए एक मामले की सुनवाई कर रही थी। शीर्ष अदालत ने सोमवार को दिल्ली सरकार और गुरुग्राम, नोएडा और गाजियाबाद के नगर निकायों को सभी आवारा कुत्तों को हटाकर आश्रय स्थलों में रखने का निर्देश दिया। पीठ ने कुत्तों के आश्रय स्थलों में कुत्तों की देखभाल के अलावा टीकाकरण आदि काम समेत पर्याप्त कर्मचारी रखने का आदेश दिया था। कोर्ट ने इन केंद्रों पर सीसीटीवी निगरानी रखने के निर्देश दिए थे।

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