
उत्तर प्रदेश के स्वास्थ्य विभाग से जुड़ा एक चौंकाने वाला मामला सामने आया है। यहां ‘अर्पित सिंह’ नाम से छह जिलों में अलग-अलग पदों पर नौकरी करते हुए लाखों रुपये की सैलरी निकाली जाती रही। अब यह फर्जीवाड़ा उजागर होने पर विभाग में हड़कंप मचा हुआ है।
कैसे खुला मामला?
सूत्रों के मुताबिक, 2016 में हुई X-रे टेक्नीशियन भर्ती में “अर्पित सिंह, पुत्र अनिल कुमार सिंह” नाम शामिल था। इसी नाम का इस्तेमाल कर छह अलग-अलग जिलों—फर्रुखाबाद, बांदा, बलरामपुर, बदायूं, रामपुर और शामली—में नियुक्तियां दिखा दी गईं।
महीनों तक इन जगहों से वेतन निकाला जाता रहा। अनुमान है कि अब तक करीब ₹4.5 करोड़ रुपये का भुगतान हो चुका है।
जांच में सामने आया सच
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यह घोटाला RTI के जरिए सामने आया, जिसके बाद CMO ने सभी जिलों से संबंधित दस्तावेज तलब किए।
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जांच में पता चला कि एक ही नाम से कई जिलों में अलग-अलग लोग काम कर रहे थे।
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FIR दर्ज की गई है और पूरे प्रकरण की जांच तेज हो गई है।
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सरकार ने संकेत दिए हैं कि इस मामले की CBI जांच भी कराई जा सकती है।
क्यों गंभीर है मामला?
यह फर्जीवाड़ा सिर्फ सरकारी पैसे की चोरी नहीं है, बल्कि भर्ती प्रक्रिया और डॉक्यूमेंट वेरिफिकेशन सिस्टम की बड़ी खामियों को भी उजागर करता है। नौ साल तक इस तरह की गड़बड़ी चलती रही और किसी को पता तक नहीं चला।
‘अर्पित सिंह’ घोटाले ने यूपी स्वास्थ्य विभाग की कार्यप्रणाली पर गंभीर सवाल खड़े कर दिए हैं। सरकार ने जांच का आदेश दे दिया है, लेकिन यह मामला इस बात का सबूत है कि जब तक भर्ती और भुगतान प्रक्रिया में पारदर्शिता और निगरानी नहीं होगी, ऐसे घोटाले बार-बार होते रहेंगे।