अलास्का के ग्लेशियर बे में अलसेक ग्लेशियर के पिघलने से प्रो नॉब नामक नया द्वीप बन गया. नासा की लैंडसैट 9 तस्वीरों से पता चला कि ग्लेशियर 2025 में पहाड़ से अलग हो गया. यह जलवायु परिवर्तन का संकेत है. ग्लेशियर के पीछे हटने से अलसेक झील बनी. यह पर्यावरण संरक्षण की जरूरत बताता है.

अलसेक ग्लेशियर और प्रो नॉब का जन्म
अलास्का के दक्षिण-पूर्वी हिस्से में एक नया द्वीप पैदा हो गया है. नासा के सैटेलाइट लैंडसैट 9 की अगस्त 2025 की तस्वीरों से पता चला कि अलसेक ग्लेशियर के पतले होने और पीछे हटने का स्पष्ट उदाहरण है.
अलास्का का ग्लेशियर बे नेशनल पार्क में अलसेक ग्लेशियर एक बड़ा बर्फ का मैदान था. यह ग्लेशियर प्रो नॉब नामक एक छोटे पहाड़ को घेर रखा था, जिसका क्षेत्रफल लगभग 2 वर्ग मील (5 वर्ग किलोमीटर) है. ग्लेशियर के दो हिस्से पहाड़ के चारों ओर बहते थे. लेकिन दशकों से ग्लेशियर पिघल रहा है. अब यह पहाड़ से पूरी तरह अलग हो गया. नासा की तस्वीरों से पता चला कि 13 जुलाई से 6 अगस्त 2025 के बीच ग्लेशियर का बर्फीला संपर्क टूट गया. प्रो नॉब एक नया द्वीप बन गया.

प्रो नॉब का नाम ग्लेशियोलॉजिस्ट ऑस्टिन पोस्ट ने रखा था, क्योंकि यह जहाज के आगे के हिस्से (प्रो) जैसा दिखता है. 1960 में पोस्ट ने इसकी हवाई तस्वीरें थीं. उन्होंने और उनके साथी मॉरी पेल्टो ने अनुमान लगाया था कि 2020 तक ग्लेशियर पहाड़ से अलग हो जाएगा. लेकिन ग्लेशियर ने थोड़ा ज्यादा समय लिया. अब अलसेक झील नामक एक बड़ा मीठे पानी का तालाब बन गया है, जो ग्लेशियर के पीछे हटने से बना है.
ग्लेशियर के पिघलने का कारण
अलास्का के दक्षिण-पूर्वी तटीय मैदानों में बर्फ तेजी से पानी में बदल रही है. ग्लेशियर पतले हो रहे हैं. पीछे हट रहे हैं. नासा की साइंस राइटर लिंडसे डोएरमैन ने कहा कि अलास्का में पानी बर्फ की जगह ले रहा है. ग्लेशियर पिघलकर प्रो-ग्लेशियल झीलें बना रहे हैं. प्रो नॉब ऐसी ही एक झील में उभरा द्वीप है.
20वीं सदी की शुरुआत में अलसेक ग्लेशियर अलसेक झील के पार और गेटवे नॉब (3 मील पश्चिम) तक फैला था. लेकिन ग्लोबल वॉर्मिंग के कारण ग्लेशियर तेजी से पिघल रहे हैं.

जलवायु परिवर्तन का असर
यह नया द्वीप जलवायु परिवर्तन का स्पष्ट संकेत है. ग्लोबल वॉर्मिंग से ग्लेशियर पिघल रहे हैं, जिससे समुद्र का स्तर बढ़ रहा है. अलास्का में सैकड़ों ग्लेशियर पीछे हट रहे हैं. प्रो नॉब का अलग होना ग्लेशियर के पतले होने का उदाहरण है. वैज्ञानिक कहते हैं कि इससे स्थानीय पारिस्थितिकी तंत्र प्रभावित होगा. जैसे जानवरों का आवास बदलना. नासा की यह खोज हमें चेतावनी देती है कि पृथ्वी का तापमान बढ़ रहा है. इसके परिणाम गंभीर होंगे.
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