जयशंकर-रुबियो मुलाकात: एच-1बी वीज़ा और व्यापार टैरिफ पर छाया तनाव, भारत-अमेरिका रिश्तों में संतुलन साधने की कोशिश

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संयुक्त राष्ट्र महासभा (UNGA) के दौरान भारत और अमेरिका के बीच कूटनीतिक गतिविधियां तेज हो गई हैं। इसी क्रम में भारत के विदेश मंत्री एस. जयशंकर ने न्यूयॉर्क में अमेरिका के विदेश मंत्री मार्को रुबियो से मुलाकात की। दोनों नेताओं के बीच हुई इस बैठक में हाल ही में बढ़े एच-1बी वीज़ा शुल्क और व्यापारिक टैरिफ को लेकर उभरे तनाव पर विशेष चर्चा हुई।

एच-1बी वीज़ा शुल्क बना विवाद का मुद्दा

अमेरिका ने हाल ही में एच-1बी वीज़ा आवेदन शुल्क में भारी बढ़ोतरी की है। नई व्यवस्था के तहत वीज़ा आवेदन की लागत लगभग ₹88 लाख तक पहुंच गई, जो 21 सितंबर 2025 से प्रभावी हो चुकी है। इस फैसले ने भारत समेत उन सभी देशों को चिंता में डाल दिया है, जिनके उच्च कौशल वाले पेशेवर बड़ी संख्या में अमेरिका जाकर काम करते हैं। भारतीय आईटी और टेक कंपनियों के लिए यह फैसला भारी वित्तीय बोझ साबित हो सकता है।

व्यापार टैरिफ पर बढ़ा दबाव

बैठक में व्यापारिक संबंधों को लेकर भी तनाव का मुद्दा उठा। हाल के महीनों में दोनों देशों के बीच आयात-निर्यात शुल्क को लेकर मतभेद गहराए हैं। अमेरिकी प्रशासन ने कुछ भारतीय उत्पादों पर अतिरिक्त शुल्क लगाने का फैसला किया है, जबकि भारत ने भी इसके जवाब में कुछ अमेरिकी वस्तुओं पर टैरिफ बढ़ाया है। इस कारण से व्यापार संतुलन पर दबाव बन रहा है और द्विपक्षीय व्यापारिक रिश्तों में खटास आने की आशंका है।

समाधान की तलाश में कूटनीति

जयशंकर और रुबियो के बीच हुई बातचीत में इस बात पर सहमति जताई गई कि इन चुनौतियों का समाधान केवल संवाद और परस्पर सहयोग के जरिए ही संभव है। भारत ने स्पष्ट किया है कि वीज़ा शुल्क में अचानक की गई इस वृद्धि से उसके आईटी उद्योग और अमेरिका में काम कर रहे हजारों भारतीय पेशेवरों पर प्रतिकूल असर पड़ेगा। वहीं, अमेरिका ने व्यापारिक टैरिफ को लेकर अपनी चिंताएं सामने रखीं।

वॉशिंगटन में वाणिज्य मंत्री की मौजूदगी

इसी बीच भारत की वाणिज्य मंत्री भी वॉशिंगटन में हैं, जहां वह अमेरिकी अधिकारियों के साथ चल रही व्यापार वार्ताओं में हिस्सा ले रही हैं। माना जा रहा है कि इन बैठकों का मुख्य एजेंडा वीज़ा शुल्क और टैरिफ से जुड़े विवादों को सुलझाने पर केंद्रित है। विशेषज्ञों का मानना है कि अगर जल्द ही समाधान नहीं निकला, तो यह तनाव द्विपक्षीय संबंधों की गति को धीमा कर सकता है।

भारत-अमेरिका संबंधों की अहम परीक्षा

यह पूरा विवाद ऐसे समय में सामने आया है जब भारत और अमेरिका रणनीतिक साझेदारी को नई ऊंचाइयों पर ले जाने की बात कर रहे हैं। रक्षा, प्रौद्योगिकी और इंडो-पैसिफिक क्षेत्र में सहयोग को लेकर दोनों देशों के बीच प्रगाढ़ता बढ़ रही है। लेकिन एच-1बी वीज़ा और व्यापार टैरिफ जैसे मुद्दे रिश्तों में असहजता ला सकते हैं।

कुल मिलाकर, जयशंकर और रुबियो की यह मुलाकात इस बात का संकेत है कि भारत और अमेरिका मौजूदा मतभेदों को सुलझाने की दिशा में सक्रिय हैं। हालांकि, आने वाले हफ्तों में होने वाली व्यापार वार्ताएं और कूटनीतिक बातचीत ही तय करेंगी कि दोनों देश इस संकट को किस तरह संतुलित करते हैं।

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