
बिहार विधानसभा चुनाव 2025 में जैसे-जैसे नामांकन और सीट बंटवारे की प्रक्रिया आगे बढ़ रही है, वैसे-वैसे महागठबंधन (INDIA ब्लॉक) के भीतर गड़बड़ी और अंतर्कलह खुलकर सामने आने लगी है। कुल 243 विधानसभा सीटों वाली बिहार की राजनीति में महागठबंधन ने 254 उम्मीदवार मैदान में उतार दिए हैं — यानी कुछ सीटों पर सीधा साथी बनाम साथी का मुकाबला होने जा रहा है। इससे सवाल उठने लगे हैं कि एनडीए को घेरने की रणनीति बनाते-बनाते क्या तेजस्वी यादव खुद अपने गठबंधन को मुश्किल में डाल रहे हैं?
🔹 महागठबंधन में तालमेल की कमी
महागठबंधन में आरजेडी, कांग्रेस, वामदल, हम, और अन्य छोटे दल शामिल हैं। लेकिन सीट बंटवारे को लेकर कई जगहों पर स्पष्ट समन्वय नहीं दिखा। आरजेडी और कांग्रेस दोनों ने कुछ समान सीटों पर अपने-अपने प्रत्याशी उतार दिए हैं। इससे कार्यकर्ताओं और समर्थकों में भ्रम की स्थिति बन गई है।
कांग्रेस ने दावा किया कि “कई सीटों पर पहले से सहमति बनी थी, लेकिन आरजेडी ने एकतरफा फैसला लेकर अपने उम्मीदवार खड़े कर दिए।” वहीं, आरजेडी नेताओं का कहना है कि “कांग्रेस को तय सीमा से अधिक टिकट चाहिए थे, जो संभव नहीं था।”
🔹 तेजस्वी यादव की मुश्किलें बढ़ीं
गठबंधन की सबसे बड़ी पार्टी आरजेडी के नेता तेजस्वी यादव अब इस असंतुलन से घिरे नजर आ रहे हैं। वे एनडीए के खिलाफ आक्रामक चुनावी प्रचार कर रहे हैं, लेकिन साथ ही गठबंधन के अंदरूनी मतभेद को संभालना भी उनके लिए चुनौती बन गया है।
राजनीतिक विश्लेषकों का कहना है —
“तेजस्वी की रणनीति एनडीए को कमजोर करने की थी, लेकिन सीटों की अधिकता और असहमति से खुद महागठबंधन कमजोर दिख रहा है। अगर यह विवाद बढ़ा तो वोटों का बंटवारा तय है।”
🔹 कांग्रेस और वामदलों में भी असंतोष
कांग्रेस को जहां 70 सीटों की उम्मीद थी, वहां उसे करीब 60 सीटें ही मिलीं। वामदलों के कुछ नेताओं ने भी सार्वजनिक रूप से नाराजगी जताई है। कई जगहों पर बगावत के सुर सुनाई दे रहे हैं, जहां असंतुष्ट उम्मीदवार निर्दलीय के रूप में नामांकन कर रहे हैं।
🔹 एनडीए का फायदा तय?
विपक्ष की इस अंदरूनी जंग का सीधा फायदा एनडीए (NDA) को होता दिख रहा है। मुख्यमंत्री नीतीश कुमार और बीजेपी ने अपने उम्मीदवारों की सूची समय पर जारी कर दी और प्रचार भी तेज कर दिया है। एनडीए नेता लगातार यह तंज कस रहे हैं कि “महागठबंधन में उम्मीदवार ज्यादा हैं, मतदाता कम।”
बीजेपी के एक वरिष्ठ नेता ने कहा —
“तेजस्वी यादव को पहले अपने गठबंधन को संभालना चाहिए, तभी वे एनडीए से लड़ पाएंगे।”
🔹 जनता का मूड
बिहार के मतदाताओं के बीच यह चर्चा जोरों पर है कि महागठबंधन का यह सीट बंटवारा विवाद चुनावी नतीजों पर गहरा असर डाल सकता है। ग्रामीण इलाकों में आरजेडी समर्थक मजबूत हैं, लेकिन कांग्रेस और वाम दलों की आपसी खींचतान वोट बैंक के विभाजन का कारण बन सकती है।
🔹 निष्कर्ष
बिहार चुनाव 2025 में महागठबंधन का 254 उम्मीदवारों वाला गणित अब राजनीतिक सिरदर्द बनता जा रहा है। एनडीए को घेरने की कोशिश में महागठबंधन के नेता खुद एक-दूसरे के वोट काटने की स्थिति में पहुंचते दिख रहे हैं।
अब यह देखना दिलचस्प होगा कि क्या तेजस्वी यादव इस असंतुलन को समय रहते संभाल पाते हैं या फिर NDA को इसका पूरा फायदा मिल जाता है।