बंगाल में SIR से दहशत, लोग कर रहे आत्महत्या — TMC नेता कुणाल घोष ने BJP पर लगाया गंभीर आरोप

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पश्चिम बंगाल की राजनीति में एक नया विवाद गहराने लगा है।
टीएमसी के वरिष्ठ प्रवक्ता कुणाल घोष ने बीजेपी पर आरोप लगाया है कि
राज्य में लागू किए गए SIR (Special Investigation Review) के नाम पर
लोगों में भय और असुरक्षा का माहौल बनाया जा रहा है,
जिसके कारण कई लोग आत्महत्या जैसी घटनाओं को अंजाम दे रहे हैं।


🔹 क्या है पूरा मामला?

बीते कुछ हफ्तों से पश्चिम बंगाल के कई जिलों — खासकर
नादिया, मुर्शिदाबाद और बर्धमान — में
SIR नोटिस मिलने के बाद लोगों के आत्महत्या करने की घटनाएं सामने आई हैं।
स्थानीय लोगों का कहना है कि ये नोटिस बीजेपी शासित केंद्र की एजेंसियों से संबंधित हैं,
जो कथित रूप से राजनीतिक प्रतिशोध के तहत कार्रवाई कर रही हैं।


🔹 कुणाल घोष का बयान

टीएमसी नेता कुणाल घोष ने शनिवार को एक प्रेस कॉन्फ्रेंस में कहा —

SIR का इस्तेमाल बंगाल के लोगों को डराने और दबाव में लाने के लिए किया जा रहा है।
बीजेपी की अमानवीय राजनीति ने आम नागरिकों को आत्महत्या करने तक मजबूर कर दिया है।

उन्होंने आरोप लगाया कि SIR का कोई कानूनी आधार नहीं है,
बल्कि यह एक “राजनीतिक हथियार” बन चुका है,
जिसे राज्य सरकार के अधिकारियों, पंचायत सदस्यों और स्थानीय टीएमसी कार्यकर्ताओं के खिलाफ चलाया जा रहा है।


🔹 क्या है SIR?

SIR यानी Special Investigation Review
एक केंद्रीय जांच समन प्रणाली बताई जा रही है,
जिसका उद्देश्य “संदिग्ध वित्तीय या राजनीतिक गतिविधियों” की समीक्षा करना है।
हालांकि, टीएमसी का दावा है कि यह कानूनी रूप से मान्यता प्राप्त तंत्र नहीं है
और केंद्र सरकार इसे राज्य की स्वायत्तता में दखल देने के लिए इस्तेमाल कर रही है।


🔹 बीजेपी ने क्या कहा?

इस मामले में बीजेपी की ओर से राज्य प्रवक्ता समिक भट्टाचार्य ने जवाब देते हुए कहा —

“टीएमसी नेता झूठ और भ्रम फैलाने की कोशिश कर रहे हैं।
SIR कोई राजनीतिक अभियान नहीं, बल्कि कानूनी जांच प्रक्रिया है।
अगर किसी को डर लग रहा है, तो इसका मतलब है कि उसने कुछ गलत किया है।”

उन्होंने आगे कहा कि

“बीजेपी किसी निर्दोष को निशाना नहीं बना रही।
जांच एजेंसियां केवल कानूनी प्रक्रिया के तहत काम कर रही हैं।”


🔹 आत्महत्या की घटनाओं पर बढ़ी चिंता

हाल ही में बर्धमान जिले के एक ग्राम पंचायत सदस्य और
नादिया के एक स्कूल शिक्षक ने SIR नोटिस मिलने के बाद आत्महत्या कर ली थी।
इन घटनाओं ने पूरे राज्य में भय और असुरक्षा की भावना को बढ़ा दिया है।

स्थानीय लोगों का कहना है कि नोटिस मिलने के बाद
कई लोग मानसिक दबाव में हैं और राजनीतिक प्रताड़ना का शिकार हो रहे हैं।


🔹 टीएमसी का अगला कदम

कुणाल घोष ने घोषणा की है कि
टीएमसी इस मुद्दे को लेकर
राज्यपाल और प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को ज्ञापन सौंपेगी।
साथ ही पार्टी की कानूनी टीम इस पूरे मामले को लेकर
कोर्ट जाने की तैयारी कर रही है।

उन्होंने कहा —

“अगर यह सिलसिला नहीं रुका, तो
बंगाल के लोग सड़कों पर उतरकर बीजेपी की
‘SIR राजनीति’ का जवाब देंगे।”


🔹 राजनीतिक विश्लेषण

राजनीतिक विशेषज्ञों का मानना है कि
यह विवाद लोकसभा चुनाव से पहले बंगाल की राजनीति में नया मोड़ ला सकता है।
जहां बीजेपी “कानूनी जवाबदेही” की बात कर रही है,
वहीं टीएमसी इसे “राजनीतिक डराने की रणनीति” बता रही है।


🏁 निष्कर्ष

पश्चिम बंगाल में SIR को लेकर मचा यह बवाल
कानूनी और राजनीतिक दोनों स्तरों पर नया विवाद बन गया है।
जहां एक तरफ टीएमसी इसे
“बीजेपी का डराने वाला अभियान” कह रही है,
वहीं बीजेपी दावा कर रही है कि यह
“कानूनी जांच प्रक्रिया” के तहत की जा रही कार्रवाई है।

फिलहाल, आत्महत्या की बढ़ती घटनाओं ने
राज्य में मानसिक स्वास्थ्य और राजनीतिक तनाव दोनों को लेकर
गंभीर सवाल खड़े कर दिए हैं।

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