
पाकिस्तान और अफगानिस्तान के बीच हाल ही में भड़के सीमा संघर्ष ने पूरे दक्षिण एशिया में तनाव बढ़ा दिया है। 8 अक्टूबर को शुरू हुई झड़पों में पाकिस्तान ने अफगानिस्तान के अंदर गहराई तक हवाई हमले किए, जिनकी तीव्रता और संख्या दोनों चौंकाने वाली थीं। पाकिस्तान की वायुसेना ने लगभग 20 ठिकानों पर एयरस्ट्राइक कीं, जिनमें 21 निर्दोष नागरिकों की मौत और दर्जनों घायल होने की खबर है। यह हमला न केवल मानवीय त्रासदी साबित हुआ, बल्कि अफगानिस्तान की कमजोर वायु रक्षा क्षमता को भी उजागर कर गया।
संघर्ष की पृष्ठभूमि: डूरंड लाइन पर फिर भड़की आग
दोनों देशों के बीच दशकों पुराना सीमा विवाद — डूरंड लाइन — एक बार फिर हिंसा में बदल गया। अफगान तालिबान और पाकिस्तानी सेना के बीच तनाव तब बढ़ा जब पाकिस्तान ने दावा किया कि अफगान सीमा पार से चरमपंथी तत्वों ने उसके सुरक्षा ठिकानों पर हमला किया। इसके जवाब में पाकिस्तान ने हवाई हमलों की श्रृंखला शुरू की, जिन्हें अफगानिस्तान की सरकार ने “निहत्थे नागरिकों पर आतंक” बताया।
20 ठिकानों पर एकसाथ हमले
पाकिस्तानी विमानों ने अफगान प्रांतों कंधार, खोस्त, जलालाबाद, नंगरहार और पाक्तिका में बमबारी की। इन हमलों में कई घर और बाजार नष्ट हो गए।
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सबसे गंभीर हमला स्पिन बोलडक इलाके में हुआ, जहाँ दर्जनों नागरिक मारे गए या घायल हुए।
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अफगान मीडिया रिपोर्टों के अनुसार, पाकिस्तान की वायुसेना ने कुछ इलाकों में बिना किसी चेतावनी के बम गिराए।
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उपग्रह तस्वीरों से यह पुष्टि हुई कि पाकिस्तान ने सीमावर्ती क्षेत्र में कई स्थानों को निशाना बनाया।
21 आम नागरिकों की मौत, महिलाओं और बच्चों में दहशत
अफगान तालिबान सरकार ने कहा कि इन हमलों में 21 निर्दोष लोग, जिनमें महिलाएं और बच्चे भी शामिल हैं, मारे गए। दर्जनों घायल अस्पतालों में भर्ती हैं।
घायलों में कई ऐसे लोग भी हैं जो हवाई हमले के दौरान अपने घरों में सो रहे थे।
स्थानीय निवासियों ने बताया कि “पूरे गांव को ध्वस्त कर दिया गया, लोग अब भी मलबे में लापता हैं।”
अफगानिस्तान की बड़ी कमजोरी: वायु रक्षा तंत्र का अभाव
इस संघर्ष ने एक बार फिर अफगानिस्तान की सैन्य सीमाओं को उजागर कर दिया है।
विशेषज्ञों के अनुसार, तालिबान शासन के पास आधुनिक एयर डिफेंस सिस्टम नहीं है, जिससे वह पाकिस्तान की वायु शक्ति का मुकाबला नहीं कर सका।
अफगान सुरक्षा विश्लेषकों का कहना है कि पाकिस्तान ने इसी कमजोरी का फायदा उठाते हुए बिना रोक-टोक सीमा पार हमले किए।
तालिबान सरकार की कड़ी प्रतिक्रिया
तालिबान प्रवक्ता जबीहुल्ला मुजाहिद ने पाकिस्तान की कार्रवाई को “अफगान संप्रभुता पर हमला” बताया।
उन्होंने कहा, “अगर पाकिस्तान ने फिर से हमारे क्षेत्र में कदम रखा, तो हम मजबूती से जवाब देंगे।”
तालिबान ने पाकिस्तान के राजनयिक प्रतिनिधि को तलब किया और चेतावनी दी कि इस तरह की कार्रवाई भविष्य में “गंभीर परिणाम” लाएगी।
48 घंटे की अस्थायी युद्धविराम पर सहमति
तीव्र संघर्ष के बाद दोनों देशों ने 48 घंटे की अस्थायी सीज़फायर (युद्धविराम) की घोषणा की है।
सूत्रों के अनुसार, क़तर और सऊदी अरब ने मध्यस्थता की भूमिका निभाई।
हालांकि, सीमावर्ती इलाकों में अब भी तनाव बना हुआ है और कुछ जगहों पर गोलाबारी की खबरें आ रही हैं।
अंतरराष्ट्रीय समुदाय की चिंता
संयुक्त राष्ट्र ने दोनों देशों से संयम बरतने की अपील की है।
भारत, चीन और अमेरिका जैसे देशों ने भी चिंता जताई है कि इस संघर्ष से पूरे क्षेत्र की सुरक्षा स्थिति बिगड़ सकती है।
मानवाधिकार संगठनों ने पाकिस्तान से “नागरिक ठिकानों पर हमले बंद करने” की मांग की है और जांच की अपील की है।
विश्लेषण: एक पुराने विवाद की नई आग
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डूरंड लाइन विवाद अब भी दोनों देशों के बीच सबसे बड़ा विवाद है।
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पाकिस्तान, तालिबान पर सीमा सुरक्षा के वादों को तोड़ने का आरोप लगाता है, जबकि अफगानिस्तान कहता है कि पाकिस्तान, सीमा पार आतंकी गुटों को समर्थन देता है।
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अफगानिस्तान की सीमित सैन्य क्षमता, आर्थिक संकट और अलग-थलग कूटनीतिक स्थिति ने पाकिस्तान को बढ़त दी है।
निष्कर्ष
इस संघर्ष ने साफ कर दिया है कि पाकिस्तान और अफगानिस्तान के बीच रिश्ते गहरे अविश्वास में फंसे हुए हैं।
एक तरफ पाकिस्तान अपनी “सुरक्षा” के नाम पर हवाई हमले को जायज़ ठहरा रहा है, वहीं दूसरी तरफ तालिबान सरकार इसे “अंतरराष्ट्रीय कानून का उल्लंघन” बता रही है।
21 निर्दोष लोगों की मौत इस बात की गवाही है कि जब दो पड़ोसी देश एक-दूसरे से टकराते हैं, तो सबसे ज़्यादा कीमत आम नागरिकों को चुकानी पड़ती है।