अयोध्या दीपोत्सव पर अखिलेश यादव का विवादित बयान: ‘दीये-मोमबत्ती पर खर्च क्यों? क्रिसमस से सीखो’ — सियासत में मचा घमासान

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अयोध्या में इस साल के दीपोत्सव समारोह से पहले समाजवादी पार्टी के प्रमुख अखिलेश यादव के एक बयान ने सियासी गलियारों में हलचल मचा दी है। अखिलेश ने कहा कि सरकार को “दीयों और मोमबत्तियों पर करोड़ों रुपये खर्च करने के बजाय, क्रिसमस की तरह दीपोत्सव को सामाजिक और मानवीय संदेश देने वाला उत्सव बनाना चाहिए।” उनके इस बयान के बाद भाजपा नेताओं ने उन्हें आड़े हाथों लिया, वहीं समाजवादी पार्टी ने इसे “सोच में बदलाव” की जरूरत बताया।

🔸 अखिलेश यादव ने क्या कहा

अखिलेश यादव ने शनिवार को पत्रकारों से बातचीत में कहा,

“हर साल दीये जलाने और मोमबत्तियां खर्च करने पर करोड़ों रुपये खर्च किए जाते हैं। बेहतर होगा कि इस त्यौहार में समाज के गरीब, जरूरतमंद और पिछड़े लोगों की मदद की जाए। दीपोत्सव तभी सार्थक होगा जब रोशनी उन घरों तक पहुंचे जहां अब तक अंधेरा है।”

उन्होंने आगे कहा कि “क्रिसमस जैसे त्योहारों से सीख लेनी चाहिए, जहां लोग प्रेम, करुणा और सेवा का संदेश देते हैं।”

🔹 भाजपा ने बताया ‘हिंदू त्योहारों का अपमान’

अखिलेश यादव के इस बयान पर भाजपा नेताओं ने तीखी प्रतिक्रिया दी है। भाजपा प्रवक्ता शैलेंद्र तिवारी ने कहा,

“अखिलेश यादव को अयोध्या और दीपोत्सव की भावना समझनी चाहिए। ये वही अयोध्या है जहां भगवान श्रीराम का जन्म हुआ था। यहां दीये जलाना हमारी श्रद्धा और संस्कृति का प्रतीक है, न कि फिजूलखर्ची।”

उन्होंने आरोप लगाया कि सपा प्रमुख लगातार हिंदू आस्थाओं का अपमान करने वाले बयान देते हैं और वोट बैंक की राजनीति कर रहे हैं।

🔹 सपा ने दी सफाई

विवाद बढ़ने के बाद समाजवादी पार्टी ने सफाई देते हुए कहा कि अखिलेश यादव का मकसद किसी धर्म या त्योहार की आलोचना करना नहीं था। पार्टी प्रवक्ता ने कहा,

“अखिलेश जी ने बस यह कहा कि त्योहारों का मतलब केवल दिखावा नहीं, बल्कि समाज में समानता और सहयोग का संदेश देना होना चाहिए। उन्होंने दीपोत्सव का विरोध नहीं, बल्कि उसे और सार्थक बनाने की बात कही है।”

🔸 अयोध्या दीपोत्सव की तैयारियां जोरों पर

इस बीच अयोध्या में दीपोत्सव की तैयारियां जोरों पर हैं। राम की पैड़ी से लेकर सरयू तट तक लाखों दीये जलाने की योजना है। यूपी सरकार ने दावा किया है कि इस बार गिनीज वर्ल्ड रिकॉर्ड बनाने की कोशिश की जाएगी। मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ स्वयं इस समारोह का नेतृत्व करेंगे और भगवान श्रीराम की नगरी को एक बार फिर “स्वर्णिम रोशनी” से जगमगाने की तैयारी है।

🔹 राजनीति और धर्म का संगम

अखिलेश यादव के बयान ने एक बार फिर त्योहारों पर राजनीतिक बहस छेड़ दी है। जहां भाजपा इसे आस्था पर चोट बता रही है, वहीं सपा इसे “धार्मिकता से ज्यादा मानवीयता” का प्रतीक मानने की वकालत कर रही है।

अयोध्या दीपोत्सव अब सिर्फ एक धार्मिक आयोजन नहीं, बल्कि राजनीतिक विमर्श का केंद्र बन चुका है — और अखिलेश यादव के बयान ने इस विवाद को एक नई चिंगारी दे दी है।

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