अलवर के सरिस्का टाइगर रिजर्व में टाइगर ST-2304 से आमना-सामना, पर्यटकों की थमी सांसें

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राजस्थान के अलवर जिले स्थित सरिस्का टाइगर रिजर्व (Sariska Tiger Reserve) में गुरुवार को एक ऐसा रोमांचक नज़ारा देखने को मिला जिसने वहां मौजूद सभी पर्यटकों की सांसें थाम दीं। एक जिप्सी सफारी के दौरान अचानक एक विशाल टाइगर ST-2304 सामने आ गया। टाइगर की इस अप्रत्याशित एंट्री ने पर्यटकों को कुछ सेकंड के लिए स्तब्ध कर दिया। हालांकि ड्राइवर की सूझबूझ से सभी सुरक्षित रहे।

इस घटना का वीडियो अब सोशल मीडिया पर तेजी से वायरल हो रहा है, जिसमें दिखता है कि कैसे टाइगर जिप्सी के बिलकुल सामने आकर रुक जाता है। उस पल की खामोशी और रोमांच दोनों ही पर्यटकों के चेहरों पर साफ झलक रहे थे। वीडियो में पर्यटकों की आवाज़ें सुनाई देती हैं जो घबराहट और उत्साह दोनों में डूबी हुई हैं।


टाइगर का नज़दीकी सामना

गुरुवार की सुबह करीब 9 बजे की यह घटना बताई जा रही है। कुछ पर्यटक सरिस्का के ज़ोन 2 में सफारी पर निकले थे, जब अचानक घने जंगल से टाइगर ST-2304 सड़क पर आ गया। जिप्सी ड्राइवर ने तुरंत गाड़ी रोक दी, क्योंकि टाइगर सीधे उनके सामने खड़ा था।

गवाहों के अनुसार, टाइगर लगभग 30 सेकंड तक वहीं रुका रहा और फिर धीरे-धीरे सड़क पार कर गया। ड्राइवर ने समझदारी दिखाते हुए जिप्सी को धीरे-धीरे रिवर्स किया, ताकि जानवर को कोई खतरा महसूस न हो।

जंगल में मौजूद अन्य पर्यटक जिप्सियां भी उस समय कुछ दूरी पर रुक गईं और सभी ने इस दृश्य को कैमरे में कैद कर लिया।


वीडियो हुआ वायरल

सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म्स पर यह वीडियो कुछ ही घंटों में वायरल हो गया। यूजर्स ने टाइगर की इस शानदार और रॉयल वॉक को “Nature at its best” और “Sariska’s King in Action” जैसे कैप्शन के साथ शेयर किया।

लोगों ने ड्राइवर की समझदारी की तारीफ की और कहा कि उसकी सतर्कता की वजह से कोई अप्रिय घटना नहीं हुई। वन विभाग ने भी वीडियो का संज्ञान लिया है और कहा कि टाइगर ST-2304 पूरी तरह स्वस्थ है और अपने निर्धारित क्षेत्र में ही घूम रहा था।


सरिस्का के टाइगरों की पहचान

सरिस्का टाइगर रिजर्व में हर टाइगर की अपनी पहचान संख्या होती है। ST-2304 उसी श्रृंखला का एक युवा और सक्रिय नर बाघ है, जिसकी उम्र लगभग 4 वर्ष मानी जा रही है।
वन विभाग के रिकॉर्ड के अनुसार, ST-2304 अक्सर सरिस्का के ज़ोन 2 और ज़ोन 3 के बीच के जंगलों में घूमता रहता है। यह क्षेत्र नालदेह और कल्याणपुरा के पास फैला हुआ है, जहां बाघों की गतिविधियां अक्सर कैमरा ट्रैप में कैद होती हैं।

एक अधिकारी ने बताया कि “ST-2304 बहुत ही सक्रिय और सतर्क बाघ है। वह पर्यटकों या वाहनों पर हमला नहीं करता, लेकिन उसकी उपस्थिति से हमेशा सावधानी रखनी जरूरी है।”


ड्राइवर की सूझबूझ से टली अनहोनी

इस पूरे घटनाक्रम में सबसे अहम भूमिका निभाई जिप्सी ड्राइवर ने। उसने टाइगर को देखते ही इंजन बंद कर दिया और पर्यटकों से कहा कि कोई आवाज़ न करें।
ड्राइवर ने धीरे-धीरे जिप्सी को रिवर्स किया, जिससे टाइगर को पर्याप्त जगह मिली और वह बिना तनाव के रास्ता पार कर सका।
वन अधिकारियों ने ड्राइवर की इस समझदारी की सराहना की है।

सरिस्का के चीफ वाइल्डलाइफ वार्डन ने कहा, “जंगल सफारी के दौरान ऐसे मौके खतरनाक भी हो सकते हैं। ड्राइवर ने जो किया, वह वन्यजीवों के प्रति संवेदनशीलता का बेहतरीन उदाहरण है।”


पर्यटकों ने कहा – “जीवन का सबसे यादगार पल”

घटना के बाद जब पर्यटक लौटे, तो उन्होंने बताया कि यह अनुभव उनके जीवन के सबसे रोमांचक पलों में से एक था।
एक पर्यटक ने कहा, “हमने सोचा नहीं था कि हमें इतनी नज़दीक से टाइगर देखने को मिलेगा। उस वक्त हम डर भी रहे थे, लेकिन साथ ही यह पल जादुई था।”

पर्यटकों का कहना है कि टाइगर बहुत ही शालीन तरीके से आगे बढ़ा और उसने किसी भी तरह का आक्रामक व्यवहार नहीं किया।


वन विभाग की चेतावनी और दिशा-निर्देश

इस घटना के बाद वन विभाग ने पर्यटकों और सफारी गाइड्स को कुछ नए दिशा-निर्देश जारी किए हैं।

  • सफारी के दौरान जानवर के करीब जाने की कोशिश न करें।

  • लाउड म्यूजिक, आवाज़ या फ्लैश फोटोग्राफी से बचें।

  • टाइगर दिखने पर शांत रहें और गाइड के निर्देशों का पालन करें।

वन विभाग का कहना है कि सरिस्का में बाघों की संख्या बढ़ी है और इसलिए मानव-वन्यजीव आमना-सामना के मामले भी स्वाभाविक रूप से बढ़ रहे हैं। हालांकि, इन सब घटनाओं में अब तक कोई नुकसान नहीं हुआ है।


सरिस्का की पहचान और पर्यावरणीय महत्व

सरिस्का टाइगर रिजर्व, राजस्थान के अलवर जिले में अरावली पर्वतमाला के बीच फैला है और इसका क्षेत्रफल लगभग 881 वर्ग किलोमीटर है।
यह रिजर्व न केवल टाइगरों के लिए, बल्कि तेंदुआ, सांभर, नीलगाय, चीतल और कई दुर्लभ पक्षी प्रजातियों के लिए भी स्वर्ग है।
यहां की सफारी दुनियाभर के वन्यजीव प्रेमियों को आकर्षित करती है।

सरिस्का को पहले ‘हंटिंग ग्राउंड’ के रूप में जाना जाता था, लेकिन 1955 में इसे संरक्षित क्षेत्र घोषित किया गया और 1978 में यह प्रोजेक्ट टाइगर के तहत भारत के पहले रिजर्वों में शामिल हुआ।


बाघ संरक्षण की सफलता की कहानी

एक समय था जब सरिस्का में टाइगर पूरी तरह लुप्त हो चुके थे। लेकिन 2008 में रणथंभौर से टाइगरों को लाकर यहां पुनर्स्थापित किया गया।
आज यहां 30 से अधिक बाघ हैं, जिनमें नर, मादा और शावक शामिल हैं। यह राजस्थान के बाघ संरक्षण की सबसे बड़ी सफलता में से एक मानी जाती है।

इस ताजा घटना ने फिर यह साबित किया है कि सरिस्का में बाघों की उपस्थिति अब मजबूत और स्वाभाविक हो चुकी है।


निष्कर्ष

सरिस्का टाइगर रिजर्व की यह घटना न केवल पर्यटकों के लिए रोमांचक रही, बल्कि यह एक सबक भी है कि प्रकृति के साथ सह-अस्तित्व कितना जरूरी है।
टाइगर ST-2304 की यह मुलाकात यह दर्शाती है कि अगर हम जंगल के नियमों का सम्मान करें, तो वन्यजीव भी हमें बिना खतरे के अपने संसार की झलक दिखा सकते हैं।

ड्राइवर की सूझबूझ, पर्यटकों की शांति और वन विभाग की त्वरित प्रतिक्रिया ने इस घटना को एक प्रेरणादायक उदाहरण बना दिया है।
यह वीडियो अब देशभर के नेचर लवर्स और वाइल्डलाइफ फोटोग्राफर्स के बीच चर्चा का विषय बन गया है।

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