जातियों की जागीर नहीं हैं महापुरुष

आज कुछ लोग भगवान परशुराम को स्मरण करते हुए अगली ही पंक्ति में रावण की जयजयकार करते हुए भी दिखाई देने लगे, तब विवश होकर कलम उठाना पड़ा.यह कैसा उत्साह जिसमें विवेक की मात्रा ही शून्य हो जाय.परशुराम और रावण दोनों की जयजयकार एक साथ कैसे कर सकते हैं? अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता है , आप […]