
रामनगरी अयोध्या आज एक बार फिर अद्भुत आस्था और रोशनी के संगम में नहाई हुई है। दीपावली से पहले मनाए जाने वाले भव्य दीपोत्सव 2025 में इस बार सरयू नदी के घाटों पर 56 लाख से अधिक दीयों की रौशनी बिखरी, जिसने एक बार फिर विश्व रिकॉर्ड कायम किया। चारों ओर जय श्रीराम के जयकारों, भक्ति संगीत और लेज़र शो की चमक ने अयोध्या को स्वर्गिक रूप दे दिया।
🔹 सरयू घाट पर दीपों की जगमगाहट
राम की पैड़ी पर दीपों की पंक्तियां ऐसे सजीं मानो धरती पर तारों का समुद्र उतर आया हो। श्रद्धालुओं और पर्यटकों ने मिलकर लाखों दीये जलाए। इन दीयों की सुनहरी आभा सरयू नदी में प्रतिबिंबित होकर एक अद्भुत नजारा पेश कर रही थी।
🔹 लेज़र शो और आतिशबाज़ी से खिला आसमान
दीपोत्सव के मुख्य कार्यक्रम में लेज़र शो और भव्य आतिशबाज़ी ने माहौल को और दिव्य बना दिया। रामायण के प्रसंगों पर आधारित लेज़र शो में भगवान राम के वनवास, रावण वध और अयोध्या वापसी के दृश्य प्रदर्शित किए गए। शो के दौरान दर्शक भावुक और रोमांचित नज़र आए।
🔹 भगवान श्रीराम का भव्य अभिषेक
कार्यक्रम की शुरुआत भगवान श्रीराम, माता सीता, लक्ष्मण और हनुमान की झांकी के साथ हुई। इसके बाद पारंपरिक विधि से श्रीराम के राज्याभिषेक का मंचन किया गया। वैदिक मंत्रोच्चार और पुष्प वर्षा के बीच पूरा वातावरण राममय हो उठा।
🔹 मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ की उपस्थिति
उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने दीपोत्सव समारोह का शुभारंभ किया। उन्होंने कहा,
“अयोध्या अब भारत की सांस्कृतिक और धार्मिक पहचान बन चुकी है। यह दीपोत्सव सिर्फ परंपरा नहीं, बल्कि रामराज्य की भावना का प्रतीक है।”
उन्होंने भगवान श्रीराम के आदर्शों पर चलने का संदेश दिया और प्रदेश की जनता को दीपावली की शुभकामनाएं दीं।
🔹 सुरक्षा और व्यवस्था के विशेष इंतज़ाम
दीपोत्सव में देशभर से आए लाखों श्रद्धालुओं को देखते हुए अत्यधिक सुरक्षा व्यवस्था की गई थी। पूरे शहर को फूलों, रंगीन लाइटों और सजावट से सजाया गया। ड्रोन कैमरों से पूरे आयोजन की निगरानी की गई।
🔹 राम मंदिर परिसर में भी विशेष आकर्षण
नवनिर्मित राम मंदिर परिसर को इस बार फूलों और दीपों से सजाया गया। मंदिर के गर्भगृह से लेकर बाहरी परिक्रमा तक हर कोना सुनहरी रोशनी में नहाया हुआ था। भक्तों ने भगवान श्रीराम के दर्शन कर आशीर्वाद प्राप्त किया।
🔹 पर्यटन और धार्मिक उत्साह का संगम
इस अवसर पर न केवल उत्तर प्रदेश बल्कि पूरे देश और विदेशों से आए भक्तों ने दीपोत्सव का आनंद लिया। होटल, घाट, मंदिर और बाजारों में त्योहार जैसा उत्सवपूर्ण माहौल रहा।
निष्कर्ष:
अयोध्या का दीपोत्सव 2025 सिर्फ एक धार्मिक आयोजन नहीं, बल्कि भारत की सांस्कृतिक एकता, परंपरा और आस्था का भव्य प्रतीक बन चुका है। सरयू के तट पर लाखों दीयों की रोशनी ने एक बार फिर यह साबित कर दिया कि भगवान श्रीराम की नगरी आज भी विश्व के आध्यात्मिक मानचित्र पर सबसे चमकता सितारा है।