बिहार: तीन साल बाद बहाल हुए IPS अधिकारी आदित्य कुमार, विधानसभा चुनाव से पहले मिला बड़ा प्रशासनिक फैसला

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बिहार में विधानसभा चुनावों की उलटी गिनती शुरू हो चुकी है और इसी बीच राज्य सरकार ने एक महत्वपूर्ण प्रशासनिक निर्णय लिया है। लंबे समय से निलंबित चल रहे IPS अधिकारी आदित्य कुमार को आखिरकार सेवा में वापस बहाल कर दिया गया है। यह फैसला न केवल प्रशासनिक स्तर पर अहम है बल्कि राजनीतिक दृष्टि से भी चर्चाओं का विषय बन गया है, क्योंकि यह कदम चुनाव से ठीक पहले उठाया गया है।


 2022 में लगा था निलंबन, आरोप थे गंभीर

आदित्य कुमार 2011 बैच के बिहार कैडर के आईपीएस अधिकारी हैं। उन्हें साल 2022 में उस समय निलंबित किया गया था जब उन पर कई आपराधिक तत्वों से करीबी संबंध और पद के दुरुपयोग जैसे गंभीर आरोप लगे थे। उस वक्त सरकार ने तत्काल कार्रवाई करते हुए उन्हें निलंबित कर दिया था और विभागीय जांच शुरू की थी।

तीन वर्षों तक जांच की प्रक्रिया चली, जिसमें कई चरणों में गवाहों के बयान, दस्तावेजी साक्ष्य और रिपोर्टों की समीक्षा की गई। अब गृह विभाग ने निष्कर्ष निकाला कि निलंबन जारी रखने के पर्याप्त प्रमाण नहीं हैं, इसलिए अधिकारी को बहाल करने का निर्णय लिया गया।


 गृह विभाग ने जारी की अधिसूचना

बिहार गृह विभाग ने शुक्रवार को एक औपचारिक अधिसूचना जारी करते हुए बताया कि आदित्य कुमार का निलंबन समाप्त कर दिया गया है और उन्हें सेवा में पुनः शामिल किया जा रहा है।
सूत्रों के मुताबिक, फिलहाल उन्हें वेटिंग फॉर पोस्टिंग की स्थिति में रखा गया है, लेकिन जल्द ही उन्हें किसी महत्वपूर्ण पद पर तैनात किया जा सकता है।

विभागीय अधिकारियों ने कहा कि यह निर्णय सभी आवश्यक प्रक्रियाओं और नियमों का पालन करते हुए लिया गया है।


 चुनाव से पहले सरकार का रणनीतिक कदम?

आदित्य कुमार की बहाली ऐसे समय में हुई है जब राज्य में चुनावी माहौल गर्म है। माना जा रहा है कि यह कदम प्रशासनिक मजबूती के साथ-साथ राजनीतिक रणनीति का हिस्सा भी हो सकता है।

एक वरिष्ठ अधिकारी के अनुसार, “आदित्य कुमार जैसे अनुभवी अफसर की वापसी से चुनावी कानून-व्यवस्था को संभालने में मदद मिलेगी। वे कई संवेदनशील जिलों में तैनात रह चुके हैं और चुनावी सुरक्षा प्रबंधन में उनका अनुभव उपयोगी हो सकता है।”


 करियर और विवाद दोनों से रहे सुर्खियों में

आदित्य कुमार ने अपने करियर की शुरुआत में ही अपनी सख्त छवि बनाई थी। वे गया, मुजफ्फरपुर और पटना जैसे प्रमुख जिलों में एसपी रह चुके हैं। अपने कार्यकाल में उन्होंने कई माफिया और आपराधिक नेटवर्क पर कार्रवाई की, जिससे वे जनता और प्रशासन दोनों में चर्चित रहे।

हालांकि, कुछ मामलों में उनके ऊपर दबाव और विवाद के आरोप भी लगे, जिसके चलते उन्हें निलंबन का सामना करना पड़ा।


आगे की प्रक्रिया और संभावित तैनाती

सरकार के आदेश के बाद अब उनकी तैनाती की प्रक्रिया पर गृह विभाग काम कर रहा है। चर्चाएं हैं कि उन्हें जल्द ही किसी महत्वपूर्ण पुलिस इकाई या जिले में पदस्थापित किया जा सकता है, खासकर चुनावी अवधि में जहां कानून-व्यवस्था बनाए रखना चुनौतीपूर्ण होता है।


अफसरों और राजनीतिक हलकों में चर्चा

आदित्य कुमार की बहाली को लेकर प्रशासनिक गलियारों में तेज चर्चा है। कई अफसर इसे एक “न्यायोचित और देर से मिली राहत” बता रहे हैं, जबकि कुछ लोग इसे सरकार का “चुनावी समयानुकूल निर्णय” कह रहे हैं।
बहरहाल, इस फैसले ने बिहार की नौकरशाही में हलचल मचा दी है।

तीन साल के लंबे निलंबन के बाद IPS अधिकारी आदित्य कुमार की बहाली न केवल उनके करियर के लिए राहत भरी खबर है, बल्कि राज्य की चुनावी तैयारियों के संदर्भ में भी एक बड़ा संकेत है।
जहां एक ओर यह फैसला प्रशासनिक मजबूती का प्रतीक माना जा रहा है, वहीं दूसरी ओर इसे चुनावी रणनीति से जोड़कर भी देखा जा रहा है।
अब देखना यह होगा कि सरकार उन्हें किस जिम्मेदारी के साथ फिर से मैदान में उतारती है।

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