बिहार के दूधपनिया गांव में रहस्यमयी बीमारी का कहर: ‘50 की उम्र पार करना दूर’

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मुंगेर जिले के हवेली खड़गपुर प्रखंड में स्थित दूधपनिया गांव में कई दशकों से एक अजीब और अज्ञात बीमारी लोगों की जिंदगी छीन रही है। ग्रामीण बताते हैं कि इस गांव में शायद ही कोई 50 वर्ष से अधिक की आयु तक जीवित रहता है। अधिकांश लोग 40–45 वर्ष की उम्र में ही मौत के शिकार हो जाते हैं। यह कहानी वहाँ की दर्दनाक हकीकत है, जहाँ अब जीवन ही मुश्किल बन गया है।


📍 गांव की पृष्ठभूमि और आबादी

  • दूधपनिया गाँव लगभग 200 निवासियों का है।

  • यह गंगटा पंचायत के अंतर्गत आता है और नक्सल प्रभावित क्षेत्र में स्थित है।

  • ग्रामीण मुख्यत: जंगल की सामग्री, लकड़ियाँ, पत्तियाँ आदि बेचकर जीविकोपार्जन करते हैं।


🧬 बीमारी का लक्षण और प्रभाव

गांववासियों ने इस बीमारी को धीरे-धीरे अपनी जान हथेली पर दे दी है। इसके मुख्य लक्षण निम्नलिखित बताए गए हैं:

  • किसी व्यक्ति की शुरुआत लगभग 30 वर्ष की उम्र के आसपास होती है — पैरों में दर्द से शुरुआत।

  • धीरे-धीरे कमर, निचले शरीर और पीठ की समस्याएँ उभरती हैं, चलने-फिरने की क्षमता कम हो जाती है।

  • कई लोग लाठी/छड़ी पर निर्भर हो जाते हैं।

  • समय के साथ शरीर की गतिविधि बंद हो जाती है और वे बिस्तर पर ही रहने लगते हैं।

  • इस बीमारी की चपेट में आने के बाद, लगभग सभी मृतकों की आयु 40–45 वर्ष के बीच ही रही है।

उदाहरण के तौर पर, गांव के 56 वर्ष के विनोद बेसरा को इस बीमारी ने इतनी जकड़ लिया कि वे वर्षों से बिस्तर पर हैं। उनका कहना है कि उन्होंने कई जगह इलाज करवाया, लेकिन कोई सुधार नहीं हुआ। उनके परिवार के सदस्यों — पत्नी, बेटी और बेटे — पर भी बीमारी का अटका असर दिखाई दे रहा है।


⚰️ मौतों की स्थिति और पैटर्न

  • पिछले एक वर्ष में कम उम्र (30–55 वर्ष) के बीच कम से कम 4–6 लोग इस बीमारी से जीवन गंवा चुके हैं।

  • उनमें पूर्मी देवी (40 वर्ष), रमेश मुर्मू (30 वर्ष), मालती देवी (48 वर्ष), सलमा देवी (45 वर्ष) जैसे नाम शामिल हैं।

  • गांव वालों का कहना है कि यह तालमेल एक पैटर्न जैसा हो गया है — बीमारी शुरु होती है, धीरे–धीरे बढ़ती है, और अंततः जीवन समाप्त कर देती है।


🧪 संभावित कारण और विभाग की प्रतिक्रिया

संभावनाएँ

  • ग्रामीणों का बड़ा शक दूषित पानी (भूजल स्रोत) पर है।

  • प्रारंभिक निरीक्षण में हड्डियों और मांसपेशियों से संबंधित समस्याएँ अधिक देखने को मिली हैं।

  • कुछ डॉक्टरों का अनुमान है कि समस्या खनिज या विटामिन की कमी, विशेषकर जरूरी माइक्रोन्यूट्रिएंट्स की कमी, भी इस बीमारी से जुड़ी हो सकती है।

प्रशासन और स्वास्थ्य विभाग की प्रतिक्रिया

  • डॉ. सुभोद कुमार, हॉस्पिटल के मेडिकल अधिकारी, ने गांव का निरीक्षण किया है। उन्होंने कहा कि उच्च अधिकारियों को प्रस्ताव भेजकर विशेषज्ञ डॉक्टरों की टीम भेजने की योजना बनाई जा रही है।

  • पीएचईडी (Public Health Engineering Department) को निर्देश दिया गया है कि वे पानी के नमूने त्वरित रूप से टेस्ट करें।

  • SDM राजीव रोशन ने बताया कि यह जानकारी उन्हें आजतक की रिपोर्ट के माध्यम से मिली है, और उन्होंने तुरंत मेडिकल टीम भेजी है।

  • उन्होंने यह भी कहा कि आने वाले समय में विशेषज्ञों की मदद से बीमारी की जड़ तक पहुंचने की कोशिश की जाएगी।


📌 निष्कर्ष और आगे की चुनौतियाँ

दूधपनिया गाँव की यह समस्या केवल एक स्थानीय समस्या नहीं, बल्कि स्वास्थ्य, सामाजिक और पर्यावरणीय निष्कर्षों का जोड़ है।

  • बीमारी का सटीक कारण अभी अनिश्चय है — सिर्फ अनुमान हैं।

  • ग्रामीणों के पास संसाधन सीमित हैं; अक्सर इलाज और सही निदान तक पहुँच कठिन है।

  • यदि पानी या भूजल में अशुद्धता सामने आती है, तो पूरे इलाके की जल आपूर्ति को पुनरीक्षित करने की आवश्यकता होगी।

  • एक विशेषज्ञ पैनल, शोध और लंबी अवधि की स्वास्थ्य निगरानी इस समस्या को हल करने के लिए अनिवार्य है।

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