
भारत का दूसरा चंद्र मिशन चंद्रयान-2 एक बार फिर चर्चा में है। भले ही इस मिशन को 2019 में चंद्रमा की सतह पर लैंडर विक्रम के क्रैश होने के कारण आंशिक सफलता मिली थी, लेकिन इसका ऑर्बिटर अब भी पूरी तरह सक्रिय है और लगातार अहम वैज्ञानिक आंकड़े भेज रहा है। इस बार इसने पहली बार सूरज के कोरोनल मास इजेक्शन (CME) यानी सौर विस्फोट के असर को रिकॉर्ड किया है।
🔹 चंद्रयान-2 ने सौर विस्फोट का प्रभाव दर्ज किया
भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (ISRO) ने जानकारी दी कि चंद्रयान-2 के ऑर्बिटर पर मौजूद चंद्रा हाई एनर्जी एक्स-रे स्पेक्ट्रोमीटर (CHAX) ने हाल ही में हुए सौर विस्फोट का प्रभाव रिकॉर्ड किया है। यह पहली बार है जब किसी चंद्र ऑर्बिटर ने सूर्य से निकली ऊर्जा तरंगों और आवेशित कणों के प्रभाव को इतने स्पष्ट रूप से मापा है।
🔹 क्या होता है कोरोनल मास इजेक्शन (CME)?
सूर्य की सतह पर जब अत्यधिक ऊर्जा का विस्फोट होता है, तो उससे गैस, प्लाज्मा और रेडिएशन अंतरिक्ष में फैलते हैं — इसे कोरोनल मास इजेक्शन कहा जाता है। ये विस्फोट पृथ्वी और चंद्रमा के चुंबकीय क्षेत्र को प्रभावित कर सकते हैं और उपग्रहों के संचार या नेविगेशन सिस्टम पर असर डाल सकते हैं।
🔹 वैज्ञानिक दृष्टि से बड़ी उपलब्धि
ISRO वैज्ञानिकों के अनुसार, चंद्रयान-2 द्वारा दर्ज की गई यह जानकारी अंतरिक्ष मौसम अध्ययन (Space Weather Studies) में महत्वपूर्ण भूमिका निभाएगी। इन आंकड़ों से वैज्ञानिक यह समझ पाएंगे कि सौर तूफान (Solar Storms) का प्रभाव चंद्रमा और पृथ्वी की परिक्रमा करने वाले उपग्रहों पर कैसे पड़ता है।
🔹 चंद्रयान-2 अब भी कर रहा है काम
2019 में लॉन्च हुआ चंद्रयान-2 मिशन अभी भी चंद्रमा की कक्षा में सक्रिय है। इसका ऑर्बिटर नियमित रूप से एक्स-रे, गामा किरणों और सौर विकिरण से जुड़े डेटा भेज रहा है। ISRO के मुताबिक, मिशन की आयु 1 वर्ष मानी गई थी, लेकिन यह अब 6 साल बाद भी बेहतरीन तरीके से काम कर रहा है।
🔹 ISRO की अगली तैयारी
ISRO अब चंद्रयान-3 की सफलता के बाद इस मिशन के अनुभवों को आगे बढ़ाते हुए सौर मिशन ‘आदित्य-L1’ से प्राप्त आंकड़ों की तुलना भी कर रहा है। दोनों मिशनों से सौर गतिविधियों पर बेहतर समझ विकसित करने में मदद मिलेगी।
निष्कर्ष:
चंद्रयान-2 भले ही अपने लैंडर मिशन में पूरी तरह सफल नहीं हो सका, लेकिन उसका ऑर्बिटर आज भी विज्ञान के लिए अमूल्य योगदान दे रहा है। सूर्य के विस्फोट से उत्पन्न सौर लहरों को रिकॉर्ड करना न केवल भारत की अंतरिक्ष तकनीक की मजबूती दिखाता है, बल्कि यह भी साबित करता है कि चंद्रयान-2 अब भी “जिंदा” और सक्रिय है — और भविष्य के अंतरिक्ष अभियानों के लिए नई राहें खोल रहा है।