
शुक्रवार को बरेली में जुमे की नमाज के बाद हुई हिंसा के मामले में उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने तीखा बयान दिया है। उन्होंने कहा कि स्थानीय मुस्लिम धर्मगुरु (मौलाना) “भूल गया कि राज्य में सत्ता किसकी है” और उन पर यह आरोप लगाया कि उन्होंने गलत दुष्परिणामों की उम्मीद में व्यवस्था को बाधित करने की कोशिश की। मुख्यमंत्री ने यह भी कहा कि उनकी सरकार ने ऐसे अशांति-कार्यों पर सख्ती से निपटते हुए एक सबक सिखाया है, जिससे आने वाली पीढ़ियाँ दंगे करने से पहले दो बार सोचें।
घटना की रूपरेखा
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बरेली में शुक्रवार को जुमे की नमाज़ के बाद एक धार्मिक कार्यक्रम के दौरान “आई लव मोहम्मद” नारे लगाने को लेकर विवाद भड़क उठा। प्रदर्शन के दौरान पत्थरबाजी, तोड़फोड़ और पुलिस पर फायरिंग की घटनाएं सामने आईं।
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इस हिंसा को लेकर स्थानीय प्रशासन ने मौलाना तौकीर रज़ा को हिरासत में ले लिया है। इसके पहले उन्हें हाउस अरेस्ट में रखा गया था।
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पुलिस ने इस मामले में अब तक करीब 10 एफआईआर दर्ज की हैं और लगभग 1700 अज्ञात लोगों समेत कई नामज़द व्यक्तियों पर कार्रवाई की जा रही है।
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अभी तक 39 लोगों को गिरफ्तार भी किया गया है।
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यह हिंसा उस घटना की चपेट में आई जिसमें कथित रूप से आदेश दिए गए “आई लव मोहम्मद” नारे को लेकर विवाद हो गया था।
सीएम योगी का तीखा प्रहार और उनका तर्क
मुख्यमंत्री ने इस घटना पर प्रतिक्रिया देते हुए कहा:
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“मौलाना भूल गया कि राज्य में सत्ता किसकी है” — उन्होंने आरोप लगाया कि किसी धार्मिक प्रतिष्ठित शख्स ने अपनी समझ से शासन व्यवस्था पर हमला करने जैसा व्यवहार अपनाया।
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“हमने ऐसा सबक सिखाया है, जिससे आने वाली पीढ़ियाँ दंगे से पहले सोचेंगी” — योगी का यह कहना था कि इस तरह की हिंसा-अप्रशासन को उन्होंने बेदर्दी से नहीं छोड़ा।
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उन्होंने यह भी जोड़ा कि पहले की सरकारों में दंगाइयों को सम्मान दिलाने, उन्हें राजनीतिक संरक्षण देने और अपराधियों का पक्ष लेने की प्रवृत्ति रही है। वे बोले कि पूर्व में सत्ता और अपराधी पैठ बनाकर चलने की इजाज़त देते थे।
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उन्होंने यह दावा किया कि 2017 के बाद उनकी सरकार ने उत्तर प्रदेश में कर्फ्यू नहीं लगाया, न ही “नाकाबंदी” की इजाज़त दी। उनका कहना था कि दंगों और अशांति पर नियंत्रण रखते हुए राज्य का विकास जारी रखा गया।
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योगी ने अधिकारियों को निर्देश दिए हैं कि दंगाइयों के खिलाफ कठोर कार्रवाई की जाए और इस घटना को बर्दाश्त नहीं किया जाएगा।
निहितार्थ और राजनीतिक विमर्श
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यह बयान यूपी की सियासी स्थिति और उत्तर प्रदेश सरकार के “कठोर कानून व नियंत्रण” की छवि को मजबूत करने का प्रयास माना जा सकता है।
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योगी का यह तर्क कि मौलाना ने व्यवस्था को चुनौती दी, एक राजनीतिक संदेश भी है — वे यह दिखाना चाहते हैं कि धार्मिक या किसी भी व्यक्ति को कानून से ऊपर नहीं रहने दिया जाएगा।
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दूसरी ओर, इस तरह के कड़े बयानों से संवेदनशीलता बढ़ सकती है। इसे धार्मिक समुदायों में प्रतिक्रिया भी मिल सकती है।
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पुलिस कार्रवाई, गिरफ्तारी और भविष्य की जांच इस बात पर निर्भर करेंगी कि सरकार और प्रशासन इस घटना को किस तरह आगे ले जाते हैं — कार्रवाई संतुलन बनाये रखने और संवेदनशीलता बनाए रखने के बीच संतुलन चुनने की चुनौती होगी।