
दिल्ली के लाल किला मेट्रो स्टेशन के बाहर हुए हालिया ब्लास्ट ने राष्ट्रीय राजधानी में सुरक्षा व्यवस्था पर बड़े सवाल खड़े कर दिए हैं। इस विस्फोट की गूंज सिर्फ दिल्ली तक सीमित नहीं रही — फरीदाबाद में 2900 किलोग्राम विस्फोटक केमिकल मिलने के बाद खुफिया एजेंसियों के कान खड़े हो गए हैं।
जांच एजेंसियां अब यह पता लगाने में जुटी हैं कि क्या दोनों घटनाओं के बीच कोई कड़ी है, और क्या इसमें किसी आतंकी संगठन — खासकर जैश-ए-मोहम्मद — की भूमिका तो नहीं है।
सुबह फरीदाबाद में 2900 किलो केमिकल की बरामदगी
घटना से कुछ घंटे पहले ही हरियाणा के फरीदाबाद जिले के औद्योगिक क्षेत्र से पुलिस ने एक बड़े जखीरे को बरामद किया था। यह केमिकल दिखने में सामान्य औद्योगिक पदार्थ जैसा था, लेकिन प्रारंभिक जांच में पता चला कि इसका इस्तेमाल विस्फोटक सामग्री बनाने में किया जा सकता है।
जांच टीमों ने बताया कि इस केमिकल की मात्रा करीब 2900 किलोग्राम थी — जो किसी छोटे शहर को तबाह करने के लिए काफी है।
एक वरिष्ठ अधिकारी ने बताया कि यह रासायनिक पदार्थ अमोनियम नाइट्रेट और सोडियम क्लोरेट के समान गुणों वाला है, जिसका उपयोग बड़े पैमाने पर विस्फोटक तैयार करने में किया जाता है।
अब सवाल उठ रहा है कि क्या यह बरामदगी और दिल्ली का धमाका एक ही साजिश की कड़ी हैं?
लाल किला मेट्रो स्टेशन के बाहर धमाका
दिल्ली में लाल किला मेट्रो स्टेशन के पास हुए ब्लास्ट से इलाके में अफरातफरी मच गई थी। धमाके की आवाज पुरानी दिल्ली के कई इलाकों तक सुनाई दी।
धमाके के तुरंत बाद मौके पर दिल्ली पुलिस, एनएसजी और एनआईए की टीमें पहुंचीं। विस्फोट की तीव्रता मामूली थी, लेकिन जिस तरीके से डिवाइस प्लांट की गई थी, उससे यह साफ था कि किसी बड़ी साजिश की कोशिश की गई थी।
फॉरेंसिक टीम ने मौके से धातु के टुकड़े, तार और बैटरी जैसी चीजें बरामद की हैं, जिससे यह आशंका जताई जा रही है कि यह इम्प्रोवाइज्ड एक्सप्लोसिव डिवाइस (IED) थी।
जांच एजेंसियों के निशाने पर आतंकी संगठन
एनआईए और दिल्ली पुलिस की स्पेशल सेल अब यह जांच कर रही हैं कि इस धमाके के पीछे कौन है। शुरुआती शक जैश-ए-मोहम्मद और लश्कर-ए-तैयबा जैसे आतंकी संगठनों पर गया है, क्योंकि पिछले कुछ महीनों में इन संगठनों की गतिविधियां जम्मू-कश्मीर से लेकर दिल्ली-एनसीआर तक बढ़ी हैं।
खुफिया एजेंसियों के पास कुछ इनपुट्स हैं जो बताते हैं कि पाकिस्तान से संचालित जैश के मॉड्यूल दिल्ली और हरियाणा में सक्रिय हो सकते हैं।
एक वरिष्ठ अधिकारी ने बताया, “फरीदाबाद में मिला केमिकल और दिल्ली का ब्लास्ट — दोनों घटनाएं टाइमिंग और लोकेशन के लिहाज से संदिग्ध हैं। हम यह जांच कर रहे हैं कि क्या कोई आतंकी नेटवर्क इन दोनों ऑपरेशन्स के पीछे है।”
एनआईए और दिल्ली पुलिस की संयुक्त जांच
एनआईए, एनएसजी और दिल्ली पुलिस की संयुक्त टीमों ने दिल्ली, फरीदाबाद और गुरुग्राम में कई ठिकानों पर छापेमारी शुरू कर दी है।
अब तक कुछ लोगों को हिरासत में लिया गया है जिनसे पूछताछ जारी है। सूत्रों के मुताबिक, इनमें से कुछ लोग रासायनिक पदार्थों के व्यापार से जुड़े हैं, जबकि कुछ का संबंध संदिग्ध विदेशी नंबरों से पाया गया है।
एनआईए इस बात की भी जांच कर रही है कि बरामद केमिकल की सप्लाई कहां से हुई और क्या यह किसी अवैध नेटवर्क के जरिए देश में लाया गया था।
फरीदाबाद फैक्ट्री मालिक के खिलाफ जांच
पुलिस के मुताबिक, जिस जगह से यह केमिकल बरामद किया गया, वह एक प्राइवेट कंपनी का गोदाम था। कंपनी मालिक ने दावा किया कि यह “कानूनी औद्योगिक उपयोग” के लिए रखा गया था, लेकिन जब उनसे लाइसेंस और दस्तावेज मांगे गए, तो वे ठोस जवाब नहीं दे पाए।
अब फरीदाबाद पुलिस ने गोदाम को सील कर दिया है और एफएसएल टीम नमूने जांच के लिए लेकर गई है।
दिल्ली में सुरक्षा कड़ी, अलर्ट जारी
दिल्ली पुलिस ने राजधानी में हाई अलर्ट घोषित कर दिया है। खासकर लाल किला, जामा मस्जिद, इंडिया गेट, संसद भवन और मेट्रो नेटवर्क जैसे संवेदनशील इलाकों में सुरक्षा बढ़ा दी गई है।
मेट्रो स्टेशनों पर बैग चेकिंग बढ़ा दी गई है और बम डिस्पोजल स्क्वॉड को standby पर रखा गया है।
दिल्ली पुलिस कमिश्नर ने कहा है, “जनता को घबराने की जरूरत नहीं है, लेकिन सतर्क रहना जरूरी है। संदिग्ध वस्तु या व्यक्ति दिखने पर तुरंत 112 नंबर पर सूचना दें।”
राजनीतिक प्रतिक्रिया और सुरक्षा समीक्षा
घटना के बाद विपक्षी दलों ने केंद्र सरकार पर सवाल उठाए हैं। कांग्रेस और आप नेताओं ने कहा कि राजधानी की सुरक्षा व्यवस्था पर गंभीर चूक हुई है।
वहीं, केंद्रीय गृह मंत्रालय ने एनआईए और इंटेलिजेंस ब्यूरो से विस्तृत रिपोर्ट मांगी है। मंत्रालय ने यह भी कहा कि “हर एंगल से जांच” की जाएगी, ताकि कोई भी साजिश अधूरी न रह जाए।
स्थानीय लोगों में डर और चिंता
लाल किला और उसके आसपास रहने वाले लोगों ने बताया कि धमाके के बाद से इलाके में तनाव का माहौल है। दुकानें कुछ समय के लिए बंद रहीं और लोग घरों में दुबके रहे।
एक दुकानदार ने कहा, “पहले तो लगा पटाखा फूटा है, लेकिन जब पुलिस और एनएसजी आई तो समझ में आया कि मामला बड़ा है।”
क्या है जैश-ए-मोहम्मद का पैटर्न?
जैश-ए-मोहम्मद का इतिहास बताता है कि यह संगठन अक्सर त्योहारों या राष्ट्रीय आयोजनों के समय हमले की कोशिश करता है ताकि अधिकतम दहशत फैलाई जा सके।
इसी वजह से जांच एजेंसियां इस बात की गहराई से जांच कर रही हैं कि क्या यह धमाका किसी बड़े आतंकी नेटवर्क की “टेस्ट रन” कार्रवाई थी।
निष्कर्ष
दिल्ली ब्लास्ट और फरीदाबाद में केमिकल बरामदगी की घटनाएं अलग-अलग दिख सकती हैं, लेकिन जांच एजेंसियों को शक है कि इनके पीछे एक संगठित आतंकी प्लान छिपा हो सकता है।
अगर यह आशंका सच साबित होती है, तो यह राष्ट्रीय सुरक्षा के लिए बड़ा खतरा साबित होगा।
फिलहाल, एनआईए और दिल्ली पुलिस की जांच जारी है और देश की नजरें इस बात पर टिकी हैं कि क्या इन दोनों घटनाओं की डोर वाकई किसी विदेशी आतंकी संगठन से जुड़ी है।