
भारत में दिवाली के त्योहार के बाद पाकिस्तान के पंजाब प्रांत में प्रदूषण स्तर में अचानक बढ़ोतरी देखी गई है। विशेषकर राजधानी लाहौर और इसके आसपास के क्षेत्रों में स्मॉग और धुंध ने जनजीवन प्रभावित कर दिया है। हालांकि, पाकिस्तान की मीडिया और सरकारी अधिकारियों ने इस बढ़ती प्रदूषण समस्या के लिए भारत को जिम्मेदार ठहराने की कोशिश की है।
🔹 लाहौर में प्रदूषण की स्थिति
पाकिस्तान पर्यावरण एजेंसी के अनुसार, लाहौर में PM2.5 और PM10 कणों की मात्रा लगातार बढ़ रही है। सुबह-सुबह धुंध इतनी घनी रहती है कि सड़क और हवाई यातायात प्रभावित हो रहा है। स्कूलों और अस्पतालों ने भी चेतावनी जारी की है कि बच्चों और बुजुर्गों को बाहर जाने से बचें।
स्थानीय लोग बता रहे हैं कि प्रदूषण ने सांस लेने में कठिनाई, आंखों में जलन और गले में खराश जैसी समस्याएं बढ़ा दी हैं।
🔹 भारत पर आरोप
पाकिस्तानी मीडिया ने दावा किया कि भारत में दिवाली के दौरान जलाई गई पटाखों और जलाए गए पत्तों से निकलने वाला धुआं वायु धारा के जरिए पाकिस्तान में पहुंचा। कुछ सरकारी अधिकारियों ने इसे “जलभुन” करार देते हुए कहा कि यह स्वास्थ्य और कृषि दोनों के लिए नुकसानदेह है।
हालांकि, विशेषज्ञ इस दावे को अधिकतर राजनीतिक बयानबाजी मान रहे हैं। उनके अनुसार, लाहौर में प्रदूषण में वृद्धि में स्थानीय उद्योग, ट्रैफिक और सर्दियों में ठंडी हवा के कारण धुंध भी मुख्य कारण हैं।
🔹 स्वास्थ्य और पर्यावरण का संकट
स्मॉग की वजह से लाहौर के अस्पतालों में सांस संबंधी मरीजों की संख्या में बढ़ोतरी देखी जा रही है। पर्यावरण विशेषज्ञों का कहना है कि लंबे समय तक यह प्रदूषण हृदय और फेफड़ों की बीमारियों को बढ़ा सकता है।
साथ ही, खेतों में भी सांस्कृतिक और कृषि नुकसान होने की आशंका जताई जा रही है।
🔹 भारत-पाकिस्तान में राजनीतिक पहलू
भारत-पाकिस्तान के बीच यह मुद्दा राजनीतिक बयानबाजी का नया माध्यम बन गया है। पाकिस्तान के अधिकारियों के आरोपों के बाद भारत ने स्पष्ट किया है कि दिवाली के दौरान होने वाला प्रदूषण देश के अंदर नियंत्रित करना सरकार की जिम्मेदारी है, और हवा में फैलने वाले कणों के लिए मौसम और स्थानीय प्रदूषण भी जिम्मेदार हैं।
विशेषज्ञों का कहना है कि इस तरह की राजनीतिक बयानबाजी आम तौर पर प्रदूषण के वास्तविक कारणों पर ध्यान केंद्रित करने से रोकती है।
🔹 निष्कर्ष
दिवाली के बाद लाहौर और पंजाब प्रांत में स्मॉग और प्रदूषण ने आम जनजीवन प्रभावित किया है। हालांकि, राजनीतिक बयानबाजी के बावजूद स्थानीय प्रदूषण नियंत्रण और मौसमीय कारक ही सबसे बड़ा कारण माने जा रहे हैं।
विशेषज्ञों का कहना है कि समस्या का समाधान स्थानीय स्तर पर प्रदूषण घटाने और सतत पर्यावरण उपायों में ही है।
संक्षेप में: भारत में दिवाली के पटाखों का असर शायद पाकिस्तान तक पहुंचा हो, लेकिन वास्तविक समस्या में स्थानीय प्रदूषण और मौसमीय परिस्थितियां ज्यादा अहम हैं।