गाजियाबाद अग्निकांड: आतिशबाजी से 19 घर जलकर खाक — कौन है वो जितेंद्र, जिसकी लापरवाही ने दर्जनों परिवारों को बेघर कर दिया?

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दिवाली की रात खुशियों से जगमगाने वाली थी, लेकिन गाजियाबाद के इंदिरापुरम इलाके में यह रात कई परिवारों के लिए भयावह सपने में बदल गई। एक आतिशबाजी से लगी आग ने 19 घरों को राख में तब्दील कर दिया, और सैकड़ों लोग पल भर में बेघर हो गए। इस हादसे के पीछे जिस शख्स का नाम सामने आया है, वह है जितेंद्र — जिसकी एक गलती ने पूरे मोहल्ले की जिंदगी उजाड़ दी।


🔥 कैसे हुआ अग्निकांड?

घटना गाजियाबाद के इंदिरापुरम के शक्ति खंड-3 की है, जहां बीती रात दिवाली के मौके पर लोग आतिशबाजी कर रहे थे। प्रत्यक्षदर्शियों के मुताबिक, जितेंद्र ने अपने घर की छत से बड़े आकार की रॉकेट आतिशबाजी छोड़ी, जो पास के एक मकान की छत पर जा गिरी। वहां रखे सूखे कपड़े और सजावटी सामान में आग लग गई।
कुछ ही मिनटों में आग ने आसपास के मकानों को अपनी चपेट में ले लिया।

स्थानीय निवासी संदीप शर्मा बताते हैं —

“पहले हमें लगा कोई पटाखा छत पर गिरा है, लेकिन देखते ही देखते पूरी गली आग की लपटों में घिर गई। लोगों ने बाल्टी से पानी फेंका, पर कुछ नहीं बचा सके।”


🚒 दमकल ने 3 घंटे की मशक्कत के बाद पाया काबू

आग इतनी तेज थी कि देखते ही देखते 19 मकान जलकर खाक हो गए। दमकल की करीब आधा दर्जन गाड़ियां मौके पर पहुंचीं और 3 घंटे की मशक्कत के बाद आग पर काबू पाया गया।
हालांकि राहत की बात यह रही कि कोई जनहानि नहीं हुई, लेकिन कई परिवारों की पूरी जमा-पूंजी राख में बदल गई

एक महिला, जिनका घर पूरी तरह जल गया, रोते हुए बोलीं —

“सारी जमा-पूंजी, बच्चों की किताबें, कपड़े, सब जल गए। अब हमारे पास कुछ नहीं बचा।”


🧨 आखिर कौन है जितेंद्र?

स्थानीय लोगों के अनुसार, जितेंद्र उसी मोहल्ले में रहने वाला एक प्रॉपर्टी डीलर है। वह दिवाली पर आतिशबाजी का बड़ा शौकीन माना जाता है।
लोगों का कहना है कि हर साल वह बड़ी मात्रा में पटाखे खरीदता है और छत पर परिवार के साथ फायरवर्क्स करता है। इस बार भी उसने कानूनी पाबंदी के बावजूद बड़ी आतिशबाजी की तैयारी की थी

जांच अधिकारियों ने बताया कि जितेंद्र हादसे के बाद से फरार है, और पुलिस ने उसकी तलाश शुरू कर दी है।
इंदिरापुरम थाना प्रभारी ने कहा —

“हमने आरोपी जितेंद्र के खिलाफ लापरवाही और सार्वजनिक संपत्ति को नुकसान पहुंचाने की धाराओं में एफआईआर दर्ज कर ली है। जल्द ही उसे गिरफ्तार किया जाएगा।”


🏚️ बेघर हुए परिवारों की व्यथा

आग में घर जलने के बाद प्रभावित परिवार अब रिश्तेदारों या पास के स्कूलों में ठिकाना लिए हुए हैं।
पीड़ित परिवारों का कहना है कि प्रशासन ने मुआवजे का आश्वासन तो दिया है, लेकिन तत्काल राहत की जरूरत है — कपड़े, खाने-पीने का सामान और बच्चों की पढ़ाई की चीजें सब नष्ट हो गई हैं।


⚖️ प्रशासन हरकत में

जिलाधिकारी और फायर डिपार्टमेंट के अधिकारियों ने मौके का दौरा किया और नुकसान का जायजा लिया। प्रारंभिक जांच में यह स्पष्ट हुआ कि आग आतिशबाजी से फैली, और यदि आसपास अग्निशमन उपाय मौजूद होते, तो नुकसान इतना बड़ा नहीं होता।

प्रशासन ने प्रभावित परिवारों के लिए आपात राहत फंड से सहायता देने की घोषणा की है। साथ ही पूरे शहर में पटाखों की बिक्री पर निगरानी बढ़ा दी गई है।


💬 लोगों का सवाल — “क्या जिम्मेदारी सिर्फ दीवाली तक है?”

स्थानीय लोगों का कहना है कि हर साल दिवाली पर ऐसे हादसे दोहराए जाते हैं, लेकिन प्रशासन और पुलिस सिर्फ बयानबाजी करती रह जाती है।

“जब तक किसी की जान या घर नहीं जाता, तब तक कोई रोकथाम नहीं होती,” — एक निवासी ने नाराजगी जताई।


🔚 निष्कर्ष

गाजियाबाद के इस हादसे ने फिर एक बार लापरवाही और जिम्मेदारी के बीच की दूरी को उजागर कर दिया। दिवाली की चमक ने एक पल में दर्जनों परिवारों की जिंदगी अंधेरे में धकेल दी।
अब सवाल यही है — क्या जितेंद्र जैसे लोगों की लापरवाही पर सख्त कार्रवाई होगी, या फिर अगले साल किसी और मोहल्ले में यही त्रासदी दोहराई जाएगी?

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