India-UK FTA 2025 भारत ने इंग्लैंड के साथ जो मुक्त व्यापार समझौता किया है उसका भारत के कृषि क्षेत्र (agri export) को काफी लाभ मिलने की उम्मीद की जा रही है। भारत से इंग्लैंड को लगभग 95% कृषि उत्पादों के निर्यात पर कोई टैरिफ नहीं लगेगा। दूसरी तरफ भारत ने डेयरी किसानों के हितों को ध्यान में रखते हुए डेयरी उत्पादों को इस समझौते से बाहर रखा है।
India-UK FTA 2025: इंग्लैंड के साथ मुक्त व्यापार समझौते (India UK free trade agreement) में भारत अपने किसानों और कृषि क्षेत्र (India agri export) के हितों की रक्षा करने में सफल रहा है। डेयरी प्रोडक्ट, खाद्य तेल और सेब जैसे प्रोडक्ट इस समझौते में शामिल नहीं किए गए हैं। दूसरी तरफ भारत से लगभग 95% कृषि उत्पादों और प्रोसेस्ड खाद्य पदार्थों पर इंग्लैंड में जीरो ड्यूटी लगेगी।
भारत से निर्यात किए जाने वाले जिन कृषि उत्पादों और प्रोसेस्ड फूड पर इंग्लैंड में जीरो ड्यूटी (zero duty agricultural exports) लगेगी, उनमें फल, सब्जियां, अनाज, हल्दी, काली मिर्च, इलायची, अचार, मसाले, फ्रूट पल्प, रेडी टू ईट मील तथा अन्य प्रोसेस्ड फूड शामिल हैं। इससे वहां के बाजार में भारतीय कृषि उत्पादों की कीमत बहुत कम हो जाएगी। इनके निर्यात से भारतीय किसानों को भी फायदा मिलेगा। श्रिंप और टूना जैसे मरीन उत्पादों को भी इंग्लैंड के बाजार में ड्यूटी फ्री एक्सेस मिलेगी। इससे अगले 3 वर्षों में भारत का कृषि निर्यात 20% बढ़ने की उम्मीद है।
न्यूज एजेंसी पीटीआई ने वाणिज्य मंत्रालय के एक अधिकारी के हवाले से बताया है कि इस समझौते का सबसे बड़ा फायदा भारत के किसानों को मिलेगा। उनके लिए इंग्लैंड का प्रीमियम बाजार खुल गया है। जर्मनी, नीदरलैंड तथा यूरोपीय यूनियन के अन्य देशों की तरह भारतीय कृषि उत्पादों का भी अब इंग्लैंड को कम या शून्य शुल्क पर निर्यात किया जा सकेगा।
99.7 प्रतिशत प्रोसेस्ड फूड निर्यात पर जीरो ड्यूटी
वाणिज्य मंत्रालय के अधिकारी ने बताया कि यह समझौता फूड प्रोसेसिंग सेक्टर के लिए बहुत फायदे वाला है। इस सेक्टर के अनेक उत्पादों पर अभी तक 70% तक ड्यूटी लगती थी। अब 99.7 प्रतिशत प्रोडक्ट जीरो ड्यूटी के दायरे में आएंगे। मरीन और पशु उत्पादों पर भी इंग्लैंड 20 प्रतिशत की जगह जीरो ड्यूटी लगाएगा।
उक्त अधिकारी के अनुसार ड्यूटी फ्री एक्सेस से अगले 3 वर्षों में भारत का कृषि निर्यात 20% बढ़ने की उम्मीद है। इससे वर्ष 2030 तक भारत के कृषि निर्यात को 100 अरब डॉलर तक ले जाने के लक्ष्य में मदद मिलेगी। इस एफटीए से कटहल, मिलेट और ऑर्गेनिक जड़ी-बूटी जैसे नए प्रोडक्ट का निर्यात भी बढ़ सकता है। इंग्लैंड ने पिछले साल 37.52 अरब डॉलर के कृषि उत्पादों का आयात किया था, लेकिन इसमें भारत की हिस्सेदारी सिर्फ 81.1 करोड़ डॉलर थी।
99 प्रतिशत समुद्री उत्पादों के निर्यात पर भी शुल्क नहीं
जहां तक ब्लू इकोनॉमी यानी जलीय उत्पादों का सवाल है, तो समझौते में 99% निर्यात के लिए जीरो ड्यूटी एक्सेस की व्यवस्था की गई है। इनमें श्रिंप, टूना, फिश मील और मछलियों के चारे शामिल हैं। अभी इन पर 4.2 प्रतिशत से लेकर 8.5% तक ड्यूटी लगती है। इंग्लैंड का मरीन आयत 5.4 अरब डॉलर का है। जिसमें भारत की हिस्सेदारी सिर्फ 2.25% है। समझौते से इसमें व्यापक बढ़ोतरी की उम्मीद की जा रही है।
भारत से पिछले साल 14.07 अरब डॉलर के प्रोसेस्ड फूड का निर्यात हुआ था। इंग्लैंड ने पिछले साल 50.68 अरब डॉलर का आयात किया था। इसमें भारत का हिस्सा सिर्फ 30.95 करोड़ डॉलर था।
चाय, कॉफी, बासमती, मसाला किसानों को फायदा
फ्री ट्रेड एग्रीमेंट कॉफी, मसाले, पेय पदार्थ और प्रोसेस्ड फूड जैसे अधिक मार्जिन वाले ब्रांडेड प्रोडक्ट उत्पादों का निर्यात बढ़ाने में भी मदद करेगा। अभी इंग्लैंड के कॉफी आयात में भारत की हिस्सेदारी सिर्फ 1.7% है। ड्यूटी फ्री एक्सेस मिलने पर भारत इंस्टेंट कॉफी बाजार में जर्मनी और स्पेन जैसे देशों का मुकाबला कर सकेगा।
इंग्लैंड भारत के चाय का भी खरीदार है। लेकिन इसकी सालाना खरीद में भारत की हिस्सेदारी 5.5% है। मसालों की खरीद में भारत की हिस्सेदारी 2.9% है। जीरो टैरिफ से उनकी बाजार हिस्सेदारी बढ़ने की उम्मीद की जा रही है।
वनस्पति तेल और अन्य पौध-आधारित प्रोडक्ट पर इंग्लैंड अभी तक 20% ड्यूटी लगती थी। अब इन्हें भी जीरो ड्यूटी एक्सेस मिल सकेगा। इससे भारत से खाद्य तेल, ऑयल सीड के डेरिवेटिव तथा अन्य पौध-आधारित कमोडिटी का निर्यात बढ़ने की उम्मीद है।
चाय और कॉफी पर अभी तक 10% ड्यूटी लगती थी, जिसे अब जीरो ड्यूटी का फायदा मिलेगा। इसी तरह मसाले और तिलहन पर ड्यूटी 8% और फलों पर 20% थी। ये भी अब जीरो ड्यूटी की श्रेणी में आ गए हैं।
इन राज्यों के किसान होंगे लाभान्वित
कुल मिलाकर देखा जाए तो इस समझौते से भारत के कई राज्यों के किसानों को फायदा मिलेगा। महाराष्ट्र में अंगूर और प्याज के किसान, गुजरात के मूंगफली और कपास के किसान, पंजाब और हरियाणा के बासमती चावल उपजाने वाले किसान, केरल के मसाला उत्पादक किसान और उत्तर-पूर्वी राज्यों के बागवानी की खेती करने वाले किसानों को लाभ मिलने की उम्मीद है।