
मुंबई: इंडसइंड बैंक इस समय गंभीर आरोपों के घेरे में है। बैंक के शीर्ष प्रबंधन ने स्वीकार किया है कि अकाउंट बुक्स में गड़बड़ियाँ की गई थीं, जिससे लगभग 2000 करोड़ रुपये की अनियमितताएँ सामने आई हैं।
मामला कैसे सामने आया
यह विवाद तब गहराया जब बैंक के पूर्व मुख्य वित्तीय अधिकारी (CFO) गोबिंद जैन ने प्रधानमंत्री कार्यालय को पत्र लिखकर चेतावनी दी कि बैंक की ट्रेजरी ऑपरेशंस में बड़े पैमाने पर गड़बड़ी हो रही है। उनके मुताबिक, यह राशि लगभग 2000 करोड़ रुपये तक पहुँच सकती है।
जांच और आरोप
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मुंबई पुलिस की आर्थिक अपराध शाखा (EOW) ने इस मामले में जांच शुरू कर दी है।
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जांच के दौरान कई पूर्व वरिष्ठ अधिकारियों के बयान दर्ज किए गए हैं, जिनमें पूर्व CEO सुमंत कथपालिया, डिप्टी CEO अरुण खुराना और CFO गोबिंद जैन शामिल हैं।
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आरोप यह भी है कि बैंक की फॉरेक्स और डेरिवेटिव्स डिवीजन में हेरफेर कर आंकड़े इस तरह से पेश किए गए कि शेयर की कीमत कृत्रिम रूप से बढ़े।
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आशंका जताई जा रही है कि कुछ अधिकारियों ने इस दौरान इनसाइडर ट्रेडिंग का भी फायदा उठाया।
इस्तीफे और मैनेजमेंट संकट
इस घोटाले के असर के चलते अप्रैल 2025 में CEO और डिप्टी CEO दोनों ने अपने पदों से इस्तीफा दे दिया था। बैंक के भीतर इससे अस्थिरता और बढ़ गई और अब नए प्रबंधन पर स्थिति को संभालने की जिम्मेदारी है।
असर और संभावित परिणाम
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इस मामले ने निवेशकों और ग्राहकों का विश्वास हिला दिया है।
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रिजर्व बैंक और SEBI सहित कई नियामक संस्थाएँ जांच में शामिल हो सकती हैं।
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यदि आरोप सिद्ध होते हैं, तो बैंक पर भारी जुर्माना, अधिकारियों पर आपराधिक केस और बैंकिंग सेक्टर की साख पर बड़ा धक्का लग सकता है।
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विशेषज्ञों का मानना है कि बैंक को अपनी ऑडिट प्रणाली और आंतरिक नियंत्रण मजबूत करने होंगे, ताकि भविष्य में इस तरह की स्थिति न दोहराई जाए।