INS विशाल – भारत का पहला परमाणु-संचालित एयरक्राफ्ट कैरियर

भारत पहला परमाणु-संचालित एयरक्राफ्ट कैरियर INS विशाल विकसित करेगा, जो 65-75 हजार टन का होगा. 6 अगस्त 2025 को जारी TPCR-2025 योजना में EMALS, TEDBF विमान और 55 विमानों की क्षमता बताई गई है. यह चीन के फुजियान और पाकिस्तान की पनडुब्बियों का मुकाबला करेगा. निर्माण कोचीन शिपयार्ड में 2030 के दशक के अंत तक तैयार हो जाएगा.

योजना और महत्व

  • भारत रक्षा मंत्रालय की 15-वर्षीय रणनीति — Technology Perspective and Capability Roadmap (TPCR-2025) — के तहत INS विशाल नाम के इस तीसरे विमानवाहक पोत (IAC-3) पर ज़ोरदार योजना तैयार कर रहा है। यह सर्वोच्च तकनीकी क्षमता वाला वाहक होगा जिसे भारतोपयोगी बनाने की दिशा में कदम उठाए जा रहे हैं।

  • विशाल को नौसेना की क्षमता बढ़ाने और हिंद-प्रशांत में चीन व पाकिस्तान जैसे प्रतिद्वंद्वियों के सामरिक दबाव का मुकाबला करने के उद्देश्य से विकसित किया जाएगा।

प्रमुख तकनीकी विवरण

  • शारीरिक विनिर्देश: अनुमानित वजन — 65,000 से 75,000 टन; लंबाई — लगभग 300 मीटर; गति — लगभग 55 किमी/घंटा।

  • शक्ति स्रोत: इसे परमाणु ऊर्जा से संचालित किया जाएगा। प्रस्तावित शक्ति क्षमता 500–550 मेगावाट होने का अनुमान है, जो EMALS, लेज़र हथियार, AEW&C आदि जैसे उच्च तकनीकी उपकरणों के संचालन के लिए पर्याप्त होगा।

  • विमान क्षमता: लगभग 55 विमान (40 फिक्स्ड-विंग लड़ाकू विमान + 15 रोटरी-विंग हेलीकॉप्टर) ले जाने में सक्षम।

  • EMALS और CATOBAR प्रणाली: INS विशाल मेंCATOBAR आधारित EMALS (electromagnetic aircraft launch system) शामिल होने की संभावना है, जो भारी विमानों को तेज़ी से लॉन्च करने में मदद करेगा और एयरफ्रेम पर कम दबाव डालेगा।

चुनौतियाँ और विकास संबंधी बाधाएँ

  • परमाणु रिएक्टर विकास: BARC संभवतः 500–550 मेगावाट क्षमता वाले रिएक्टर का निर्माण कर सकता है, लेकिन इस क्षमता तक पहुंचने में लगभग 15–20 साल लग सकते हैं।

  • कुल मिलाकर, एक विशाल और उच्च तकनीकी विमानवाहक पोत विकसित करना समय-साध्य और संसाधन-भारी है।

  • वर्तमान में इसका निर्माण 2030 के दशक के अंत तक कोचीन शिपयार्ड में संभावित रूप से शुरू होने की संभावना है

सामरिक और रणनीतिक प्रभाव

  • नील जल क्षमता (Blue-Water Capability): परमाणु शक्ति आधारित पोत लंबे समय तक और बिना रिफ्यूलिंग के समुद्र में रह सकता है, जिससे रणनीतिक परिचालन क्षमता बढ़ती है.

  • क्षेत्रीय सामरिक संतुलन: चीन और पाकिस्तान सुप्रीम समुद्री क्षमताएं विकसित कर रहे हैं, ऐसे में INS विशाल भारत को सामरिक प्रतिस्पर्धा में अग्रणी बनाएगा।

  • लक्षित तकनीकी आत्मनिर्भरता: EMALS, AEW&C, रिएक्टर और विमान जैसे आधुनिक उपकरणों का स्वदेशी विकास रक्षा निर्माण में आत्मनिर्भरता की दिशा में एक बड़ा कदम है.

सारांश तालिका

पहलू विवरण
परियोजना नाम INS विशाल (IAC-3)
योजना TPCR-2025 (15-वर्षीय रोडमैप)
प्रकार परमाणु-संचालित विमानवाहक पोत
तकनीकी विशेषता ~65–75 हजार टन, 300 m लंबाई, 55 kph क्षमता
विमान क्षमता ~55 विमान (40 फिक्स्ड-विंग + 15 हेलीकॉप्टर)
लॉन्च प्रणाली EMALS / CATOBAR
विकास शूरुआत 2030 के दशक के अंत तक संभावित निर्माण
प्रमुख लाभ लंबी समुद्री उपस्थिति, भारी विमानों का संचालन, तकनीकी आत्मनिर्भरता

INS विशाल भारत की नौसैनिक ताकत को नई ऊँचाइयों पर पहुंचते देख रहा है। यह पोत तकनीकी, सामरिक और रणनीतिक दृष्टिकोण से महत्वपूर्ण होगा। हालांकि इसके निर्माण में महत्वपूर्ण समय और संसाधनों की आवश्यकता होगी, यह भारत को क्षेत्रीय श्रेष्ठता और रक्षा आत्मनिर्भरता की ओर अग्रसर करेगा।

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