
मध्य प्रदेश के छिंदवाड़ा जिले में 10 मासूम बच्चों की मौत के मामले ने पूरे राज्य को हिला कर रख दिया है। प्रारंभिक जांच में सामने आया है कि बच्चों को एक जहरीला कफ सिरप दिया गया था, जिसके सेवन से उनकी तबीयत बिगड़ गई और एक के बाद एक 10 बच्चों ने दम तोड़ दिया। इस दर्दनाक घटना के बाद प्रशासन ने बड़ी कार्रवाई करते हुए सिरप लिखने वाले डॉक्टर को गिरफ्तार कर लिया है।
मासूमों की तबीयत बिगड़ने से खुला मामला
जानकारी के अनुसार, पिछले कुछ दिनों से छिंदवाड़ा के कई इलाकों में बच्चों को खांसी-जुकाम की शिकायत थी। परिजनों ने उन्हें इलाज के लिए एक स्थानीय डॉक्टर को दिखाया। डॉक्टर ने सभी बच्चों को एक ही ब्रांड का कफ सिरप लेने की सलाह दी। दवा पीने के कुछ घंटों के भीतर ही बच्चों की तबीयत अचानक बिगड़ने लगी — उन्हें उल्टी, बेचैनी और सांस लेने में दिक्कत जैसी समस्याएं होने लगीं।
बच्चों को तुरंत जिला अस्पताल ले जाया गया, लेकिन डॉक्टरों की तमाम कोशिशों के बावजूद 10 बच्चों की मौत हो गई, जबकि कुछ अन्य अब भी इलाजरत हैं।
जांच में सिरप में जहरीले तत्वों का खुलासा
प्रशासन ने तुरंत कार्रवाई करते हुए सिरप के सैंपल जब्त कर फॉरेंसिक लैब में जांच के लिए भेजे। शुरुआती रिपोर्ट में सिरप में जहरीले रासायनिक तत्वों की मौजूदगी की पुष्टि हुई है। माना जा रहा है कि यह सिरप मानव उपयोग के लिए मानकों पर खरा नहीं उतरता था और संभवतः गलत तरीके से बाजार में पहुंच गया था।
डॉक्टर और दवा कंपनी के खिलाफ सख्त कार्रवाई
सिरप लिखने वाले डॉक्टर को गिरफ्तार कर लिया गया है। उस पर लापरवाही और गैर-इरादतन हत्या (IPC 304A) के तहत मामला दर्ज किया गया है। साथ ही उस फार्मा कंपनी और मेडिकल स्टोर संचालक की भी जांच की जा रही है, जिनसे यह दवा खरीदी गई थी।
स्वास्थ्य विभाग ने तत्काल उस ब्रांड की कफ सिरप की राज्यभर में बिक्री पर रोक लगा दी है और अन्य जिलों में भी सैंपल की जांच के आदेश दिए हैं।
सरकार की सख्त चेतावनी
मुख्यमंत्री कार्यालय ने इस मामले को बेहद गंभीर मानते हुए विस्तृत जांच रिपोर्ट तलब की है। स्वास्थ्य मंत्री ने कहा है कि ऐसी घटनाओं को बर्दाश्त नहीं किया जाएगा और दोषियों पर कड़ी कानूनी कार्रवाई की जाएगी। साथ ही, प्रदेश में दवाओं की गुणवत्ता को लेकर एक राज्यव्यापी ऑडिट अभियान शुरू करने के निर्देश दिए गए हैं।
परिजनों में शोक और गुस्सा
छिंदवाड़ा के कई इलाकों में मातम पसरा हुआ है। जिन परिवारों ने अपने बच्चों को खोया, वे डॉक्टर और दवा कंपनी पर सख्त कार्रवाई की मांग कर रहे हैं। प्रशासन ने मृतकों के परिजनों को आर्थिक सहायता और हरसंभव मदद देने की घोषणा की है।
👉 यह घटना न केवल स्वास्थ्य तंत्र की लापरवाही को उजागर करती है, बल्कि दवा निगरानी व्यवस्था की खामियों पर भी गंभीर सवाल खड़े करती है।