NEET UG 2025: तमिलनाडु की एक मां और बेटी ने साथ मिलकर nईट यूजी 2025 परीक्षा पास की है। मां को सरकारी कॉलेज में दाखिला मिला है जबकि बेटी अपनी पढ़ाई शुरू करने की तैयारी कर रही है। यह उनकी मेहनत और लगन की कहानी है।

NEET 2025 Success Story: तमिलनाडु के तेनकासी जिले की रहने वाली 49 वर्षीय अमुथवल्ली मणिवन्नन और उनकी बेटी संयुक्ता ने साथ में नीट यूजी 2025 की परीक्षा पास करके एक दुर्लभ उदाहरण पेश किया है। जहां अमुथवल्ली को पीडब्ल्यूडी कोटे के अंतर्गत विरुधुनगर के सरकारी मेडिकल कॉलेज में एमबीबीएस में दाखिला मिल गया है, वहीं संयुक्ता भी जल्द ही अपने मेडिकल सफर की शुरुआत करेंगी।
अमुथवल्ली पेशे से फिजियोथेरेपिस्ट हैं और उन्होंने तीन दशक पहले स्कूल खत्म करने के बाद एमबीबीएस करने का सपना देखा था, लेकिन वह पूरा नहीं हो पाया। अब जब बेटी नीट की तैयारी कर रही थी, तो उन्होंने खुद भी वही किताबें लेकर पढ़ाई शुरू की। अमुथवल्ली बताती है कि मेरी बेटी मेरी सबसे बड़ी प्रेरणा थी। उसके पढ़ते हुए देखकर मुझे फिर से सपना जीने का हौसला मिला। मैंने उसकी किताबें लीं और खुद से तैयारी शुरू कर दी।
बेटी बनी मां की मार्गदर्शक
संयुक्ता सीबीएसई बोर्ड की छात्रा हैं और उन्होंने कोचिंग क्लास भी जॉइन की थी। वहीं, वे जो किताबें पढ़ती थीं, वही किताबें मां के लिए भी काम आईं। संयुक्ता कहती हैं, “मैं जो भी पढ़ती थी, उसे मां को समझाकर याद करती थी। इससे मुझे भी समझने में मदद मिलती थी।”
30 जुलाई को हुई थी काउंसलिंग
30 जुलाई को तमिलनाडु मेडिकल एडमिशन की विशेष श्रेणी की काउंसलिंग में अमुथवल्ली और संयुक्ता दोनों ने भाग लिया। अमुथवल्ली को पीडब्ल्यूडी कोटे के तहत 147 अंक के आधार पर विरुधुनगर के सरकारी मेडिकल कॉलेज में सीट मिल गई।
परिवार ने दिया पूरा साथ
संयुक्ता ने नीट में 450 अंक हासिल किए हैं और वह सामान्य कोटे या एससी कोटे में भी एडमिशन के लिए योग्य हैं। उन्होंने कहा, “मैं मां के साथ एक ही कॉलेज में नहीं पढ़ना चाहती। मैं सामान्य कोटे में एडमिशन लेकर किसी और कॉलेज, शायद राज्य के बाहर जाना चाहती हूं।” अमुथवल्ली बताती हैं कि उनके पति ने पूरे सफर में उन्हें और बेटी को पूरा सहयोग दिया। उन्होंने कहा “मेरे पति ने हमेशा पढ़ाई के लिए प्रोत्साहित किया और हर कदम पर साथ दिया।”
डायरेक्टरेट ऑफ मेडिकल एजुकेशन एंड रिसर्च की ओर से आयोजित इस ऑफलाइन काउंसलिंग में 7.5% आरक्षण के तहत सरकारी स्कूलों के छात्र, पीडब्ल्यूडी, पूर्व सैनिकों के बच्चे और खेल जगत की प्रतिभाएं शामिल थीं।