ऑपरेशन पर बोलते हुए सेना प्रमुख ने कहा, ’22 अप्रैल को पहलगाम में जो हुआ, उसने पूरे देश को झकझोर कर रख दिया। रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने कहा कि बस, बहुत हो गया। हमसे कहा गया कि आप तय करें कि क्या करना है। यह उस तरह का आत्मविश्वास, राजनीतिक दिशा और राजनीतिक स्पष्टता है, जो हमने पहली बार देखी। यही आपका मनोबल बढ़ाता है।’

थल सेना प्रमुख (सीओएएस) जनरल उपेंद्र द्विवेदी ने आईआईटी मद्रास में भारतीय सेना अनुसंधान प्रकोष्ठ (आईएआरसी) ‘अग्निशोध’ का उद्घाटन किया। यह रक्षा प्रौद्योगिकी में आत्मनिर्भरता की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम है। इसका मकसद एडिटिव मैन्युफैक्चरिंग, साइबर सुरक्षा, क्वांटम कंप्यूटिंग, वायरलेस संचार और मानवरहित प्रणालियों जैसे उभरते क्षेत्रों में सैन्य कर्मियों को कुशल बनाना है। इससे एक तकनीक-सक्षम बल तैयार करने में मदद मिलेगी।
इस दौरान सेना प्रमुख जनरल द्विवेदी ने ‘ऑपरेशन सिंदूर- आतंकवाद के खिलाफ भारत की लड़ाई में एक नया अध्याय’ पर संकाय और छात्रों को संबोधित किया। उन्होंने इसे सैद्धांतिक बदलाव के तहत अहम कदम बताया। उन्होंने इसे एक सुनियोजित और खुफिया-आधारित अभियान बताया। उन्होंने भारत की सक्रिय सुरक्षा स्थिति को मतबूत करने में स्वदेशी तकनीक और सटीक सैन्य कार्रवाई की भूमिका का भी जिक्र किया। उन्होंने अकादमिक उत्कृष्टता के माध्यम से राष्ट्र निर्माण में उनके योगदान के लिए आईआईटी संकाय की भी सराहना की।

ऑपरेशन सिंदूर को समझाने के लिए शतरंज का उदाहरण
आईआईटी मद्रास में एक संबोधन के दौरान उन्होंने ऑपरेशन सिंदूर को समझाने के लिए शतरंज का उदाहरण दिया। उन्होंने कहा, ‘ऑपरेशन सिंदूर में हमने शतरंज खेला। हमें नहीं पता था कि दुश्मन की अगली चाल क्या होगी और फिर हम क्या करने वाले हैं। इसे ग्रे जोन कहते हैं। ग्रे जोन का मतलब है कि हम पारंपरिक ऑपरेशन नहीं कर रहे हैं। हम जो कर रहे हैं, वह पारंपरिक ऑपरेशन से थोड़ा कम है। हम शतरंज की चालें चल रहे थे। दुश्मन भी शतरंज की चालें चल रहा था। कहीं हम उन्हें शह और मात दे रहे थे, तो कहीं हम अपनी जान जोखिम में डालकर भी आगे बढ़ रहे थे, लेकिन यही तो जिंदगी है।’

‘उस तरह का आत्मविश्वास, राजनीतिक दिशा और राजनीतिक स्पष्टता पहली बार देखी’
ऑपरेशन पर बोलते हुए सेना प्रमुख ने कहा, ’22 अप्रैल को पहलगाम में जो हुआ, उसने पूरे देश को झकझोर कर रख दिया। अगले ही दिन 23 तारीख को हम सब एक साथ बैठे। यह पहली बार था, जब रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने कहा कि बस, बहुत हो गया। तीनों सेना प्रमुख इस बात पर बिल्कुल स्पष्ट थे कि कुछ तो करना ही होगा। पूरी छूट दी गई। हमसे कहा गया कि आप तय करें कि क्या करना है। यह उस तरह का आत्मविश्वास, राजनीतिक दिशा और राजनीतिक स्पष्टता है, जो हमने पहली बार देखी। यही आपका मनोबल बढ़ाता है। इसी तरह इसने हमारे सेना कमांडर्स-इन-चीफ को जमीन पर रहने और अपनी बुद्धि के अनुसार कार्य करने में मदद की।’
पूरा देश कह रहा था कि आपने इसे क्यों रोक दिया?’
जनरल द्विवेदी ने कहा कि 25 तारीख को हमने उत्तरी कमान का दौरा किया, जहां हमने सोचा, योजना बनाई, रूपरेखा बनाई और ताबह किए गए नौ में से सात लक्ष्यों पर योजना को क्रियान्वित करने की तैयारी की। आपने देखा कि ऑपरेशन के दौरान बहुत सारे आतंकवादी ढेर किए गए। 29 अप्रैल को हम पहली बार प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से मिले। यह अहम था कि कैसे एक छोटा-सा नाम ‘ऑपरेशन सिंदूर’ पूरे देश को जोड़ता है। यह कुछ ऐसा है, जिसने पूरे देश को प्रेरित किया। यही कारण है कि पूरा देश कह रहा था कि आपने इसे क्यों रोक दिया? यह सवाल पूछा जा रहा था और इसका पर्याप्त उत्तर दिया गया है।