
पटना के गांधी मैदान में दशहरे के अवसर पर हर साल की तरह इस बार भी रावण दहन का भव्य आयोजन होना था, लेकिन इस बार मौसम ने कार्यक्रम में खलल डाल दिया। दहन से ठीक पहले हुई तेज बारिश और आंधी ने मैदान में खड़े विशाल रावण पुतले को नुकसान पहुँचा दिया। बारिश और हवाओं के दबाव से पुतले का सिर टूटकर नीचे झुक गया, जिससे दर्शकों और आयोजकों में हड़कंप मच गया।
सुबह से ही पटना में रुक-रुककर बारिश हो रही थी। शाम के कार्यक्रम के लिए तैयारियां जोर-शोर से की जा रही थीं, लेकिन अचानक तेज बारिश और झमाझम पानी ने पूरा गांधी मैदान जलमग्न कर दिया। मैदान में चारों ओर पानी भर गया और दशहरा देखने पहुंचे लोग भीगते रहे। आयोजकों ने पुतले को सुरक्षित रखने के लिए उस पर पहले ही खास किस्म का वार्निश और कवर चढ़ाया था, ताकि बारिश का असर न हो, लेकिन तेज हवाओं के सामने इंतजाम नाकाम साबित हुए।
करीब 80 फीट ऊँचे इस पुतले के साथ मेघनाथ और कुंभकर्ण के पुतले भी मैदान में खड़े थे। रावण के सिर टूटने से कुछ देर के लिए माहौल मायूस हो गया और लोगों को लगा कि शायद इस बार दहन नहीं हो पाएगा। हालांकि, आयोजकों ने तुरंत पुतले को ठीक करने की कोशिशें शुरू कीं और साफ किया कि “बारिश हो या तूफान, रावण हर हाल में जलेगा।”
शाम तक जब बारिश थमी, तो कार्यक्रम निर्धारित समय से थोड़ी देरी से शुरू किया गया। राज्यपाल और मुख्यमंत्री नीतीश कुमार भी गांधी मैदान पहुँचे और सुरक्षा व्यवस्था के बीच हजारों लोगों की मौजूदगी में पारंपरिक तरीके से रावण दहन किया गया। जैसे ही अग्निबाण से पुतले को आग लगी, आसमान में आतिशबाजी छा गई और पूरा मैदान “जय श्रीराम” के नारों से गूंज उठा।
मौसम की बाधा और थोड़ी देरी के बावजूद पटना का ऐतिहासिक गांधी मैदान इस बार भी रावण दहन का गवाह बना। हालांकि भारी बारिश और टूटे पुतले की घटना लोगों की चर्चा का खास विषय रही।