पूर्णिया से पीएम मोदी ने किया बिहार चुनावी आगाज, BJP के सीमांचल रिपोर्ट कार्ड में छिपा है बड़ा संदेश

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बिहार विधानसभा चुनाव अभियान की शुरुआत प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने सोमवार को पूर्णिया से की। चुनावी रणनीतिकारों का मानना है कि यह कदम यूं ही नहीं उठाया गया, बल्कि इसके पीछे भाजपा का सीमांचल रिपोर्ट कार्ड और भविष्य की चुनावी गणित छिपी है।

दरअसल, सीमांचल क्षेत्र—जिसमें अररिया, पूर्णिया, कटिहार और किशनगंज जिले शामिल हैं—भाजपा के लिए हमेशा से चुनौतीपूर्ण इलाका रहा है। 2020 के विधानसभा चुनाव में पार्टी ने अररिया की 6 में से 3, पूर्णिया की 7 में से 2 और कटिहार की 7 में से 3 सीटें जीती थीं, जबकि किशनगंज की सभी 4 सीटों पर उसे हार का सामना करना पड़ा।

2010 में भाजपा ने सीमांचल में शानदार प्रदर्शन किया था और कई जिलों में उसका स्ट्राइक रेट 80% तक पहुंच गया था। हालांकि, 2015 के चुनावों में यह घटकर लगभग 40% रह गया। खासकर किशनगंज जिला तो पिछले दो दशकों से भाजपा के लिए ‘वर्जित इलाका’ बना हुआ है, जहां 2005 से 2020 तक उसे एक भी सीट नहीं मिल पाई।

ऐसे में मोदी का पूर्णिया से अभियान की शुरुआत करना राजनीतिक रूप से अहम संकेत है। पूर्णिया को भाजपा ने कभी मजबूत गढ़ बनाया था, लेकिन हाल के चुनावों में पार्टी की पकड़ यहां ढीली हुई है। अब इस इलाके से शुरुआत कर भाजपा यह संदेश देना चाहती है कि वह सीमांचल को दोबारा अपने पक्ष में लाने के लिए पूरी ताकत झोंकने को तैयार है।

विशेषज्ञों का मानना है कि सीमांचल की सीटें यदि भाजपा के पक्ष में जाती हैं, तो यह पूरे बिहार चुनाव में पार्टी के लिए माहौल बना सकती हैं। यही वजह है कि पीएम मोदी ने चुनावी बिगुल फूंकने के लिए पूर्णिया को चुना।

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