
नेपाल में सरकार द्वारा फेसबुक, इंस्टाग्राम, व्हाट्सएप और यूट्यूब समेत कई बड़े सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म्स पर प्रतिबंध लगाने के फैसले ने देशभर में भारी विरोध को जन्म दिया है। राजधानी काठमांडू और अन्य प्रमुख शहरों में हजारों युवा सड़कों पर उतर आए। आंदोलन की अगुवाई युवा वर्ग कर रहा है, इसलिए इसे “Gen-Z का आंदोलन” कहा जा रहा है।
संसद भवन तक पहुंचे प्रदर्शनकारी
काठमांडू में विरोध ने हिंसक रूप ले लिया। नाराज़ युवाओं ने संसद भवन में घुसने की कोशिश की और वहां तोड़फोड़ और आगजनी की घटनाएं हुईं। हालात बिगड़ने पर पुलिस ने प्रदर्शनकारियों को तितर-बितर करने के लिए आंसू गैस के गोले, पानी की बौछार और रबर बुलेट का इस्तेमाल किया।
कर्फ्यू और सेना की तैनाती
स्थिति पर नियंत्रण पाने के लिए सरकार ने काठमांडू, पोखरा सहित कई इलाकों में कर्फ्यू लागू कर दिया है। साथ ही, सुरक्षा के मद्देनज़र सेना को भी तैनात किया गया है।
हताहतों की संख्या में बढ़ोतरी
हिंसक झड़पों में अब तक कई लोगों की मौत की पुष्टि हो चुकी है, जबकि 250 से अधिक लोग घायल बताए जा रहे हैं। घायलों में से कई की हालत गंभीर बनी हुई है।
सोशल मीडिया बैन से भड़का आक्रोश
सरकार का कहना है कि सोशल मीडिया कंपनियों ने देश में पंजीकरण और नियामकीय नियमों का पालन नहीं किया, जिसके कारण प्रतिबंध लगाया गया। लेकिन युवाओं का मानना है कि यह फैसला उनकी अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता पर हमला है।
भ्रष्टाचार और राजनीतिक असंतोष भी मुद्दा
विश्लेषकों का कहना है कि यह आंदोलन केवल सोशल मीडिया प्रतिबंध तक सीमित नहीं है। लंबे समय से चल रहे भ्रष्टाचार, भाई-भतीजावाद और राजनीतिक तंत्र से जुड़ा असंतोष भी इन प्रदर्शनों के पीछे बड़ी वजह है।