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सुप्रीम कोर्ट ने एक ऐतिहासिक फैसले में 23 साल बाद एक विधवा महिला को न्याय दिलाते हुए भारतीय रेलवे को मुआवजा देने का आदेश दिया है। कोर्ट ने कहा कि पीड़िता को न केवल मुआवजा राशि दी जाए, बल्कि उस पर 6 प्रतिशत वार्षिक ब्याज भी जोड़ा जाए। यह फैसला ऐसे समय आया है जब पीड़िता वर्षों से न्याय के लिए संघर्ष कर रही थी।
🔹 क्या है पूरा मामला?
यह मामला साल 2002 का है, जब एक ट्रेन हादसे में विजय सिंह नामक व्यक्ति की मौत हो गई थी। हादसा रेलवे की लापरवाही के कारण हुआ था। उनके निधन के बाद पत्नी ने रेलवे से मुआवजे की मांग की थी, लेकिन विभाग ने हादसे की जिम्मेदारी लेने से इनकार कर दिया।
इसके बाद महिला ने रेलवे क्लेम ट्रिब्यूनल का दरवाजा खटखटाया, जहां भी मामला वर्षों तक अटका रहा। आखिरकार, मामला सुप्रीम कोर्ट तक पहुंचा, जिसने अब जाकर इस पर अंतिम फैसला सुनाया है।
🔹 सुप्रीम कोर्ट की सख्त टिप्पणी
सुप्रीम कोर्ट की बेंच ने सुनवाई के दौरान कहा—
“न्याय में देरी न्याय से वंचित करने के समान है। एक गरीब विधवा को 23 साल तक इंतजार कराना प्रशासनिक असंवेदनशीलता को दर्शाता है।”
कोर्ट ने कहा कि रेलवे एक सरकारी संस्था है, इसलिए उसे जनता के प्रति जवाबदेही निभानी चाहिए।
🔹 रेलवे को देना होगा ब्याज समेत मुआवजा
फैसले में कहा गया कि रेलवे को मुआवजा राशि के साथ 6 प्रतिशत वार्षिक ब्याज भी देना होगा, जो 2002 से अब तक की अवधि पर लागू होगा।
अदालत ने यह भी स्पष्ट किया कि यह मामला “मानव संवेदना” से जुड़ा है, और ऐसे मामलों में विभागों को तकनीकी वजहों का हवाला देकर मुआवजा रोकना उचित नहीं है।
🔹 महिला ने जताया संतोष
23 साल से चल रहे इस कानूनी संघर्ष के बाद अब महिला ने राहत की सांस ली है। उन्होंने कहा—
“मुझे भरोसा था कि अदालत से न्याय मिलेगा। मेरे पति की मौत के बाद बहुत मुश्किलें आईं, लेकिन अब लगता है कि भगवान ने देर से ही सही, न्याय दिला दिया।”
🔹 सामाजिक संदेश
इस फैसले ने एक बार फिर यह संदेश दिया है कि न्याय भले देर से मिले, लेकिन सत्य और धैर्य की जीत होती है। सुप्रीम कोर्ट का यह फैसला उन सैकड़ों मामलों के लिए मिसाल बन सकता है, जहां सरकारी विभागों की लापरवाही के कारण पीड़ितों को सालों इंतजार करना पड़ता है।
🔹 निष्कर्ष
23 साल की लंबी कानूनी लड़ाई के बाद सुप्रीम कोर्ट ने पीड़िता के पक्ष में फैसला सुनाते हुए रेलवे को मुआवजा और ब्याज देने का आदेश दिया। अदालत ने यह भी कहा कि भविष्य में ऐसे मामलों में तेजी से न्याय सुनिश्चित किया जाए।
संक्षेप में:
रेल हादसे में पति को खो चुकी विधवा को आखिरकार सुप्रीम कोर्ट ने न्याय दिलाया — 23 साल बाद रेलवे को मुआवजा + 6% ब्याज सहित रकम अदा करनी होगी।