सूरत में इंटरनेशनल मनी लॉन्ड्रिंग नेटवर्क का भंडाफोड़, साइबर फ्रॉड से ठगे ₹10 करोड़ पाकिस्तान भेजे गए क्रिप्टो के जरिए

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गुजरात के सूरत शहर में पुलिस ने एक बड़े अंतरराष्ट्रीय मनी लॉन्ड्रिंग नेटवर्क का पर्दाफाश किया है, जिसने साइबर फ्रॉड के जरिए ठगे गए करीब ₹10 करोड़ रुपये को क्रिप्टोकरेंसी में बदलकर पाकिस्तान भेज दिया।
यह मामला न केवल राज्य बल्कि राष्ट्रीय सुरक्षा के लिए भी चिंता का विषय बन गया है, क्योंकि यह पहली बार है जब भारत में किसी साइबर अपराध की रकम को इस तरह से अंतरराष्ट्रीय क्रिप्टो ट्रांजेक्शन के जरिए देश से बाहर भेजा गया है।


मामला कैसे खुला

गुजरात पुलिस की साइबर क्राइम यूनिट को एक शिकायत मिली थी कि कुछ लोगों ने ऑनलाइन ट्रेडिंग प्लेटफॉर्म के नाम पर लोगों से करोड़ों रुपये की ठगी की है।
जांच के दौरान यह पता चला कि आरोपी इन पैसों को डिजिटल वॉलेट्स के जरिए क्रिप्टोकरेंसी (Bitcoin, Ethereum आदि) में बदल रहे थे।

पुलिस ने गहन जांच शुरू की और कई खातों की फॉरेंसिक जांच के बाद यह खुलासा हुआ कि ठगी से कमाए गए पैसे पाकिस्तान और दुबई के डिजिटल अकाउंट्स में ट्रांसफर किए जा रहे थे।


गिरफ्तारी और नेटवर्क का खुलासा

सूरत पुलिस ने इस मामले में एक व्यक्ति को गिरफ्तार किया है जिसकी पहचान रिजवान शेख (उम्र 32 वर्ष) के रूप में हुई है।
रिजवान शहर में ही एक छोटे IT व्यवसाय के नाम पर फर्जी बैंक खातों का इस्तेमाल कर रहा था।
उसके कब्जे से कई डिजिटल वॉलेट, लैपटॉप, हार्ड ड्राइव, और फर्जी पासपोर्ट जब्त किए गए हैं।

प्रारंभिक जांच में सामने आया कि रिजवान भारत, पाकिस्तान, और दुबई के बीच संचालित एक संगठित साइबर माफिया गिरोह का हिस्सा था।
यह नेटवर्क भारत में ठगी से अर्जित धन को पहले क्रिप्टो में कन्वर्ट करता था और फिर उस राशि को ब्लॉकचेन नेटवर्क्स के जरिए विदेश भेज देता था, ताकि उसका कोई बैंकिंग ट्रेल न रहे।


कैसे होती थी ठगी

जांच अधिकारियों के अनुसार, गिरोह ऑनलाइन ट्रेडिंग प्लेटफॉर्म, इन्वेस्टमेंट स्कीम और ई-कॉमर्स वेबसाइट्स के नाम पर फर्जी कॉल्स करता था।
लोगों को “डबल रिटर्न” या “विदेशी निवेश” का लालच देकर पैसे उनके खातों में जमा करवाए जाते थे।
इसके बाद पैसे को क्रिप्टोकरेंसी एक्सचेंज के जरिए बदला जाता था।

साइबर यूनिट के एक वरिष्ठ अधिकारी ने बताया —

“यह पूरा रैकेट हाई-टेक है। आरोपी ब्लॉकचेन टेक्नोलॉजी का फायदा उठाकर लेन-देन के सबूत मिटा देते थे।
उन्होंने ऐसे डिजिटल वॉलेट्स का इस्तेमाल किया जिनकी लोकेशन ट्रेस करना लगभग असंभव था।”


पाकिस्तान से कनेक्शन

सूरत पुलिस की जांच में यह भी सामने आया कि ट्रांजेक्शन का बड़ा हिस्सा पाकिस्तान के कराची और लाहौर स्थित अकाउंट्स में गया।
क्रिप्टो वॉलेट्स की डिटेल्स से यह भी पता चला कि कुछ रकम वहां के डार्क वेब मार्केट्स और अवैध ऑनलाइन जुए के खातों में भी ट्रांसफर की गई थी।

इंटेलिजेंस ब्यूरो (IB) और एन्फोर्समेंट डायरेक्टरेट (ED) ने भी इस केस में दखल दी है, क्योंकि यह मामला राष्ट्रीय सुरक्षा और विदेशी मुद्रा कानून के उल्लंघन से जुड़ा हुआ है।


साइबर फ्रॉड से मनी लॉन्ड्रिंग तक

पुलिस का कहना है कि इस नेटवर्क ने भारत में अब तक 50 से अधिक खातों से ठगी की रकम इकट्ठी की, जिसे बाद में बिटकॉइन और USDT (Tether) में बदला गया।
जांचकर्ताओं ने अनुमान लगाया है कि पिछले एक साल में इस गिरोह ने कम से कम ₹25 करोड़ तक के ट्रांजेक्शन किए हैं, जिनमें से ₹10 करोड़ की पुष्टि फिलहाल हुई है।

ED के अधिकारी ने बताया,

“ये लोग भारतीय बैंकों में फर्जी KYC करवाकर खातों का इस्तेमाल करते थे।
फिर अलग-अलग छोटे ट्रांजेक्शन के जरिए पैसे को डिजिटल करेंसी में बदला जाता था ताकि किसी भी वित्तीय एजेंसी को शक न हो।”


तकनीक का दुरुपयोग

इस मामले ने एक बार फिर दिखाया है कि कैसे क्रिप्टोकरेंसी और ब्लॉकचेन तकनीक का इस्तेमाल गलत हाथों में पड़ने पर मनी लॉन्ड्रिंग के बड़े जरिये के रूप में किया जा सकता है।
भारत में क्रिप्टो ट्रांजेक्शन के लिए रेगुलेटरी मॉनिटरिंग अभी भी सीमित है।
हालांकि, सरकार ने प्रिवेंशन ऑफ मनी लॉन्ड्रिंग एक्ट (PMLA) के तहत क्रिप्टो एक्सचेंजों को अपने उपयोगकर्ताओं का पूरा डाटा जमा करने का आदेश दिया है।

लेकिन विशेषज्ञों का कहना है कि जब तक अंतरराष्ट्रीय स्तर पर कोई साझा निगरानी व्यवस्था नहीं बनती, तब तक ऐसे अपराधों पर पूरी तरह लगाम लगाना मुश्किल है।


पुलिस की अगली कार्रवाई

सूरत साइबर क्राइम यूनिट ने इस केस को अब राष्ट्रीय जांच एजेंसी (NIA) और ED के हवाले कर दिया है।
जांच एजेंसियों की कोशिश है कि ब्लॉकचेन के जरिए विदेश भेजे गए पैसों का पूरा डिजिटल ट्रेल तैयार किया जाए।
इसके अलावा, पाकिस्तान में मौजूद संभावित सहयोगियों की पहचान के लिए इंटरपोल की मदद ली जाएगी।

सूरत पुलिस कमिश्नर अजय टोमर ने कहा,

“यह मामला सिर्फ ठगी का नहीं बल्कि साइबर आतंकवाद की संभावनाओं से जुड़ा है।
अगर कोई देश विरोधी ताकतें इस पैसे का इस्तेमाल करतीं तो यह राष्ट्रीय खतरे का कारण बन सकता था।”


नागरिकों के लिए चेतावनी

पुलिस ने लोगों को चेतावनी दी है कि वे किसी भी अज्ञात लिंक, फर्जी इन्वेस्टमेंट स्कीम या कॉल पर भरोसा न करें।
अगर कोई संदिग्ध वित्तीय ट्रांजेक्शन दिखाई दे, तो तुरंत 1930 हेल्पलाइन नंबर या cybercrime.gov.in पर शिकायत करें।


निष्कर्ष

सूरत का यह मामला भारत में डिजिटल अपराधों के नए खतरे की ओर इशारा करता है।
जैसे-जैसे देश डिजिटल इकॉनमी की ओर बढ़ रहा है, वैसे-वैसे अपराधियों के तरीके भी तकनीकी रूप से उन्नत हो रहे हैं।
यह जरूरी है कि पुलिस और जांच एजेंसियों को न सिर्फ तकनीकी प्रशिक्षण मिले, बल्कि क्रिप्टो मॉनिटरिंग सिस्टम को भी और मजबूत किया जाए।

भारत सरकार और वित्तीय नियामक संस्थानों को अब यह सुनिश्चित करना होगा कि ब्लॉकचेन और डिजिटल करेंसी का इस्तेमाल केवल वैध व्यापार के लिए हो — न कि अंतरराष्ट्रीय अपराध और मनी लॉन्ड्रिंग के लिए।

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