
लालू परिवार में फिर दिखी दरार, बिहार चुनाव से पहले RJD में अंदरूनी खींचतान तेज
बिहार की राजनीति में लालू प्रसाद यादव परिवार एक बार फिर सुर्खियों में है। इस बार वजह हैं दो सगे भाई — तेजस्वी यादव और तेज प्रताप यादव।
सूत्रों के अनुसार, तेजस्वी यादव ने अपने बड़े भाई तेज प्रताप को महुआ सीट से घेरने के लिए चतुराई से “चक्रव्यूह” रचा है, जिससे यह सीट अब केवल चुनावी मैदान नहीं बल्कि परिवार की प्रतिष्ठा का प्रश्न बन गई है।
🔹 पृष्ठभूमि: महुआ से शुरू हुई थी तेज प्रताप की राजनीति
महुआ विधानसभा सीट वही जगह है जहां से तेज प्रताप यादव ने 2015 में अपनी राजनीतिक पारी की शुरुआत की थी।
तब लालू प्रसाद यादव की अगुवाई में RJD को शानदार जीत मिली थी और तेज प्रताप मंत्री पद तक पहुंचे थे।
लेकिन समय के साथ परिवारिक और राजनीतिक मतभेद बढ़ते गए — तेज प्रताप का रुख पार्टी लाइन से अलग होता गया और उनकी बयानबाजी ने कई बार RJD को असहज स्थिति में डाल दिया।
🔹 तेजस्वी की रणनीति: भीतरघात नहीं, योजनाबद्ध चाल
जानकारों के अनुसार, इस बार तेजस्वी यादव ने महुआ सीट को लेकर खास प्लान तैयार किया है।
उन्होंने अपने भरोसेमंद कार्यकर्ताओं को पहले ही क्षेत्र में सक्रिय कर दिया है और
स्थानीय यादव, पासवान और मुस्लिम वोटरों को “तेजस्वी समर्थक उम्मीदवार” की ओर मोड़ने की कोशिश शुरू कर दी है।
सूत्रों का दावा है कि RJD नेतृत्व तेज प्रताप को इस बार महुआ से टिकट नहीं देना चाहता, बल्कि किसी “वफादार और साइलेंट वर्कर” को आगे लाना चाहता है।
इसी को लेकर पार्टी में अंदर ही अंदर खींचतान बढ़ रही है।
🔹 तेज प्रताप की नाराज़गी: ‘मुझे हटाने की साजिश हो रही है’
तेज प्रताप यादव ने पिछले दिनों एक सभा में खुलकर कहा था —
“पार्टी के कुछ लोग मुझे हाशिए पर धकेलना चाहते हैं, लेकिन मैं हार मानने वाला नहीं हूं।”
उनका यह बयान साफ संकेत देता है कि वे अपने ही परिवार और पार्टी के भीतर विरोध महसूस कर रहे हैं।
कहा जा रहा है कि वे महुआ सीट से निर्दलीय या किसी छोटे दल के समर्थन से चुनाव लड़ने की तैयारी में हैं।
🔹 तेजस्वी की छवि पर असर
तेजस्वी यादव इस वक्त महागठबंधन के चेहरा बने हुए हैं और वे बिहार में OBC, मुस्लिम और युवा वोटरों को एकजुट करने की रणनीति पर काम कर रहे हैं।
ऐसे में, अपने ही भाई से टकराव उनके “संयमित और परिपक्व नेता” की छवि को चुनौती दे सकता है।
हालांकि उनके करीबी नेताओं का कहना है कि —
“तेजस्वी संगठन को मजबूत करना चाहते हैं, न कि किसी व्यक्ति को कमजोर करना।”
🔹 महुआ बना ‘लालू परिवार की परीक्षा भूमि’
महुआ अब केवल एक विधानसभा सीट नहीं रही, बल्कि यह लालू परिवार की एकता और RJD की दिशा तय करने वाली जगह बन चुकी है।
राजनीतिक विश्लेषकों का मानना है कि अगर तेजस्वी ने यहां से किसी और उम्मीदवार को उतारा और तेज प्रताप ने बगावत की, तो इसका सीधा असर यादव वोट बैंक पर पड़ सकता है।
🔹 विश्लेषण: चक्रव्यूह का केंद्र है ‘विरासत की राजनीति’
तेजस्वी यादव फिलहाल पार्टी के सर्वोच्च नेता के तौर पर स्थापित हो चुके हैं,
जबकि तेज प्रताप धीरे-धीरे “बागी” और “भावनात्मक राजनेता” की छवि में फंस गए हैं।
तेजस्वी की यह रणनीति न सिर्फ महुआ तक सीमित है, बल्कि यह RJD में पावर बैलेंस को स्थिर करने की दिशा में उनका बड़ा कदम भी मानी जा रही है।
🔹 निष्कर्ष
महुआ की लड़ाई अब सिर्फ चुनावी नहीं, बल्कि लालू परिवार के भीतर सत्ता, सम्मान और उत्तराधिकार की लड़ाई बन चुकी है।
तेजस्वी यादव जहां राजनीतिक परिपक्वता और नियंत्रण दिखाने की कोशिश में हैं,
वहीं तेज प्रताप भावनाओं और असंतोष की राजनीति के प्रतीक बनते जा रहे हैं।
आने वाले चुनाव में यह देखना दिलचस्प होगा कि क्या तेजस्वी का “चक्रव्यूह” कामयाब होता है,
या तेज प्रताप उसमें से “अभिमन्यु” की तरह निकलने में सफल होते हैं।