वाराणसी का प्रसिद्ध अस्सी घाट बाढ़ की चपेट में आ चुका है. जिन गलियों में लोग पैदल नहीं चल पाते थे, वहां नाव चल रही है. पुलिस की फ्लड यूनिट लगातार लोगो को बाढ़ वाले इलाकों से निकाल रही है.

उत्तर प्रदेश के कई इलाकों में बाढ़ का कहर जारी है. इसमें सबसे ज्यादा प्रभावित इलाका प्रयागराज है. इसके बाद वाराणसी में भी हालात बद्तर होते जा रहे हैं. बाढ़ के पानी ने वाराणसी की तंग गलियों से लेकर चौड़े घाटों तक को अपनी चपेट में ले लिया है. वाराणसी में गंगा और वरुणा के बढ़े जलस्तर से बाढ़ के हालात पैदा हो चुके हैं.
वाराणसी का प्रसिद्ध अस्सी घाट बाढ़ की चपेट में आ चुका है. जिन गलियों में लोग पैदल नहीं चल पाते थे, वहां नाव चल रही है. पुलिस की फ्लड यूनिट लगातार लोगों को बाढ़ वाले इलाकों से निकाल रही है. ऐसे में अस्सी घाट के किनारे बने वह होटल भी सूने हो चुके हैं जहां कभी पर्यटकों की भीड़ रहती थी, वहां होटल या तो खाली है या फिर पर्यटक होटल की बालकनी से बनारस के बाढ़ का रंग देख रहे हैं. वाराणसी का शहरी इलाका चपेट में है तो ग्रामीण इलाकों के हाल का अंदाजा भी लगाया ही जा सकता है.

गांव में पानी सड़कों पर आ चुका है. घर के अंदर घुसने के लिए पानी हिलोरे मार रहा है, गांव वाले भी परेशान हो गए हैं कि पानी बढ़ा तो कहां जाएंगे. कई गांव वाले ठेले पर समान और अपने बच्चों को लेकर निकल रहे हैं तो कोई सामान निकाल कर किसी दूसरी सुरक्षित जगह जाने की तैयारी में है. वाराणसी के लंका इलाके के मलहिया गांव में कुछ ऐसे ही हालात हैं. गांव में धीरे-धीरे पानी बढ़ रहा है. सड़कों पर बढ़ता पानी का जलस्तर और तेज बहाव से घरों में घुस रहा है.
वाराणसी में गंगा का जलस्तर बढ़ा तो सबसे पहले जो असर दिखा. वो था उनपर जो बाबा विश्वनाथ की नगरी गंगा किनारे ऐतिहासिक अस्सी घाट पर अंतिम क्रिया के लिए ले जाते हैं. मोक्ष की उम्मीद रखते हैं लेकिन गंगा का जलस्तर बढ़ा तो अस्सी घाट के साथ-साथ दर्शश्मिश घाट, मणिकर्णिका घाट भी डूब गए और इसका सीधा असर देखने को मिला लाश गलियों में जलाई जाने लगी.

लोगों का कहना है कि बाढ़ के पानी से यह मुसीबत तो हर साल आती है लेकिन इस बार सब कुछ अस्त व्यस्त हो गया है. जो पर्यटक जीवन-मृत्यु को एक साथ देखने के लिए हरिश्चंद्र घाट, मणिकर्णिका घाट आते थे उनको लाने के लिए नाव चलती थी, वह भी अब नहीं चल पा रही. बहाव इतना तेज है कि नाव ही बह जाती है.