सुप्रीम कोर्ट ने अतिरिक्त एजीआर मांग को खारिज करने की वोडाफोन आइडिया की याचिका पर सुनवाई 13 अक्तूबर तक टाली दी है। इससे पहले, शीर्ष अदालत ने 26 सितंबर को सुनवाई 6 अक्तूबर तक के लिए टाल दी थी।

सुप्रीम कोर्ट ने वोडाफोन आइडिया की दायर याचिका पर सुनवाई 13 अक्तूबर तक के लिए स्थगित कर दी है। इसमें कंपनी ने दूरसंचार विभाग (DoT) द्वारा वित्त वर्ष 2016-17 तक की अवधि के लिए उठाई गई अतिरिक्त समायोजित सकल राजस्व (एजीआर) मांगों से राहत की मांग की गई है।
मुख्य न्यायाधीश बी.आर. गवई और न्यायमूर्ति के. विनोद चंद्रन की पीठ, जो याचिका पर सुनवाई करने वाली थी, से केंद्र की ओर से पेश सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता ने आग्रह किया कि सुनवाई अगले सोमवार तक के लिए स्थगित कर दी जाए।
इस दलील का समर्थन वोडाफोन आइडिया लिमिटेड (वीआईएल) का प्रतिनिधित्व करने वाले वरिष्ठ अधिवक्ता मुकुल रोहतगी ने किया। उन्होंने पीठ से आग्रह किया कि याचिका पर दिवाली की छुट्टियों से पहले सुनवाई की जाए। मुख्य न्यायाधीश ने उनकी दलीलें मान लीं। इससे पहले, शीर्ष अदालत ने 26 सितंबर को सुनवाई 6 अक्तूबर तक के लिए टाल दी थी।
वीआईएल ने दायर की नई याचिका
वीआईएल ने वित्त वर्ष 2016-17 से संबंधित दूरसंचार विभाग (डीओटी) की 5,606 करोड़ रुपये की नई मांग के खिलाफ एक नई याचिका दायर की है। इससे पहले, केंद्र ने कहा था कि कंपनी के साथ समाधान पर पहुंचने के प्रयास चल रहे हैं।
सरकार के पास वोडाफोन आइडिया में 50 प्रतिशत की हिस्सेदारी
विधि अधिकारी ने कहा कि सरकार के पास वोडाफोन आइडिया में लगभग 50 प्रतिशत इक्विटी है, जिससे वह ऑपरेटर के अस्तित्व में प्रत्यक्ष हितधारक बन गई है। उन्होंने कहा कि आपके अनुमोदन के अधीन, कोई समाधान निकालना पड़ सकता है। अगर इसे अगले सप्ताह रखा जा सके, तो हम कोई समाधान सोच सकते हैं।
क्या है मामाला?
वीआईएल ने दूरसंचार विभाग को 3 फरवरी, 2020 के ‘कटौती सत्यापन दिशानिर्देशों’ के बाद वित्त वर्ष 2016-17 तक की अवधि के लिए सभी एजीआर बकाया का व्यापक रूप से पुनर्मूल्यांकन और समाधान करने का निर्देश देने की मांग की है।
इस साल की शुरुआत में, भारती एयरटेल और वोडाफोन आइडिया सहित दूरसंचार कंपनियों को झटका देते हुए, शीर्ष अदालत ने अपने 2021 के आदेश की समीक्षा करने से इनकार कर दिया था। 23 जुलाई, 2021 को शीर्ष अदालत ने एजीआर बकाया की गणना में कथित त्रुटियों को सुधारने की मांग वाली उनकी याचिकाओं को खारिज कर दिया। दूरसंचार कम्पनियों ने तर्क दिया था कि गणना में अंकगणितीय त्रुटियों को सुधारा जाना चाहिए व प्रविष्टियों के दोहराव के मामले भी सामने आए थे।
शीर्ष अदालत ने सितंबर 2020 में एजीआर से संबंधित 93,520 करोड़ रुपये का बकाया चुकाने के लिए संघर्ष कर रहे दूरसंचार सेवा प्रदाताओं के लिए सरकार को अपनी बकाया राशि चुकाने के लिए 10 साल की समय सीमा तय की थी। सितंबर 2020 के अपने आदेश में, शीर्ष अदालत ने कहा कि दूरसंचार ऑपरेटरों को दूरसंचार विभाग द्वारा मांगे गए कुल बकाये का 10 प्रतिशत 31 मार्च, 2021 तक भुगतान करना चाहिए और शेष राशि का भुगतान 1 अप्रैल, 2021 से 31 मार्च, 2031 तक वार्षिक किश्तों में किया जाएगा।
शीर्ष अदालत ने एजीआर बकाया के संबंध में दूरसंचार विभाग द्वारा उठाई गई मांग को अंतिम माना और कहा कि दूरसंचार कंपनियों द्वारा न तो कोई विवाद उठाया जाना चाहिए और न ही कोई पुनर्मूल्यांकन किया जाना चाहिए। शीर्ष अदालत ने अक्टूबर 2019 में एजीआर मुद्दे पर अपना फैसला सुनाया। दूरसंचार विभाग ने शीर्ष न्यायालय में एक याचिका दायर कर दूरसंचार कम्पनियों द्वारा बकाया राशि का भुगतान 20 वर्षों में चरणबद्ध तरीके से करने की मांग की है।
एजीआर क्या है?
समायोजित सकल राजस्व (एजीआर) वह आय आंकड़ा है जिसका उपयोग लाइसेंस शुल्क और स्पेक्ट्रम शुल्क की गणना के लिए किया जाता है जो दूरसंचार कंपनियों को सरकार को देना होता है। इससे पहले, एजीआर में दूरसंचार राजस्व और गैर-दूरसंचार आय (जैसे जमा या परिसंपत्ति बिक्री से ब्याज) दोनों शामिल थे। 2021 में नियमों में ढील दी गई ताकि गैर-दूरसंचार आय अब एजीआर का हिस्सा न रहे, जिससे ऑपरेटरों पर वित्तीय भार कम हो गया।