भारतीय महिला क्रिकेट टीम की स्टार खिलाड़ी ऋचा घोष को उनकी ऐतिहासिक उपलब्धि के लिए अब एक और बड़ा सम्मान मिला है। वेस्ट बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी ने शनिवार को ऋचा को पश्चिम बंगाल पुलिस में DSP (डिप्टी सुपरिटेंडेंट ऑफ पुलिस) के पद पर नियुक्त किया। साथ ही, उन्हें राज्य सरकार की ओर से प्रतिष्ठित ‘बंग भूषण’ सम्मान भी प्रदान किया गया। यह सम्मान उनकी अद्भुत क्रिकेट यात्रा और भारत को महिला क्रिकेट विश्व कप जिताने में निभाई गई अहम भूमिका के लिए दिया गया।

विश्व कप विजेता से प्रशासनिक अधिकारी तक की प्रेरक कहानी
ऋचा घोष, जिन्होंने हाल ही में भारत को महिला विश्व कप 2025 में शानदार जीत दिलाने में अहम भूमिका निभाई, अब खेल के मैदान से एक नई जिम्मेदारी निभाने जा रही हैं। भारतीय महिला टीम ने साउथ अफ्रीका को हराकर पहली बार विश्व कप ट्रॉफी जीती थी — और इस ऐतिहासिक जीत में ऋचा की विस्फोटक बल्लेबाजी ने सबका दिल जीत लिया।
फाइनल मुकाबले में ऋचा ने मुश्किल परिस्थितियों में आक्रामक पारी खेलते हुए टीम को जीत की दहलीज तक पहुंचाया था। उनके प्रदर्शन ने उन्हें “मैच की शेरनी” बना दिया था।
कोलकाता में आयोजित सम्मान समारोह
कोलकाता में आयोजित एक भव्य समारोह में मुख्यमंत्री ममता बनर्जी ने खुद ऋचा को DSP की नियुक्ति पत्र सौंपा। कार्यक्रम के दौरान राज्य के कई वरिष्ठ मंत्री, खेल अधिकारी और पुलिस विभाग के प्रतिनिधि मौजूद थे।
ममता बनर्जी ने कहा —
“ऋचा घोष ने न सिर्फ बंगाल बल्कि पूरे देश का मान बढ़ाया है। वह हमारे युवाओं के लिए प्रेरणा हैं। उनके समर्पण और हौसले ने दिखाया कि लड़कियां किसी भी क्षेत्र में पीछे नहीं हैं।”
इस दौरान ऋचा को पारंपरिक बंगाली परिधान में सम्मानित किया गया और “बंग भूषण” की उपाधि दी गई। यह सम्मान राज्य सरकार की ओर से उन व्यक्तित्वों को दिया जाता है जिन्होंने अपने क्षेत्र में असाधारण योगदान दिया हो।
ऋचा घोष की भावनात्मक प्रतिक्रिया
DSP बनने के बाद ऋचा घोष ने अपनी खुशी व्यक्त करते हुए कहा —
“यह मेरे जीवन का सबसे गर्व भरा पल है। मैंने कभी नहीं सोचा था कि क्रिकेट मुझे यहां तक ले आएगा। मैं ममता दीदी और बंगाल सरकार की आभारी हूं जिन्होंने मुझे इतना बड़ा सम्मान दिया।”
उन्होंने यह भी कहा कि वह अपने नए पद की जिम्मेदारियों को पूरी ईमानदारी से निभाएंगी और साथ ही क्रिकेट खेलना जारी रखेंगी। “मैं चाहती हूं कि हर लड़की अपने सपनों को पूरा करे और यह सोचे कि कुछ भी असंभव नहीं है,” ऋचा ने कहा।
परिवार की खुशी का ठिकाना नहीं
ऋचा के माता-पिता भी इस ऐतिहासिक मौके पर मौजूद थे। उनके पिता मानिक घोष ने कहा कि उन्होंने हमेशा ऋचा को अपने जुनून का पीछा करने के लिए प्रोत्साहित किया।
“जब वह छोटी थी, तब लोग कहते थे कि क्रिकेट लड़कियों का खेल नहीं है। लेकिन ऋचा ने सबको गलत साबित कर दिया,” उनके पिता ने मुस्कुराते हुए कहा।
ऋचा की मां ने कहा कि उन्हें अपनी बेटी पर गर्व है और यह सम्मान हर उस माता-पिता के लिए उम्मीद की किरण है जिनकी बेटियाँ बड़े सपने देखती हैं।
राज्य सरकार की पहल
पश्चिम बंगाल सरकार लंबे समय से खेल और खिलाड़ियों को प्रोत्साहित करने के लिए कदम उठाती रही है। पहले भी कई खिलाड़ियों को पुलिस विभाग और प्रशासन में सम्मानजनक पदों पर नियुक्त किया जा चुका है।
ममता बनर्जी ने कहा —
“खिलाड़ियों के योगदान को केवल खेल के मैदान तक सीमित नहीं रखना चाहिए। वे समाज के आदर्श हैं। ऐसे लोगों को प्रशासन में जगह मिलनी चाहिए ताकि वे नई पीढ़ी को प्रेरित कर सकें।”
ऋचा घोष: करियर की झलक
ऋचा घोष ने महज 15 साल की उम्र में भारतीय टीम के लिए डेब्यू किया था।
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उनका जन्म सिलीगुड़ी, पश्चिम बंगाल में हुआ था।
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वह अपने आक्रामक खेल और फिनिशिंग स्किल्स के लिए जानी जाती हैं।
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2025 महिला विश्व कप में उन्होंने तीन हाफ सेंचुरी लगाईं और टीम इंडिया की जीत में निर्णायक भूमिका निभाई।
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उन्हें 2024 में ICC द्वारा “Emerging Player of the Year” का खिताब भी दिया गया था।
सोशल मीडिया पर बधाइयों की बाढ़
ऋचा घोष के DSP बनने की खबर सोशल मीडिया पर वायरल हो गई। भारतीय महिला क्रिकेट टीम की कप्तान हरमनप्रीत कौर, स्मृति मंधाना और जेमिमा रॉड्रिग्स ने उन्हें बधाई दी।
हरमनप्रीत ने ट्वीट किया —
“हमारी वर्ल्ड कप हीरो अब DSP! बहुत गर्व है तुम पर ऋचा। तुमने साबित किया कि मेहनत और अनुशासन हमेशा रंग लाते हैं।”
साथ ही, क्रिकेट फैंस ने भी ट्विटर और इंस्टाग्राम पर #RichaGhosh ट्रेंड कराया।
महिला सशक्तिकरण की मिसाल
ऋचा घोष की यह उपलब्धि सिर्फ खेल जगत की जीत नहीं बल्कि महिला सशक्तिकरण की दिशा में एक बड़ा कदम है। उन्होंने दिखाया कि मेहनत, लगन और आत्मविश्वास से महिलाएं किसी भी क्षेत्र में नई ऊँचाइयाँ छू सकती हैं।
यह उपलब्धि देशभर की उन युवा लड़कियों के लिए प्रेरणा है जो अपने सपनों को लेकर आगे बढ़ना चाहती हैं।
निष्कर्ष
ऋचा घोष अब दोहरी जिम्मेदारी निभाने जा रही हैं — एक DSP के रूप में देश की सेवा करने की और एक खिलाड़ी के रूप में देश का नाम रोशन करने की। ममता बनर्जी का यह कदम न केवल महिला खिलाड़ियों को सम्मान देने की मिसाल है, बल्कि यह भी दर्शाता है कि समाज में खेल और सेवा दोनों को समान गरिमा से देखा जा सकता है।
ऋचा घोष की कहानी यह बताती है कि अगर हौसले बुलंद हों, तो सीमाएं कोई मायने नहीं रखतीं।