Mental Health: बार-बार एंग्जाइटी ने कर दिया है आपको तंग? मनोचिकित्सक ने बताए इसे कम करने का आसान तरीके

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  • ज की तेज रफ्तार जिंदगी में मानसिक स्वास्थ्य विकार सबसे बड़ी चुनौती बन चुका है। खासकर कम उम्र के युवाओं और छात्रों में स्ट्रेस और एंग्जाइटी बहुत तेजी से बढ़ रहे हैं। 
  • मेंटल हेल्थ की इस तरह की समस्याओं से बचने के लिए विशेषज्ञों ने कुछ टिप्स बताए हैं जो आपकी मदद कर सकते हैं। 

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स्ट्रेस-एंग्जाइटी की समस्या – फोटो : Adobe stock

जब भी बात संपूर्ण स्वास्थ्य की आती है तो इसमें शारीरिक और मानसिक दोनों प्रकार की सेहत पर ध्यान देना आवश्यक है। आमतौर पर हम सभी शरीर की सेहत को ठीक रखने के तरीकों पर तो खूब चर्चा करते हैं, इसके लिए कई सारे प्रयास किए जाते हैं पर इसकी तुलना में मेंटल हेल्थ की तरह लोगों का ध्यान कम ही जाता है। हालांकि मानसिक स्वास्थ्य से संबंधित समस्याएं तेजी से बढ़ती जा रही हैं।

अध्ययनों से पता चलता है कि आज की तेज रफ्तार जिंदगी में मानसिक स्वास्थ्य विकार सबसे बड़ी चुनौती बन चुका है। खासकर कम उम्र के युवाओं और छात्रों में स्ट्रेस और एंग्जाइटी बहुत तेजी से बढ़ रहे हैं। पहले जहां ये समस्या 50 साल की उम्र के बाद देखने को मिलती थी, वहीं अब स्कूल और कॉलेज जाने वाले बच्चों में भी यह आम हो गई है।

अमर उजाला में प्रकाशित रिपोर्ट में हमने बताया कि भारत में करीब 65% छात्र किसी न किसी मानसिक स्वास्थ्य समस्या का सामना कर रहे हैं। विश्व स्वास्थ्य संगठन (डब्ल्यूएचओ) के अनुसार, दुनियाभर में 15-29 वर्ष की उम्र के युवाओं में डिप्रेशन और एंग्जाइटी बढ़ती आत्महत्या के प्रमुख कारणों में से एक है। इसका सीधा असर उनकी पढ़ाई, करियर और रिश्तों पर पड़ता है। इन समस्याओं से कैसे बचा जा सकता है? 

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युवाओं में बढ़ती तनाव की समस्या – फोटो : Freepik.com

युवाओं में बढ़ रहे हैं स्ट्रेस-एंग्जाइटी की मामले

साल 2023 के आंकड़ों के मुताबिक भारत में 10.6% वयस्क किसी न किसी मानसिक बीमारी से पीड़ित थे। उत्तर भारतीय मेडिकल छात्रों पर 2023 में किए गए एक अलग सर्वेक्षण में तनाव की उच्च दर का पता चला, जिसमें 37.2% छात्रों में आत्महत्या के विचार थे। 2023 के एक अन्य विश्लेषण से पता चला कि 11.5% वयस्क प्रतिभागियों में अवसाद, सोमैटोफॉर्म विकार और चिंता सहित कोई न कोई मानसिक स्वास्थ्य विकार था।

इसी तरह साल 2024 में, इंग्लैंड में लगभग 86 लाख लोगों को एंटीडिप्रेसेंट दवाएं दी गईं, जिनका उपयोग अक्सर स्ट्रेस और डिप्रेशर के लक्षणों के इलाज के लिए भी किया जाता है। 

 

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स्ट्रेस की समस्या से कैसे बचें – फोटो : Adobe stock photos

कैसे पाएं तनाव-चिंता से राहत?

मेडिकल रिपोर्ट्स से पता चलता है कि हर कोई किसी न किसी स्तर पर चिंता से ग्रस्त हो सकता है, यह मानवीय अनुभव का अभिन्न अंग है। हालांकि जब क्षणिक चिंताएं आपके लिए अक्सर बनी रहने की दिक्कत बन जाती हैं तो इससे कई गंभीर विकारों का खतरा बढ़ जाता है। मेंटल हेल्थ की इस तरह की समस्याओं से बचने के लिए विशेषज्ञों ने कुछ टिप्स बताए हैं जो आपकी मदद कर सकते हैं।

ब्रिटेन की वरिष्ठ मनोचिकित्सक चिकित्सक सैली बेकर कहती हैं, मानसिक विकारों को रोकने का सबसे अच्छा तरीका है कि जब आपको एहसास हो कि आप चिंता में डूब रहे हैं, तो अपनी सोच को वहीं रोकें और तुरंत अपने दिमाग को किसी और काम में लगा दें।

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मानसिक विकारों से बचाव के तरीके – फोटो : Freepik.com

क्या कहती हैं डॉक्टर?

डॉ सैली कहती हैं, जब भी आपको एंग्जाइटी महसूस हो तो कुछ और उपाय कर सकते हैं।

  • किसी खिड़की या दरवाजे के पास जाएं और कुछ समय तक धीरे-धीरे और गहरी सांस लें, या हो सके तो सीढ़ियां चढ़ें।
  • थॉट ब्रेक करना मेंटल हेल्थ की समस्या से बचने का सबसे पहला और कारगर तरीका है।

डॉ कहती हैं, ‘मैं अपने मरीजों को आई.सी.ई. प्रोटोकॉल का पालन करने के लिए कहती हूं, जिसका मतलब है आइडेंटिफाई (पहचान), काम (शांति) और एक्सचेंज ( भावनाओं का आदान-प्रदान)। पहला कदम यह पहचानना है कि आपको किस चीज से चिंता हो रही है, इससे बचने की कोशिश करें। अगर इन तरीकों से अपकी दिक्कत कम नहीं हो रही है और एंग्जाइटी बार-बार परेशान कर रही है तो समय रहते डॉक्टरी मदद लें।

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मेंटल हेल्थ को रखें ठीक – फोटो : Freepik.com

मेंटल हेल्थ को ठीक रखने के तरीके

डॉ कहती हैं, मानसिक स्वास्थ्य में सुधार के लिए आप दिनचर्या में कुछ बदलाव कर सकते हैं।

नियमित व्यायाम और योग, नींद पूरी करना और संतुलित आहार लेना,  मोबाइल और सोशल मीडिया का सीमित उपयोग करने का साथ परिवार और दोस्तों से खुलकर बात करना सभी के लिए जरूरी है। जरूरत पड़ने पर मनोवैज्ञानिक से मदद लेने में झिझक न करें।

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नोट: यह लेख मेडिकल रिपोर्टस से एकत्रित जानकारियों के आधार पर तैयार किया गया है।

अस्वीकरण: India Views की हेल्थ एवं फिटनेस कैटेगरी में प्रकाशित सभी लेख डॉक्टर, विशेषज्ञों व अकादमिक संस्थानों से बातचीत के आधार पर तैयार किए जाते हैं। लेख में उल्लेखित तथ्यों व सूचनाओं को अमर उजाला के पेशेवर पत्रकारों द्वारा जांचा व परखा गया है। इस लेख को तैयार करते समय सभी तरह के निर्देशों का पालन किया गया है। संबंधित लेख पाठक की जानकारी व जागरूकता बढ़ाने के लिए तैयार किया गया है। अमर उजाला लेख में प्रदत्त जानकारी व सूचना को लेकर किसी तरह का दावा नहीं करता है और न ही जिम्मेदारी लेता है। उपरोक्त लेख में उल्लेखित संबंधित बीमारी के बारे में अधिक जानकारी के लिए अपने डॉक्टर से परामर्श लें।

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