Pollution: दिवाली से पहले ही दिल्ली में प्रदूषण का ‘रेड अलर्ट’, इन मरीजों को सावधानी बरतने की सलाह

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  • गुरुवार (16 अक्तूबर) को दिल्ली का वायु गुणवत्ता सूचकांक 170 दर्ज किया गया, जो खराब श्रेणी में आता है।
  • हर साल सर्दियों की शुरुआत के साथ अक्तूबर-नवंबर के महीने में दिल्ली की हवा में धुंध और प्रदूषण का स्तर बढ़ जाता है।

Delhi-NCR imposes GRAP Stage I as air quality worsens how it affects overall health
                            दिल्ली-एनसीआर में प्रदूषण – फोटो : Adobe Stock

Air Pollution In Delhi: दीपावली से पहले ही राजधानी दिल्ली-एनसीआर में प्रदूषण का असर दिखने लगा है। गुरुवार (16 अक्तूबर) को दिल्ली की वायु गुणवत्ता सूचकांक 170 दर्ज किया गया, जो खराब श्रेणी में आता है।


हर साल सर्दियों की शुरुआत के साथ अक्तूबर-नवंबर के महीने में दिल्ली की हवा में धुंध और प्रदूषण का स्तर बढ़ जाता है। प्रदूषण की वापसी के संकेत को देखते हुए वायु गुणवत्ता का प्रबंधन करने वाले आयोग ने दिल्ली और राष्ट्रीय राजधानी क्षेत्र (एनसीआर) में ग्रेप-1 के तहत प्रतिबंध लागू कर दिए हैं।

इससे पहले मंगलवार को दिल्ली का वायु गुणवत्ता सूचकांक 211 दर्ज किया गया, जबकि बुधवार को ये 201 था। इस स्तर की हवा को स्वास्थ्य विशेषज्ञ सेहत के लिए कई प्रकार से नुकसानदायक बताते हैं। विशेषज्ञों ने आशंका जताई है कि आने वाले दिनों में हवा की गुणवत्ता में और भी गिरावट आ सकती है, जिसको लेकर सभी लोगों को सावधानी बरतते रहने की आवश्यकता है। इस तरह की हवा विशेषतौर पर उन लोगों के लिए और भी दिक्कतें बढ़ाने वाली हो सकती है जो पहले से ही किसी प्रकार की श्वसन संबंधित समस्या से पीड़ित हैं।

Delhi-NCR imposes GRAP Stage I as air quality worsens how it affects overall health
                                       दिल्ली में प्रदूषण – फोटो : ANI

दिल्ली-एनसीआर में प्रदूषण का खतरा

इससे पहले हाल ही में अमर उजाला में प्रकाशित रिपोर्ट में हमने बताया था कि दिल्ली की हवा में ओजोन गैस का स्तर बढ़ा हुआ देखा गया है। केंद्रीय प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड (सीपीसीबी) ने दिल्ली-एनसीआर और मुंबई में ग्राउंड लेवल ओजोन प्रदूषण के खतरनाक स्तर को लेकर लोगों को अलर्ट किया है। रिपोर्ट के अनुसार, दिल्ली-एनसीआर के 57 में से 25 निगरानी स्टेशनों पर आठ घंटे की सीमा से अधिक समय तक ओजोन प्रदूषण रहा, जबकि मुंबई के 45 में से 22 स्टेशनों पर भी यही स्थिति देखी गई।

ओजोन का अधिक स्तर कई प्रकार की क्रॉनिक बीमारियों को जन्म देने वाला हो सकता है, जिसको लेकर सभी लोगों को सर्तकता बरतने की जरूरत होती है। 

Delhi-NCR imposes GRAP Stage I as air quality worsens how it affects overall health
                           प्रदूषण का फेफड़े पर असर – फोटो : Freepik.com

क्या कहते हैं डॉक्टर?

अमर उजाला से बातचीत में श्वसन रोग विशेषज्ञ डॉ भूषण रंजन बताते हैं, दिल्ली में हर साल इस मौसम में वायु प्रदूषण का स्तर काफी बढ़ जाता है। ये सांस की समस्याओं से परेशान लोगों के लिए काफी कठिन हो सकता है। प्रदूषण के संपर्क में रहना अस्थमा और अन्य श्वसन समस्याओं से परेशान लोगों की सेहत के लिए काफी दिक्कतें बढ़ाने वाला हो सकता है।

प्रदूषण का सीधा असर फेफड़ों पर पड़ता है। धूल और धुएं के महीन कण पीएम2.5 सांस के साथ शरीर में जाकर फेफड़ों में जम जाते हैं। लगातार प्रदूषित हवा में रहने से क्रॉनिक ऑब्स्ट्रक्टिव पल्मोनरी डिजीज सीओपीडी और ब्रोंकाइटिस जैसी बीमारियां भी विकसित हो सकती हैं।

Delhi-NCR imposes GRAP Stage I as air quality worsens how it affects overall health
                          हार्ट की समस्याएं – फोटो : Adobe stock Images

दिल की सेहत पर भी होता है असर

एक अध्ययन में एम्स के विशेषज्ञों ने बताया कि दिल्ली और एनसीआर में रहने वाले बच्चों में अस्थमा और एलर्जी के केस 30% तक बढ़े हैं। इसके कारण खांसी, सांस फूलना, सीने में जलन और बार-बार सर्दी-जुकाम जैसी दिक्कतें देखी जा रही हैं।

प्रदूषण सिर्फ फेफड़ों ही नहीं, दिल को भी कमजोर करता है। हवा में मौजूद सूक्ष्म कण रक्त में घुलकर ब्लड प्रेशर और हार्टबीट को प्रभावित करते हैं। द लैंसेंट की रिपोर्ट के अनुसार, भारत में हर साल 12 लाख से अधिक लोगों की मौत वायु प्रदूषण से जुड़ी हृदय की बीमारियों के कारण होती है। प्रदूषण रक्त वाहिकाओं में सूजन पैदा करता है जिससे हार्ट अटैक और स्ट्रोक का खतरा बढ़ता है।

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              प्रदूषण के कारण होने वाली समस्याएं – फोटो : Adobe Stock

वायु प्रदूषण के कई सारे नुकसान

दिल और फेफड़ों के अलावा भी लगातार प्रदूषण के संपर्क में रहना सेहत के लिए कई प्रकार से नुकसानदायक हो सकता है।

डब्ल्यूएचओ की साल  2021 में सामने आई एक रिपोर्ट के अनुसार, प्रदूषित हवा में मौजूद पीए2.5 मस्तिष्क तक पहुंचकर स्मृति, ध्यान और मूड पर असर डालते हैं। लंबे समय तक प्रदूषण में रहने से डिप्रेशन, एंग्जायटी और अल्ज़ाइमर जैसी बीमारियों का खतरा बढ़ता है।

इतनी ही नहीं प्रदूषित हवा गर्भवती महिलाओं और प्रजनन स्वास्थ्य के लिए भी खतरनाक है। जिन स्थानों पर वायु प्रदूषण का स्तर अधिक होता है वहां पर लोगं में लो बर्थ वेट, प्री-मेच्योर डिलीवरी और बांझपन के मामले अधिक देखे जाते रहे हैं। हवा में मौजूद रसायन और सूक्ष्म कण हार्मोनल असंतुलन पैदा करते हैं, जिससे प्रजनन क्षमता कम हो जाती है।

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नोट: यह लेख मेडिकल रिपोर्टस से एकत्रित जानकारियों के आधार पर तैयार किया गया है।

अस्वीकरण: India Views की हेल्थ एवं फिटनेस कैटेगरी में प्रकाशित सभी लेख डॉक्टर, विशेषज्ञों व अकादमिक संस्थानों से बातचीत के आधार पर तैयार किए जाते हैं। लेख में उल्लेखित तथ्यों व सूचनाओं को अमर उजाला के पेशेवर पत्रकारों द्वारा जांचा व परखा गया है। इस लेख को तैयार करते समय सभी तरह के निर्देशों का पालन किया गया है। संबंधित लेख पाठक की जानकारी व जागरूकता बढ़ाने के लिए तैयार किया गया है। अमर उजाला लेख में प्रदत्त जानकारी व सूचना को लेकर किसी तरह का दावा नहीं करता है और न ही जिम्मेदारी लेता है। उपरोक्त लेख में उल्लेखित संबंधित बीमारी के बारे में अधिक जानकारी के लिए अपने डॉक्टर से परामर्श लें।

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