Colon Cancer: युवाओं में तेजी से बढ़ रहा है आंत का कैंसर, अध्ययन में इसकी सबसे बड़ी वजह का हुआ खुलासा

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Colon Cancer Cases Rise in Youth ultra-processed food may be the reason
                    युवाओं में बढ़ता कोलन कैंसर – फोटो : Freepik.com

लाइफस्टाइल और आहार की गड़बड़ी ने कई गंभीर और जानलेवा बीमारियों के खतरे को काफी बढ़ा दिया है। लिहाजा कम उम्र के लोग भी तेजी से हृदय रोग, डायबिटीज और कैंसर जैसे बीमारियों का शिकार हो रहे हैं। आंकड़ों पर नजर डालें तो पता चलता है कि युवा आबादी में कैंसर के मामले भी तेजी से बढ़ते जा रहे हैं, जिसके कारण न सिर्फ स्वास्थ्य सेवाओं पर अतिरिक्त दबाव बढ़ गया है साथ ही ये मौत का भी प्रमुख कारण है। हालिया रिपोर्ट्स में युवा आबादी के बीच बढ़ते कोलन कैंसर के जोखिमों को लेकर अलर्ट किया गया है।

कोलन कैंसर या कोलोरेक्टल कैंसर, एक प्रकार का कैंसर है जो बड़ी आंत या मलाशय में शुरू होता है। मल त्याग की आदतों में बदलाव, मल में खून आने और पेट में अक्सर बने रहने वाले तेज दर्द को इसका प्रमुख लक्षण माना जाता रहा है।

शुक्रवार (3 अक्तूबर) को अमर उजाला में प्रकाशित रिपोर्ट में हमने बताया कि किस तरह से लंबी दौड़ लगाने वाले लोगों में कोलन कैंसर का जोखिम बढ़ता जा रहा है। अब एक अन्य अध्ययन में शोधकर्ताओं ने इसके कुछ अन्य जोखिम कारक बताए हैं जिसके कारण भी जोखिम अधिक हो सकता है। 

Colon Cancer Cases Rise in Youth ultra-processed food may be the reason
                    खान-पान में गड़बड़ी से कैंसर का खतरा – फोटो : Freepik.com

युवाओं में कोलोरेक्टल कैंसर का जोखिम

मेडिकल रिपोर्ट्स बताती हैं कि कोलोरेक्टल कैंसर आमतौर पर 60 से अधिक उम्र के लोगों अधिक देखी जाने वाली समस्या रही है, हालांकि अब कम उम्र वालों में इसका खतरा बढ़ गया है। ये सिर्फ व्यापक स्क्रीनिंग या बेहतर निदान के कारण बढ़ता डेटा नहीं है, खान-पान से संबंधित गड़बड़ियां इसका कारण बनती जा रही हैं।

विशेषज्ञों का अनुमान है कि युवाओं में कोलन कैंसर के 75% मामले ऐसे देखे जा रहे हैं जिनका कोई पूर्व पारिवारिक इतिहास या ज्ञात आनुवंशिक प्रवृत्ति नहीं रही है। ऐसे लोगों में जिस एक कारण को सबसे ज्यादा जिम्मेदार पाया गया है अल्ट्रा-प्रोसेस्ड फूड्स का बढ़ता सेवन उनमें से एक है।

Colon Cancer Cases Rise in Youth ultra-processed food may be the reason
                          खान-पान – फोटो : Freepik.com

अल्ट्रा-प्रोसेस्ड फूड्स बढ़ा रहे हैं जोखिम

नेचर रिव्यूज एंडोक्रिनोलॉजी में साल 2025 की समीक्षा में इन संबंधों पर प्रकाश डाला गया है। शोधकर्ताओं ने पाया कि अल्ट्रा-प्रोसेस्ड फूड्स का बढ़ता सेवन युवाओं में इस खतरनाक कैंसर को बढ़ाता जा रहा है।

ब्रिटिश मेडिकल जर्नल में प्रकाशित एक प्रमुख अध्ययन में वैज्ञानिकों ने तीन बड़े अमेरिकी समूहों को शामिल किया, ताकि इस तरह के खाद्य पदार्थों और कोलोरेक्टल कैंसर के जोखिम के बीच संबंधों का पता लगाया जा सके। इनमें से एक समूह में 46,000 से ज्यादा पुरुष शामिल थे, जिनका 24 से 28 वर्षों तक अध्ययन किया गया। अल्ट्रा-प्रोसेस्ड फूड्स का सबसे कम सेवन करने वाले समूह की तुलना में, ऐसे खाद्य पदार्थ ज्यादा खाने वालों में कैंसर का खतरा 29% तक अधिक पाया गया। 

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                आंत में कैंसर और इसका जोखिम – फोटो : Freepik.com

अल्ट्रा-प्रोसेस्ड का किस तरह से पड़ता है असर

शोधकर्ताओं ने पाया कि अल्ट्रा-प्रोसेस्ड फूड्स शरीर में इंसुलिन के सिग्नल और प्रभावों को बाधित कर सकते हैं। इसके अलावा इससे इंफ्लेमेशन और आंत के माइक्रोबायोम में परिवर्तन भी देखा गया है। ये सभी कैंसर के विकास को बढ़ाने वाले हो सकते हैं। हम जो खाते हैं उसका असर हमारी कोशिकाओं की वृद्धि, प्रतिरक्षा प्रणाली की कार्यप्रणाली और हमारे आंत के बैक्टीरिया पर पड़ता है।

अल्ट्रा-प्रोसेस्ड फूड्स में आमतौर पर पाए जाने वाले इमल्सीफायर, एडिटिव्स और कृत्रिम स्वीटनर को अध्ययनों में आंतों की सूजन और ट्यूमर के विकास को बढ़ावा देने वाले पाए गए हैं। ऐसे में इस तरह की चीजों का अधिक सेवन शरीर को गंभीर रूप से क्षति पहुंचाने वाला हो सकता है।

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                  कैसे करें कोलन कैंसर से बचाव? – फोटो : Freepik.com

कोलन कैंसर के लक्षण और बचाव

युवाओं में कोलन कैंसर का खतरा इसलिए और खतरनाक है क्योंकि शुरुआती लक्षण जैसे पेट दर्द, कब्ज या खून आना अक्सर नजरअंदाज कर दिए जाते हैं। जब तक सही जांच होती है, तब तक बीमारी बढ़ चुकी होती है। इसलिए जरूरी है कि युवा अपनी जीवनशैली पर ध्यान दें। ज्यादा से ज्यादा फाइबर, हरी सब्जियां और फल खाएं। इसके अलावा नियमित व्यायाम करें और नियमित रूप से हेल्थ चेकअप कराते रहें। सही जागरूकता इस बढ़ती समस्या को रोकने का सबसे बड़ा हथियार हो सकती है।

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स्रोत

अस्वीकरण: India Views की हेल्थ एवं फिटनेस कैटेगरी में प्रकाशित सभी लेख डॉक्टर, विशेषज्ञों व अकादमिक संस्थानों से बातचीत के आधार पर तैयार किए जाते हैं। लेख में उल्लेखित तथ्यों व सूचनाओं को अमर उजाला के पेशेवर पत्रकारों द्वारा जांचा व परखा गया है। इस लेख को तैयार करते समय सभी तरह के निर्देशों का पालन किया गया है। संबंधित लेख पाठक की जानकारी व जागरूकता बढ़ाने के लिए तैयार किया गया है। अमर उजाला लेख में प्रदत्त जानकारी व सूचना को लेकर किसी तरह का दावा नहीं करता है और न ही जिम्मेदारी लेता है। उपरोक्त लेख में उल्लेखित संबंधित बीमारी के बारे में अधिक जानकारी के लिए अपने डॉक्टर से परामर्श लें।

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