छठ से पहले चमकी यमुना, लेकिन अंदर अब भी ‘जहर’ बाकी — प्रदूषण नियंत्रण समिति की रिपोर्ट ने किया बड़ा खुलासा

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दिल्ली में छठ पूजा से पहले यमुना किनारे सफाई और सुंदरता के बड़े-बड़े दावे किए गए हैं। प्रशासन और नगर निगम की ओर से यह बताया जा रहा है कि नदी को पहले से कहीं अधिक साफ किया गया है।
लेकिन दिल्ली प्रदूषण नियंत्रण समिति (DPCC) की नई रिपोर्ट ने इन दावों की पोल खोल दी है। रिपोर्ट के अनुसार, यमुना के पानी की सतह भले ही साफ दिखाई दे रही हो, लेकिन उसके भीतर अभी भी प्रदूषण का स्तर खतरनाक रूप से ऊंचा है।


🔹 सफाई के बावजूद जहरीला पानी

DPCC की ताजा जांच में पाया गया कि यमुना में Biochemical Oxygen Demand (BOD) यानी पानी में ऑक्सीजन की खपत का स्तर अब भी मानक सीमा से कई गुना अधिक है।
जहां साफ पानी के लिए BOD की आदर्श सीमा 3 mg/l मानी जाती है, वहीं यमुना के कई हिस्सों में यह आंकड़ा 40 mg/l से अधिक पाया गया है।

इसका सीधा मतलब यह है कि नदी का पानी जीवों के लिए अब भी विषैला है और उसमें जैविक जीवन सामान्य रूप से विकसित नहीं हो सकता।

एक DPCC अधिकारी ने कहा,
“दिखने में यमुना थोड़ी साफ लग सकती है, लेकिन उसमें घुला हुआ अमोनिया, फॉस्फेट और डिटर्जेंट जैसे रसायन इसे अब भी खतरनाक बनाते हैं।”


🔸 छठ पूजा की तैयारी के बीच प्रशासन की फुर्ती

छठ पर्व को लेकर यमुना के घाटों पर सफाई, सजावट और सुरक्षा के इंतजाम जोरों पर हैं।
नगर निगम और सिंचाई विभाग की टीमें घाटों पर लगातार काम कर रही हैं — कीचड़ हटाया जा रहा है, अस्थायी चबूतरे बनाए जा रहे हैं और श्रद्धालुओं के लिए टेंट लगाए गए हैं।
लेकिन पर्यावरण विशेषज्ञों का कहना है कि सतही सफाई से प्रदूषण का वास्तविक समाधान नहीं होगा, क्योंकि समस्या नदी के अंदर है।


🔹 कौन-कौन से हिस्से में सबसे ज्यादा प्रदूषण

DPCC की रिपोर्ट के अनुसार —

  • वजीराबाद से ओखला बैराज के बीच का 22 किमी का हिस्सा सबसे अधिक प्रदूषित है।

  • इस जोन में लगभग 90% प्रदूषक नालों के जरिए पहुंचते हैं।

  • इनमें मजनू का टीला, कालिंदी कुंज और आईटीओ के आसपास के क्षेत्र सबसे प्रभावित बताए गए हैं।


🔸 आंकड़ों में छिपा डरावना सच

रिपोर्ट में बताया गया कि:

  • अमोनिया स्तर कई स्थानों पर 2.5 mg/l तक पहुंच गया, जबकि सुरक्षित सीमा 0.5 mg/l से कम होनी चाहिए।

  • फॉस्फेट और नाइट्रेट की मात्रा भी सामान्य से 4–5 गुना अधिक है।

  • नालों से आने वाला घरेलू और औद्योगिक अपशिष्ट नदी की मुख्य धारा को लगातार दूषित कर रहा है।


🔹 विशेषज्ञों की राय

पर्यावरण विशेषज्ञों का कहना है कि केवल त्योहारों से पहले की जाने वाली सफाई एक अस्थायी समाधान है।
जरूरत है कि सरकार और नागरिक मिलकर सीवेज ट्रीटमेंट प्लांट (STP) की क्षमता बढ़ाएं और नालों के प्रवाह को रोका जाए।

पर्यावरणविद् डॉ. आर. के. गर्ग ने कहा,
“यमुना की असली सफाई तभी संभव है जब दिल्ली का हर बूंद सीवेज ट्रीटमेंट से गुजरे। अभी तो करीब 60% अपशिष्ट सीधे नदी में गिर रहा है।”


🔚 निष्कर्ष

छठ पूजा से पहले यमुना किनारे साफ-सुथरे घाट और चमकती सतहें भले ही श्रद्धालुओं को राहत दें, लेकिन नदी की गहराइयों में छिपा प्रदूषण अब भी गंभीर चिंता का विषय है।
DPCC की रिपोर्ट यह साफ कर देती है कि सफाई के बावजूद यमुना का पानी न पीने योग्य है, न स्नान योग्य।

पर्यावरणविदों का कहना है कि अगर सरकार दीर्घकालिक कदम नहीं उठाती, तो आने वाले वर्षों में यमुना केवल “दिखावटी सफाई अभियान” का प्रतीक बनकर रह जाएगी — न कि एक जीवित, स्वच्छ नदी के रूप में।

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