- नेशनल कैंसर इंस्टीट्यूट की रिपोर्ट के मुताबिक, हर 8 में से 1 पुरुष को जीवन में कभी न कभी प्रोस्टेट कैंसर का खतरा होता है।
- अमेरिकन कैंसर सोसाइटी के अनुसार, 40 वर्ष की उम्र के बाद पुरुषों को हर साल प्रोस्टेट से जुड़ी जांचें करानी चाहिए।

हृदय रोगों के बाद कैंसर को दुनियाभर में मृत्यु का दूसरा सबसे बड़ा कारण माना जाता है। नेशनल इंस्टीट्यूट ऑफ हेल्थ की एक रिपोर्ट के अनुसार साल 2022 में, हृदय रोग लगभग 1.9 करोड़ मौतों के लिए जिम्मेदार था, जबकि कैंसर से लगभग 97 लाख मौतें हुईं। वैसे तो हृदय रोग अभी भी प्रमुख कारण बना हुआ है, लेकिन कैंसर से होने वाली मौतें बढ़ रही हैं। इससे बचाव को लेकर स्वास्थ्य विशेषज्ञ सभी लोगों को अलर्ट करते हैं।
विशेषज्ञ कहते हैं, कैंसर किसी को भी हो सकता है। खराब जीवनशैली, प्रदूषण, गड़बड़ खानपान, धूम्रपान-शराब जैसी आदतों ने इसके खतरे को और भी बढ़ा दिया है, लिहाजा कम उम्र वाले भी इस घातक बीमारी की चपेट में आते जा रहे हैं।
मेडिकल रिपोर्ट्स से पता चलता है कि महिलाओं की तुलना में पुरुषों में कैंसर और इससे मौत का खतरा ज्यादा होता है। जब बात पुरुषों में कैंसर की होती है तो फेफड़े-मुंह और प्रोस्टेट कैंसर के केस सबसे ज्यादा रिपोर्ट किए जाते हैं। प्रोस्टेट कैंसर के बढ़ते मामलों की समय रहते जांच के लिए डॉक्टर पीएसए टेस्ट कराने की सलाह देते हैं।

पुरुषों में बढ़ता प्रोस्टेट कैंसर का खतरा
अमर उजाला में हाल ही में प्रकाशित रिपोर्ट में हमने बताया कि डॉक्टर्स कहते हैं, सभी पुरुषों को उम्र के साथ प्रोस्टेट बढ़ने की समस्या होती है। वहीं नेशनल कैंसर इंस्टीट्यूट की रिपोर्ट के मुताबिक, हर 8 में से 1 पुरुष को जीवन में कभी न कभी प्रोस्टेट कैंसर का खतरा होता है। प्रोस्टेट कैंसर के कारण पेशाब में जलन, बार-बार पेशाब आने या ब्लैडर पूरी तरह खाली न होने जैसी दिक्कतें होती हैं।
अमेरिकन कैंसर सोसाइटी के अनुसार, 40 वर्ष की उम्र के बाद पुरुषों को हर साल प्रोस्टेट से जुड़ी जांचें करानी चाहिए। सही समय पर निदान से 90% मामलों में इस कैंसर को नियंत्रित किया जा सकता है। पीएसए टेस्ट को इसमें मददगार माना जाता है।

पीएसए टेस्ट के बारे में जान लीजिए
प्रोस्टेट स्पेसिफिक एंटीजन टेस्ट या पीएसए एक प्रकार का ब्लड टेस्ट है जो पुरुषों में प्रोस्टेट ग्लैंड से बनने वाले प्रोटीन (पीएसए) के स्तर को मापती है। जिन लोगों का पीएसए लेवल अक्सर बढ़ा हुआ रहता है उनमें प्रोस्टेट या प्रोस्टेट कैंसर का खतरा हो सकता है।
सामान्य रूप से पीएसएस का स्तर 0-4 ng/mL के बीच होता है। अगर यह इससे अधिक बना रहता है, तो डॉक्टर आगे की जांच की सलाह दे सकते हैं। इस टेस्ट का सबसे बड़ा लाभ यह है कि यह प्रोस्टेट कैंसर को शुरुआती स्टेज में ही पकड़ सकता है, जहां से इलाज आसान और प्रभावी होता है।

किसे कराना चाहिए पीएसए टेस्ट
स्वास्थ्य विशेषज्ञ कहते हैं, वैसे तो प्रोस्टेट बढ़ने का खतरा उम्र के साथ सभी पुरुषों को होता है, वहीं कुछ स्थितियों में प्रोस्टेट कैंसर का खतरा भी हो सकता है। हालांकि सभी लोगों को पीएसए टेस्ट की जरूरत नहीं होती है। कुछ स्थितियों में डॉक्टर ये टेस्ट कराने की सलाह देते हैं।
- 40 वर्ष से अधिक उम्र के सभी पुरुषों को साल में एक बार डॉक्टर की सलाह पर ये टेस्ट कराना चाहिए।
- जिनके परिवार में किसी को प्रोस्टेट कैंसर रहा हो, उन्हें ये टेस्ट कराना चाहिए।
- बार-बार पेशाब की समस्या या मूत्राशय से जुड़ी तकलीफ वाले पुरुषों को भी डॉक्टर की सलाह पर ये टेस्ट कराना चाहिए।

15 मिनट में ही प्रोस्टेट कैंसर का चलेगा पता
वैज्ञानिकों की टीम ने हाल के वर्षों में कई ऐसे खोज किए हैं जिससे प्रोस्टेट कैंसर का समय पर स्क्रीनिंग और इलाज पहले की तुलना में आसान हो गया है। हाल ही में वैज्ञानिकों ने एक 15 मिनट वाले कारगर प्रोस्टेट कैंसर स्कैन के बारे में जानकारी दी है, जिससे इस कैंसर आसानी से पता लगाना और आसान हो सकता है।
—————————
नोट: यह लेख मेडिकल रिपोर्टस से एकत्रित जानकारियों के आधार पर तैयार किया गया है।
अस्वीकरण: India Views की हेल्थ एवं फिटनेस कैटेगरी में प्रकाशित सभी लेख डॉक्टर, विशेषज्ञों व अकादमिक संस्थानों से बातचीत के आधार पर तैयार किए जाते हैं। लेख में उल्लेखित तथ्यों व सूचनाओं को अमर उजाला के पेशेवर पत्रकारों द्वारा जांचा व परखा गया है। इस लेख को तैयार करते समय सभी तरह के निर्देशों का पालन किया गया है। संबंधित लेख पाठक की जानकारी व जागरूकता बढ़ाने के लिए तैयार किया गया है। अमर उजाला लेख में प्रदत्त जानकारी व सूचना को लेकर किसी तरह का दावा नहीं करता है और न ही जिम्मेदारी लेता है। उपरोक्त लेख में उल्लेखित संबंधित बीमारी के बारे में अधिक जानकारी के लिए अपने डॉक्टर से परामर्श लें।